साइक्लोन मिचौंग ने आंध्र प्रदेश में धमाकेदार लैंडफॉल किया, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में बाढ़ और मौतें
bhargav moparthi
bhargav moparthi

मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।

10 टिप्पणि

  1. Narayana Murthy Dasara Narayana Murthy Dasara
    नवंबर 26, 2025 AT 07:07 पूर्वाह्न

    ये तूफान तो बस प्रकृति का गुस्सा नहीं था, बल्कि हमारी लापरवाही का नतीजा था। चेन्नई की नालियाँ बंद हो चुकी थीं, जलाशयों का आयतन कम कर दिया गया, और फिर भी हम सोचते रहे कि 'ये बारिश तो हर साल होती है'। अब जब घर बह गए, तो किसकी गलती है? ना तो IMD की, ना तो तूफान की - हमारी है।

  2. lakshmi shyam lakshmi shyam
    नवंबर 27, 2025 AT 12:30 अपराह्न

    अरे ये सब बकवास है! सरकार ने तो तुरंत राहत शुरू कर दी, और तुम यहाँ नियोजन की बात कर रहे हो? जो लोग घर बहाकर बच गए, उनकी जिंदगी बच गई - ये बड़ी बात है। अब जब तक ये बात नहीं समझ जाते कि बचाव असली है, तब तक तुम बस बहस में खो जाओगे।

  3. Sabir Malik Sabir Malik
    नवंबर 29, 2025 AT 01:19 पूर्वाह्न

    देखो, मैं चेन्नई का रहने वाला नहीं हूँ, लेकिन मैंने इस आपदा को अपने दोस्तों के फोटो और वीडियो से देखा है। वो लोग जिनके घर बह गए, वो अब बस एक टैरिफ बॉक्स में रह रहे हैं, और उनके बच्चे अभी भी बिजली नहीं देख पा रहे। लेकिन जो NDRF कर्मचारी 12 घंटे तक पानी में डूबे हुए लोगों को निकाल रहे थे - वो लोग असली हीरो हैं। इनके बिना, ये संख्या 17 नहीं, 170 हो जाती। हमें उनके बारे में भी बात करनी चाहिए।

  4. Debsmita Santra Debsmita Santra
    नवंबर 29, 2025 AT 11:58 पूर्वाह्न

    बाढ़ प्रबंधन के लिए जल निकासी प्रणाली का नवीनीकरण और तटीय क्षेत्रों में निर्माण पर प्रतिबंध अत्यंत आवश्यक है लेकिन इसके साथ ही नागरिक जागरूकता की भी आवश्यकता है क्योंकि बहुत से लोग अभी भी जलाशयों के आसपास बस रहे हैं जो बाढ़ के लिए डिज़ाइन किए गए थे लेकिन अब उन्हें रहने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है और इसके परिणामस्वरूप जीवन और संपत्ति दोनों का नुकसान हो रहा है जिसे हम अभी तक नहीं समझ पा रहे हैं

  5. Vasudha Kamra Vasudha Kamra
    नवंबर 30, 2025 AT 23:20 अपराह्न

    मुझे लगता है कि सरकार की प्रतिक्रिया बहुत तेज़ और सुसंगठित रही। चेन्नई एयरपोर्ट के रनवे को 48 घंटे में साफ करना, राहत केंद्रों को 4967 तक बनाना, और राज्य स्तर पर तैनाती - ये सब एक अच्छी तैयारी का संकेत है। अगर हम इसे सिर्फ आपदा के रूप में नहीं, बल्कि एक अवसर के रूप में देखें - तो ये भविष्य के लिए एक नई नीति का आधार बन सकता है।

  6. Abhinav Rawat Abhinav Rawat
    दिसंबर 1, 2025 AT 07:12 पूर्वाह्न

    क्या तुमने कभी सोचा है कि जब हम शहर बनाते हैं, तो हम वास्तव में किसके लिए बना रहे हैं? क्या हम बारिश के लिए नहीं, बल्कि गाड़ियों के लिए बना रहे हैं? जब एक तूफान आता है, तो हम बाढ़ को दोष देते हैं, लेकिन अगर हमारे पास नालियाँ होतीं, तो क्या ये सब होता? शायद ये सिर्फ एक तूफान नहीं है - शायद ये हमारे संस्कृति का एक दर्पण है।

  7. Shashi Singh Shashi Singh
    दिसंबर 1, 2025 AT 20:39 अपराह्न

    ये सब जानबूझकर हुआ है!!! तुम सोचते हो कि ये तूफान आया? नहीं भाई, ये एक राजनीतिक ऑपरेशन है! अमित शाह ने चेन्नई के जलाशयों को कम करवाया ताकि लोग भाग जाएँ और बाद में उनके जमीन पर नई राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा सके! और वो राहत केंद्र? सिर्फ एक धोखा! वो सब निगरानी के लिए हैं - CCTV, ड्रोन, बायोमेट्रिक्स! अगली बार तुम बारिश के बाद भी बिजली नहीं देख पाओगे - क्योंकि वो अब एक टैक्स बन चुका है!!!

  8. Surbhi Kanda Surbhi Kanda
    दिसंबर 3, 2025 AT 08:34 पूर्वाह्न

    नागरिक अधिकारों के संदर्भ में, बाढ़ के दौरान आवासीय अधिकारों का उल्लंघन हुआ है और राहत केंद्रों में जल और खाने की आपूर्ति के लिए न्यूनतम मानकों का पालन नहीं हुआ है। यह एक आपदा प्रबंधन असफलता है जिसे राज्य के स्तर पर आंतरिक नियंत्रण तंत्र के माध्यम से सुधारा जाना चाहिए। राहत योजनाओं का आंकलन आंकड़ों पर आधारित नहीं होना चाहिए, बल्कि जनता के अनुभव पर।

  9. Sandhiya Ravi Sandhiya Ravi
    दिसंबर 4, 2025 AT 07:31 पूर्वाह्न

    मैंने एक दोस्त को देखा जिसका घर बह गया और उसकी बेटी ने अपना खिलौना बचाया - एक छोटा सा गुड़िया जिसका सिर टूट गया था। उसने उसे अपने हाथ में थामे हुए राहत केंद्र में बैठकर रोया। अब तो लोग बाढ़ की बात कर रहे हैं लेकिन उस गुड़िया की कहानी को कौन सुनेगा? ये आंकड़े नहीं, दिलों की आहें हैं। हमें इन्हें भी गिनना होगा।

  10. JAYESH KOTADIYA JAYESH KOTADIYA
    दिसंबर 5, 2025 AT 06:25 पूर्वाह्न

    भारत जीत गया 😎🔥 बाढ़ में भी हमारी सेना और NDRF ने दुनिया को दिखा दिया कि हम कितने ताकतवर हैं! अमेरिका या चीन को ये सब करने में महीने लग जाते हैं - हमने 48 घंटे में कर दिया! 🇮🇳💪 #IndiaStrong #No1InDisasterResponse

एक टिप्पणी लिखें