
Sun Pharma शेयर में 5% गिरावट, ट्रम्प की 100% टैरिफ घोषणा ने हिलाया बाजार
ट्रम्प की टैरिफ नीति और इसका वैश्विक प्रभाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले सप्ताह एक चौंकाने वाला एनीउन्समेंट किया: 1 अक्टूबर 2025 से सभी ब्रांडेड या पैटेंटेड फ़ार्मास्युटिकल उत्पादों पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा, बशर्ते कंपनी भारत या कहीं और से अमेरिकी बाजार में निर्यात नहीं करती हो। इस घोषणा का मुख्य मकसद अमेरिकी फ़ार्मा मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना था, जिससे कंपनियाँ अगर यूएस में नई फैक्ट्री बना रही हों तो उन्हें टैरिफ से छूट मिलेगी।
ट्रम्प ने यह बात अपने सोशल मीडिया पर सीधे लिखी, जिसमें उन्होंने बताया कि यदि कंपनी ने पहले ही अमेरिकी निर्माण प्रोजेक्ट शुरू कर दिया है, तो वह टैरिफ से मुक्त रहेगी। इस नीति के तहत मौजूद छूट भौगोलिक रूप से सीमित नहीं है; बल्कि यह निर्माण की स्थिति पर निर्भर करती है। असल में, यह नीति उन कंपनियों के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन बन गई है जो अभी तक यूएस में उत्पादन नहीं कर रही थीं।
जैसे ही यह खबर जारी हुई, वैश्विक फ़ार्मा बाजार में तेज़ी से हलचल शुरू हो गई। अंतर्राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल ट्रेडर ने बताया कि कई देशों की कंपनियों ने तुरंत अपनी लॉजिस्टिक योजनाओं को पुनः मूल्यांकन किया, और कुछ ने पहले से यूएस में उत्पादन के लिए नई परियोजनाएं तेज़ी से शुरू करने का संकेत दिया।

Sun Pharma और भारतीय फ़ार्मा सेक्टर पर परिणाम
भारत की सबसे बड़ी दवा कंपनी Sun Pharmaceutical Industries Ltd ने इस पॉलिसी के बाद शेयर बाजार में भारी झटके झेले। 26 सितंबर को कंपनी के शेयर 4.96% गिरकर ₹1,547.25 पर ट्रेड हुए, जो साल का न्यूनतम स्तर माना गया। ये गिरावट उस समय आई जब Sun Pharma ने पिछले महीने 1.5% की मामूली उछाल देखी थी, जिससे इस ड्रॉप का असर और भी ज़्यादा स्पष्ट हुआ।
Sun Pharma का स्पेशियलिटी बिज़नेस, जिसमें Illumya, Cequa, Odomozo, और Winlevi जैसे हाई‑मर्यादा प्रोडक्ट्स शामिल हैं, कंपनी की कुल बिक्री का 19.3% हिस्सा बनाता है। वित्तीय वर्ष 2025 में इस सेक्टर की बिक्री $1.2 बिलियन तक पहुँच गई थी, जिसमें Illumya की बिक्री अकेले $681 मिलियन तक बढ़ी थी। हालांकि कंपनी ने अभी तक यूएस‑आधारित फैक्ट्री से संबंधित विशिष्ट आँकड़े नहीं बताए, लेकिन प्रबंधन ने कहा था कि मौजूदा क्षमता ही पर्याप्त है।
Sun Pharma के अलावा पूरे भारतीय फ़ार्मा इंडस्ट्री पर भी यह टैरिफ लहर समान रूप से प्रभावी रही। निफ़्टी फ़ार्मा इंडेक्स ने 2.3% की गिरावट दर्ज की, जबकि Dr. Reddy’s Laboratories और Cipla जैसे बड़े खिलाड़ियों के शेयरों में भी 4‑5% तक की गिरावट देखी गई। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि टैरिफ का विस्तार जेनरिक दवाओं तक भी हो सकता है, जिससे भारतीय फ़ार्मा निर्यात पर बड़े पैमाने पर असर पड़ेगा।
इन संभावनाओं को देखते हुए, InCred Asset Management के मुख्य विश्लेषक अदित्य खेमका ने कहा कि टैरिफ की सीमा अभी खुली है और यह केवल ब्रांडेड दवाओं तक सीमित नहीं रह सकता। अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने भी सेक्शन 232 की जांच में सभी प्रकार की फ़ार्मास्युटिकल्स, जिनमें प्रिस्क्रिप्शन, ओवर‑द-काउंटर, बायोलॉजिक्स और स्पेशियलिटी ड्रग्स शामिल हैं, को शामिल किया है।
- ट्रम्प की टैरिफ नीति के तहत मौजूदा यूएस प्लांट वाले कंपनियों को छूट।
- निर्माण प्रक्रिया शुरू करने वाले नए निवेशकों को भी मौद्रिक राहत मिलने की संभावना।
- Indian pharma giants को अब अपने उत्पादन रणनीति को पुनः देखना पड़ेगा।
- जेनरिक दवाओं पर टैरिफ लगने की संभावना से निर्यात बाजार में अनिश्चितता बढ़ी।
निवेशकों की नजर अब इस बात पर टिकी है कि अमेरिकी सरकार इस नीति को कैसे लागू करेगी और क्या अतिरिक्त स्पष्ट दिशा‑निर्देश जारी किए जाएंगे। वर्तमान में, अधिकांश कंपनियाँ अपनी आपूर्ति शृंखला को लचीला बनाने के लिए विकल्पों की तलाश में हैं, जिसमें यूएस में नई फ़ैक्ट्री स्थापित करना या मौजूदा अनुबंधों को पुनः मूल्यांकित करना शामिल है।
जबकि Sun Pharma अभी भी विश्व भर में अपनी रॉ एन्ड कंडिशन सप्लाई चेन पर भरोसा करती है, अनिश्चित टैरिफ माहौल ने उन्हें नई योजना बनाने के लिए मजबूर किया है। कंपनी के कॉर्पोरेट रणनीतिकारों ने कहा है कि वे अमेरिकी नियामक निकायों के साथ निरंतर संवाद में रहेंगे और संभावित नयी लागतों को कम करने के लिए वैकल्पिक उत्पादन बेसिस की तलाश करेंगे।
भविष्य में इस टैरिफ के प्रभाव को समझने के लिए न केवल शेयर बाजार बल्कि असली दवा की कीमतों पर भी नज़र रखनी होगी। यदि टैरिफ जारी रहता है, तो यूएस में दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे भारतीय निर्माताओं को फिर से अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में लाभ मिल सकता है – बशर्ते वे उत्पादन को स्थानीय स्तर पर तेज़ी से बढ़ा सकें।
bhargav moparthi
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