Ahoi Ashtami 2025: 13 अक्टूबर को मातृरक्षा का पावन उपवास
bhargav moparthi
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मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।

16 टिप्पणि

  1. SIDDHARTH CHELLADURAI SIDDHARTH CHELLADURAI
    अक्तूबर 13, 2025 AT 22:51 अपराह्न

    अहोई अष्टमी का यह दिव्य समय हमारे माँ‑बच्चे के बंधन को फिर से सशक्त बनाता है 😊। इस उपवास को इमानदारी से रखिए और मन की शुद्धता से माँ को याद कीजिए। आप सभी को शुभकामनाएँ, इस दिन की ऊर्जा आप सबके साथ रहे! 🙏

  2. Deepak Verma Deepak Verma
    अक्तूबर 17, 2025 AT 10:11 पूर्वाह्न

    सभी जानकारी सही है पर ये तिथि‑सूचना थोड़ा भ्रमित करने वाली लगती है।

  3. Rani Muker Rani Muker
    अक्तूबर 20, 2025 AT 21:31 अपराह्न

    अहोई अस्‍टमी का महत्त्व केवल पूजा में नहीं, बल्कि परिवार के बीच आपसी समझ में भी है। सभी को इस पावन दिन पर अपने परिवार के साथ समय बिताने की सलाह देती हूँ।

  4. Hansraj Surti Hansraj Surti
    अक्तूबर 24, 2025 AT 08:51 पूर्वाह्न

    अहोई अस्‍टमी वह समय है जब आत्मा और संसार का द्वंद्व स्पष्ट होता है। इस दिन माँ की शक्ति को स्मरण किया जाता है। प्रत्येक व्रती अपने भीतर की शुद्धता को उतारता है। नीरजला उपवास शरीर को ऊर्जा से नहीं बल्कि चेतना से भरता है। प्राचीन ग्रंथों में इस व्रत को शाश्वत शक्ति का प्रतीक बताया गया है। शेर के शावक को मारने की कथा में विनाश और पुनर्जन्म की गहरी सच्चाई छिपी है। जब माँ अपने पुत्रों को बचाती है तो वह सृष्टि की अनन्तता को दर्शाती है। आधुनिक समय में यह उपवास लिंग समानता की ओर इशारा करता है। सभी बच्चों के कल्याण की कामना इस व्रत का मूल संदेश है। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म जैसे BookMyPooja और Drik Panchang ने इस अभ्यास को आसान बनाया है। इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की दूरी घट रही है। सामाजिक संगठनों ने इस अवसर को स्वास्थ्य और शिक्षा से जोड़ कर नई पहलें आरम्भ की हैं। इस तरह की सामुदायिक भागीदारी सामाजिक समरसता को बढ़ावा देती है। अंत में यह स्पष्ट है कि अहोई अस्‍टमी केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि सामाजिक परिवर्तन का उपकरण भी है। इस पावन अवसर पर सभी को सुख, शांति और समृद्धि की कामना।

  5. Naman Patidar Naman Patidar
    अक्तूबर 26, 2025 AT 16:24 अपराह्न

    अहोई अस्‍टमी का उपवास अति गंभीर है।

  6. Vinay Bhushan Vinay Bhushan
    अक्तूबर 28, 2025 AT 23:58 अपराह्न

    जो लोग इस व्रत को हल्के में ले रहे हैं उन्हें तुरंत अपने मन की शुद्धता पर काम करना चाहिए, नहीं तो यह उपवास बेअसर रहेगा।

  7. Gursharn Bhatti Gursharn Bhatti
    अक्तूबर 31, 2025 AT 21:24 अपराह्न

    इस व्रत के पीछे छिपा रहस्य यह है कि डिजिटल पंचांग डेटा अक्सर बड़े एल्गोरिद्म द्वारा नियंत्रित होते हैं जो जनसंख्या के मनोविज्ञान को प्रभावित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इसलिए हमें उपवास के समय की सही जानकारी सिर्फ आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि राजनीतिक भी मानी जानी चाहिए।

