कनाडाई डॉलर ने 2025 में रुपये के खिलाफ रिकॉर्ड 8.59% की बढ़ोतरी की, बन गया सबसे मजबूत
bhargav moparthi
bhargav moparthi

मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।

14 टिप्पणि

  1. Boobalan Govindaraj Boobalan Govindaraj
    दिसंबर 5, 2025 AT 00:34 पूर्वाह्न

    ये तो बहुत अच्छी खबर है भाई! निर्यातकों के लिए तो ये बरसात की बूंदों जैसा है। मेरा भाई दवाओं का बिजनेस करता है और अब उसकी बिक्री दोगुनी हो गई है। जिंदगी में कभी-कभी ऐसे मौके आते हैं जब बाहर की हवा हमारे लिए फायदेमंद हो जाती है। अब बस इसे जारी रखना है।

  2. mohit saxena mohit saxena
    दिसंबर 5, 2025 AT 11:27 पूर्वाह्न

    देखो ये बात समझो। कनाडाई डॉलर मजबूत हो रहा है क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्था ऊर्जा और खनिजों पर टिकी है और दुनिया भर में इनकी मांग बढ़ रही है। हमारा रुपया कमजोर नहीं है, बस वो देश अपने रिसोर्सेज का बेहतर इस्तेमाल कर रहा है। हमें भी अपने इंडस्ट्रीज को ग्रो करना होगा।

  3. Sandeep YADUVANSHI Sandeep YADUVANSHI
    दिसंबर 5, 2025 AT 11:51 पूर्वाह्न

    अरे भाई, ये तो बस एक अस्थायी ट्रेंड है। अगर तुम लोग ये सब रिकॉर्ड और परसेंटेज के नाम पर खुश हो रहे हो तो तुम्हारी समझ बहुत कम है। कनाडा का डॉलर इतना मजबूत क्यों है? क्योंकि वो अमेरिका के बाद दूसरा बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। हमारा रुपया तो अभी भी डॉलर के आगे झुक रहा है। असली ताकत तो अमेरिका में है।

  4. Vikram S Vikram S
    दिसंबर 6, 2025 AT 20:05 अपराह्न

    यह बात बिल्कुल गलत है! यह सब अमेरिकी बैंकिंग सिस्टम का षड्यंत्र है! कनाडा का डॉलर इतना मजबूत कैसे हो सकता है? जबकि उनकी आबादी हमारे एक छोटे शहर जितनी है! यह एक जानबूझकर बनाया गया आर्थिक धोखा है जिसका उद्देश्य भारत के आर्थिक नेतृत्व को निचला दिखाना है! रिजर्व बैंक अब तक शांत रहा है, लेकिन यह अपराध नहीं हो सकता!

  5. nithin shetty nithin shetty
    दिसंबर 7, 2025 AT 03:10 पूर्वाह्न

    क्या कनाडा में तेल की कीमतें असल में बढ़ी हैं? मैंने पढ़ा कि कनाडा के पास अल्बर्टा के तेल बलुआ पत्थर हैं, लेकिन क्या वो अभी भी उतने लाभदायक हैं? और क्या ये डॉलर की बढ़ोतरी सिर्फ ऊर्जा के कारण है या फिर भारत के आयात बढ़ने के कारण? कोई डेटा तो दो भाई।

  6. Aman kumar singh Aman kumar singh
    दिसंबर 8, 2025 AT 05:50 पूर्वाह्न

    ये तो हमारी ताकत का निशाना है! भारतीय दवाएं, टेक्नोलॉजी, वस्त्र - दुनिया भर में चल रहे हैं। अब कनाडा भी हमारे बिना नहीं चल पा रहा। ये सिर्फ एक विनिमय दर नहीं, ये हमारी आत्मविश्वास की बात है। हम अपने उत्पादों को दुनिया को दे रहे हैं - और वो भी अच्छी कीमत पर। जय हिंद!

