
Dubai pitch Report: भारत‑बांग्लादेश के एशिया कप 2025 सुपर‑फ़ोर में स्पिनर‑फ्रेंडली पिच का असर
Dubai stadium की पिच की विशेषताएँ
दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में इस साल का एशिया कप 2025 सुपर‑फ़ोर मैच एकदम चुनौतीपूर्ण पिच के साथ शुरू हो रहा है। Dubai pitch का माहौल धीरे‑धीरे धीमा, कम ऊँचा बाउंस और स्किडी बॉल्स वाला बना रहता है। इस प्रकार की सतह पर बॉल जमीन से कम उछलती है, जिससे बैटर को राउंड‑ऑफ करने में दिक्कत होती है। शुरुआती ओवरों में पेसर थोड़ा‑बहुत मोमेंट मिलता है, पर जैसे‑जैसे ओवर आगे बढ़ते हैं, पिच पर घिसावट और गर्मी के कारण गति घटती है और स्पिनर का प्रभाव बढ़ता है।
पिच का इतिहास बताता है कि टॉप‑इन्स टॉस जीतकर पहले बैटिंग करने वाली टीमें 139 रन औसत बनाती हैं, जबकि चेज करने वाली टीमें केवल 122 रन ही जोड़ पाती हैं। यह 17‑रन का अंतर दर्शाता है कि मैदान जैसे‑जैसे देर तक चलता है, उतना ही कठोर हो जाता है। इस साल के टूर्नामेंट में कोई भी टीम 150‑160 के ऊपर स्कोर नहीं कर पाई है, जिससे स्पष्ट है कि बड़े टोटल बनाना यहाँ मुश्किल है।
टीमों की रणनीति और संभावित प्रभाव
भारत और बांग्लादेश दोनों को इस पिच के अनुसार अपनी लाइन‑अप और प्लानिंग में बदलाव करना पड़ेगा। भारत की नेट रन रेट +0.689 के साथ टॉप पर है, इसलिए वह अपने संतुलित बॉलिंग अटैक को अधिकतम उपयोग करने की कोशिश करेगा। तेज़ पेसर रोहित शॉ का शुरुआती मोमेंट, फिर रियाज़ अहमद और बेन स्टोक्स की स्पिन, दोनों ही इस पिच पर कारगर रह सकते हैं। खास बात यह है कि भारत के बिच में रणवीर सिंह जैसे खिलाड़ी को बड़े इन्डिविजुअल स्कोर की बजाय साझेदारी बनाने पर ध्यान देना होगा।
बांग्लादेश की स्थिति थोड़ी अलग है; उनका नेट रन रेट +0.121 है और उन्हें इस पिच पर जल्दी अनुकूल होना पड़ेगा। तेज़ पेसर शाकिब असली की शुरुआती लाइन को ठीक से हिट कर पिच की मदद ले सकते हैं, लेकिन उन्हें स्पिनरों जैसे मोहम्मद शकीर और अफरिन टेक्सी पर भरोसा करना पड़ेगा। बांग्लादेश को अपनी बैटिंग क्रम में लचीला होना पड़ेगा, ताकि ठंडे सेट‑अप में रन बनाते हुए अंत में तेज़ी से स्कोर बढ़ा सकें।
वातावरणीय कारक भी एक अहम भूमिका निभा रहे हैं। दुबई में तापमान 35‑37 °C के बीच रहता है और आर्द्रता काफी अधिक है। खिलाड़ी लगभग तीन हफ्ते अबू धाबी‑दुबई की गर्मी में खेलने के बाद अब इस मौसम के अभ्यस्त हो चुके हैं, पर फिर भी पसीने से बॉल फिसलन भरा हो जाता है, जो फील्डर और थ्रोअर दोनों के लिए चुनौती बनता है। ड्यू का असर यहाँ कम है; दूसरी इनिंग में बॉल का घुलना नहीं, बल्कि तेज़ी से गरमी में घुलना ज्यादा दिखता है।
आंकड़े बतलाते हैं कि पहले इनिंग में जीतने वाली टीम अक्सर मैच को डिफ़ॉल्ट रूप से जीत लेती है। इसलिए टॉस जीतकर पहले बॉलिंग करना फायदेमंद हो सकता है, खासकर जब पिच धीमी हो और बॉल स्किडी हो। लेकिन भारत की सामूहिक क्षमता को देखते हुए, यदि वे पहले बैटिंग कर पाएँ तो साझेदारी बनाकर 120‑130 का लक्ष्य रख सकते हैं, जिसके बाद स्पिनरों पर भरोसा करके स्थिति को मजबूती दे सकते हैं। बांग्लादेश को यहाँ पर बॉल को सीधे हिट करने की बजाय “ड्रॉव-ए-टु‑ड्रॉव” तकनीक अपनानी होगी, जिससे वे विकेट नहीं खोकर रन बना सकें।
इतिहास भी इस मुकाबले में एक रोचक पहलू लाता है। टी20I में भारत ने बांग्लादेश के खिलाफ 16‑1 की भारी जीत दर्ज की है, पर 2015 के बाद के मुकाबले अधिक निकटतम रहे हैं। इस बार का मैच पिच की विशेषताओं, मौसम और दोनों टीमों की फॉर्म पर निर्भर करेगा, न कि केवल ऐतिहासिक आँकड़ों पर।
bhargav moparthi
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