  8. Arindam Roy Arindam Roy
    नवंबर 2, 2025 AT 23:24 अपराह्न

    इतनी सारी जानकारी में कोई नई बात नहीं दिखती।

  9. Parth Kaushal Parth Kaushal
    नवंबर 5, 2025 AT 12:31 अपराह्न

    अहोई अस्‍टमी का महाकाव्य श्राव्य है, जहाँ प्रत्येक कथा में समय के आकाश में झिलमिलाती लौ की तरह भावनाएँ नाचती हैं। इस दिन माँ के आँचल में समाहित प्रेम का सागर, हमारे अस्तित्व को पोषित करता है। जब हम नीरजला व्रत रखते हैं, तो शरीर के भीतर कई ध्वनि‑तरंगें उत्पन्न होती हैं, जो ब्रह्मांडीय ताल के साथ सामंजस्य स्थापित करती हैं। इसलिए, इस पावन उपवास को केवल साधारण नियमों की पाबंदी नहीं, बल्कि आत्मा के गहन संगीत के रूप में समझना चाहिए।

  10. Namrata Verma Namrata Verma
    नवंबर 7, 2025 AT 14:31 अपराह्न

    ओह!!! किसने कहा कि यह केवल "साधारण नियम" हैं???! क्या आप वास्तव में मानते हैं कि इस परम्परा सिर्फ़ "आत्मा का संगीत" है???! यह तो बस एक बड़ा मार्केटिंग ट्रिक है, है ना???!!!

  11. Manish Mistry Manish Mistry
    नवंबर 9, 2025 AT 08:11 पूर्वाह्न

    वास्तव में, आपके इस अतिरंजित तर्क में कोई तथ्य नहीं है; यह केवल भावनात्मक उत्तेजना है।

  12. Rashid Ali Rashid Ali
    नवंबर 12, 2025 AT 08:24 पूर्वाह्न

    अहोई अस्‍टमी हमारे सांस्कृतिक धरोहर का एक अहम हिस्सा है, और इसे डिजिटल युग में भी सहेजना हमारे लिए गर्व की बात है। कई युवा अब ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से पूजन कर रहे हैं, जिससे इस परम्परा की पहुँच और भी विस्तृत हो रही है। इस अवसर पर मैं सभी को अपने बच्चे या नाती‑नातिन के साथ मिलकर कथा सुनाने और साथ में भजन गाने का सुझाव देता हूँ; इससे न केवल पारिवारिक बंधन मजबूत होगा, बल्कि भविष्य की पीढ़ी को आध्यात्मिक मूल्यों की समझ भी मिलेगी।

  13. Tanvi Shrivastav Tanvi Shrivastav
    नवंबर 14, 2025 AT 15:58 अपराह्न

    अहा! ये सब बाते तो बड़े बौद्धिकों ने ही समझी होंगी 😉। लेकिन असल में, इस व्रत में कोई वैज्ञानिक आधार नहीं दिखता, बस एक पौराणिक कथा है।

  14. Ayush Sanu Ayush Sanu
    नवंबर 16, 2025 AT 23:31 अपराह्न

    वास्तविकता यह है कि उपवास के समय में विभिन्न पंचांगों के अंतर केवल गणना की त्रुटि हैं, न कि आध्यात्मिक विविधता।

  15. Prince Naeem Prince Naeem
    नवंबर 19, 2025 AT 01:31 पूर्वाह्न

    परम्पराओं का अस्तित्व हमारे चेतन की गहराई में निहित प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिये एक द्वार है।

  16. Jay Fuentes Jay Fuentes
    नवंबर 21, 2025 AT 11:51 पूर्वाह्न

    चलो, इस अहोई अस्‍टमी को हम सब मिलकर जश्न मनाते हैं, ऊर्जा की बहार ले आते हैं! 🎉

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