
12 अक्टूबर 2025 रविवार का पंचांग: तिथि, नक्षत्र और शुभ मुहूर्त
जब भगवान कार्तिकेय का स्कंद षष्ठी व्रत 12 अक्टूबर 2025, रविवार को मनाया जाएगा, तभी आजतक और अमर उजाला सहित कई प्रमुख हिंदी समाचार स्रोत इस दिन के पंचांग को विस्तार से प्रकाशित करते हैं। यह दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि है, जो दोपहर 02:16 वजे से 02:17 वजे तक चलेगी, उसके बाद सप्तमी तिथि शुरू होगी। पंचांग के अनुसार चंद्रमा मिथुन राशि में, सूर्य कन्या राशि में स्थित रहेंगे, जिससे विभिन्न कार्यों की सफलता के संकेत मिलते हैं।
तिथि व व्रत विवरण
शक संवत् 1947 और विक्रम संवत् 2082 के अंतर्गत यह दिन पंचांग की अति महत्वपूर्ण तिथि माना जाता है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि, जिसे स्कंद षष्ठी व्रत कहा जाता है, इस दिन विशेष श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। भक्त ज्येष्ठा, हवन और कार्तिकेय देव की पूजा करते हैं, जिससे घर‑परिवार में शांति और समृद्धि की कामना होती है।
व्रत के दौरान व्रती को स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनना चाहिए और दही, शर्करा और शीतल पेय से परहेज करना उचित माना जाता है। यदि आप इस दिन कोई महत्वपूर्ण निर्णय ले रहे हैं, तो सूर्यदेव की आराधना करके अपने कार्यों में वैदिक आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
नक्षत्र, योग और करण की जानकारी
नक्षत्र की दृष्टि से, इस दिन दैनिक ट्रिब्यून के अनुसार मृगशिरा नक्षत्र दोपहर 13:36 वजे से 01:36 वजे तक रहता है, जिसके बाद आर्द्रा नक्षत्र की शुरुआत होती है। यह परिवर्तन नई शुरुआत और संकल्प शक्ति को दर्शाता है।
योग की बात करें तो, वरीयान योग पूर्वाह्न 10:55 वजे तक रहेगा, फिर परिधि योग बिल्कुल दोपहर के बाद शुरू हो जाता है। परिधि योग व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी कार्यों के लिए अनुकूल माना जाता है।
करण के अनुसार, वणिज करण दोपर 02:16 वजे तक रहता है, उसके बाद बव करण लागू होता है। वणिज करण में वित्तीय लेन‑देन, निवेश और अनुबंध करने के बड़े अवसर मिलते हैं, इसलिए इस समय के दौरान आर्थिक निर्णय लेना लाभकारी हो सकता है।
शुभ एवं अशुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त की बात करते हुए, अभिजित मुहूर्त सुबह 11:44 वजे से दोपहर 12:30 वजे तक, और विजय मुहूर्त दोपहर 14:03 वजे से 14:50 वजे तक रहेगा। इन समयावधियों में शादी, गृह प्रवेश, व्यवसायिक आरम्भ या नए प्रोजेक्ट की शुरुआत करना अत्यंत फलदायक माना जाता है।
राहु काल तीन अलग‑अलग स्लॉट में बताया गया है: पहला 09:11 वजे से 10:38 वजे तक, दूसरा 16:28 वजे से 17:55 वजे तक और तीसरा 16:30 वजे से 18:00 वजे तक। राहु काल में यात्रा, महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ साइन करना या कोई नई पहल शुरू करना बचना चाहिए।
निशीथ काल रात 23:43 वजे से 00:33 वजे तक रहेगा, इसलिए इस समय में आध्यात्मिक अनुशासन, ध्यान या प्रार्थना करने से गहरा लाभ मिल सकता है। दिशा शूल की स्थिति पश्चिम दिशा में है, इसलिए इस दिन पश्चिम दिशा में यात्रा या नई नींव स्थापित करना अनुशंसित नहीं है।
पंचांग का महत्व और उपयोग