  7. UMESH joshi UMESH joshi
    दिसंबर 9, 2025 AT 22:26 अपराह्न

    इस बदलाव को बस एक आंकड़े के रूप में नहीं देखना चाहिए। ये तो एक गहरा संकेत है - कि जब एक देश अपने संसाधनों का समझदारी से इस्तेमाल करता है, तो उसकी मुद्रा भी उसके साथ बढ़ती है। हमें भी अपने उद्योगों को बेहतर बनाना होगा, न कि दूसरों की मुद्रा को दोष देना। ये सब एक सीख है, न कि एक जीत या हार।

  8. pradeep raj pradeep raj
    दिसंबर 10, 2025 AT 21:42 अपराह्न

    इस विनिमय दर के पीछे के आर्थिक तंत्र को समझने के लिए हमें बैलेंस ऑफ पेमेंट्स, कैपिटल फ्लो, और फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व्स के इंटरैक्शन को डीपली एनालाइज़ करना होगा। कनाडा की मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता और कॉमोडिटी एक्सपोजर के कारण उनकी मुद्रा का अप्रत्याशित रूप से बल्की बढ़ना एक नैचुरल रिजल्ट है। भारत के लिए ये एक ट्रिगर है - हमें अपने इंडस्ट्रियल पॉलिसी को रिडिज़ाइन करना होगा।

  9. Vishala Vemulapadu Vishala Vemulapadu
    दिसंबर 11, 2025 AT 22:06 अपराह्न

    ये तो बहुत आसान बात है। जब बैंक ब्याज दरें ऊँची रखते हैं तो डॉलर बढ़ता है। जब भारत में इन्फ्लेशन बढ़ता है तो रुपया घटता है। ये तो 10वीं कक्षा की इकोनॉमिक्स है। फिर इतना हड़बड़ा क्यों हो रहे हो?

  10. M Ganesan M Ganesan
    दिसंबर 13, 2025 AT 11:43 पूर्वाह्न

    ये सब एक जाल है! कनाडाई डॉलर की बढ़ोतरी तो अमेरिका और ब्रिटेन के लिए भारत को कमजोर बनाने की साजिश है! वो चाहते हैं कि हम अपनी दवाएं बेचें और उनके तेल खरीदें - और फिर हम उनके गुलाम बन जाएं! रिजर्व बैंक इसे छुपा रहा है! अब तक शांत रहे हो, लेकिन अब उठो! भारत की आर्थिक स्वतंत्रता खतरे में है!

  11. ankur Rawat ankur Rawat
    दिसंबर 15, 2025 AT 09:47 पूर्वाह्न

    ये बदलाव तो बहुत अच्छा है, लेकिन दोस्तों, इसके साथ ये भी समझो कि हमारी छोटी दुकानें भी इसका बोझ झेल रही हैं। जब कनाडाई डॉलर मजबूत होता है, तो उनके चाय और चमड़े के सामान महंगे हो जाते हैं - और हमारे छोटे व्यापारी बाहर से चीजें नहीं ला पाते। ये एक दोहरी तलवार है - जो कुछ लोगों के लिए बरसात है, वो कुछ औरों के लिए आग है।

  12. Vraj Shah Vraj Shah
    दिसंबर 17, 2025 AT 02:39 पूर्वाह्न

    मेरा दोस्त कनाडा में है, उसने बताया कि वहां भारतीय चाय की बिक्री घट गई है। लोग अब चीनी चाय ले रहे हैं। लेकिन हमारे फार्मा कंपनियां बहुत बढ़ रही हैं। ये तो बहुत अच्छा है। बस थोड़ा धीरे चलो, जल्दबाजी में गलती न हो जाए।

  13. Kumar Deepak Kumar Deepak
    दिसंबर 17, 2025 AT 09:05 पूर्वाह्न

    ओह, तो अब हमारा रुपया कमजोर है? अच्छा, तो क्या अब हमारे बच्चे कनाडा में जाकर दवाएं बेचेंगे? बहुत अच्छा। तुम लोग तो अब अपने देश के बाहर जाकर अपना भविष्य बनाने लगे हो। बस इतना कहना है - बहुत अच्छा काम किया।

  14. Ganesh Dhenu Ganesh Dhenu
    दिसंबर 19, 2025 AT 07:10 पूर्वाह्न

    हमारी अर्थव्यवस्था के बारे में बात करते समय हमें इस बात को भी याद रखना चाहिए कि ये सब द्विपक्षीय है। कनाडा भी हमारे बिना नहीं चल सकता। जब भारतीय दवाएं उनके अस्पतालों में जाती हैं, तो वो हमारे बिना नहीं रह पाते। ये सिर्फ डॉलर की बात नहीं - ये एक गहरा आर्थिक बंधन है।

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