हिंदू पंचांग, जिसका वैदिक पंचांग के नाम से भी परिचय है, समय‑गणना का वैज्ञानिक आधार है। यह पाँच घटकों—तिथि, नक्षत्र, वार, योग, और करण—से बना है। इन पांचों के सामंजस्य से वह कार्य तय होते हैं जो सफलता या विफलता के लिए निर्धारित होते हैं। इस दिन के पंचांग के अनुसार धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों का चयन करना न केवल परंपरा के अनुकूल है, बल्कि इसका व्यावहारिक लाभ भी सिद्ध हुआ है।
सौभाग्य‑शाली उद्यमियों ने बताया कि जब उन्होंने परिधि योग के दौरान अपने स्टार्ट‑अप का पिच किया, तो निवेशकों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। इसी तरह, शिक्षा क्षेत्र में विद्यार्थियों ने वरीयान योग के समय परीक्षा दी, जिससे अंक वृद्धि देखी गई।

भविष्य के लिए उपयोगी सुझाव
- यदि आप घर खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो अभिजित मुहूर्त में दस्तावेज़ साइन करना सबसे सुरक्षित रहेगा।
- व्यवसायिक बैठकें और अनुबंध पर हस्ताक्षर बव करण के बाद से पहले करने से पक्षकारों के बीच समझदारी बढ़ेगी।
- स्वास्थ्य संबंधी जाँच‑पड़ताल या शल्य‑क्रिया वैदिक पंचांग में परिधि योग के दौरान करना फायदेमंद माना गया है।
- पृथ्वी के झुके हुए पश्चिम दिशा में यात्रा से बचें; इसके बजाय उत्तर‑पूर्व या दक्षिण‑पूर्व दिशा के मार्ग चुनें।
- शाकाहारी व्रत के बाद हल्का हल्का फल‑साबुत आहार ग्रहण करने से ऊर्जा उत्पन्न होगी।
मुख्य बिंदु
- 12 अक्टूबर 2025 को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि रहेगी।
- मृगशिरा नक्षत्र दोपहर 13:36‑01:36 तक, फिर आर्द्रा नक्षत्र शुरू।
- अभिजित मुहूर्त 11:44‑12:30, विजय मुहूर्त 14:03‑14:50।
- राहु काल तीन खंडों में: 09:11‑10:38, 16:28‑17:55, 16:30‑18:00.
- सूर्य देव की पूजा से विशेष लाभ की संभावना।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
स्कंद षष्ठी व्रत का क्या महत्व है?
स्कंद षष्ठी व्रत कार्तिकेय देवता को समर्पित है। इस दिन उपवास, हवन और व्रत रखा जाता है, जिससे परिवार में शांति, स्वास्थ्य और आर्थिक समृद्धि की कामना की जाती है। वैदिक ग्रंथों में कहा गया है कि इस दिन की पूजन से घर‑परिवार में रोग‑मुक्ति और उन्नति होती है।
अभिजित मुहूर्त में कौन‑सी गतिविधियाँ करनी उचित हैं?
अभिजित मुहूर्त (11:44‑12:30) को नई व्यवसायिक साझेदारी, घर‑खरीद, शादी या व्रत‑समारोह शुरू करना शुभ माना जाता है। इस दौरान सूर्य एवं मंगल ग्रह की सकारात्मक गति से शुरू किए गए कार्यों में सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
राहु काल के दौरान किन चीजों से बचाव करना चाहिए?
राहु काल में यात्रा, नई जमीनी जगह पर निवेश, बड़े लीग्स या कानूनी दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर करने से बचना चाहिए। यह समय असावधानी, दुर्घटना और वित्तीय उलझन का कारण बन सकता है, इसलिए कार्यक्रम को वैकल्पिक समय पर शेड्यूल करें।
पंचांग में वरीयान योग और परिधि योग का क्या अंतर है?
वरीयान योग (10:55 तक) तेज गति और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है, जो तेज कार्यों एवं निर्णयों के लिए अनुकूल है। परिधि योग दोपहर के बाद आता है और स्थिरता व दीर्घकालिक सफलता के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसलिए, वरीयान योग में छोटे‑छोटे कार्य, परिधि योग में बड़े‑बड़े प्रोजेक्ट शुरू करना फायदेमंद है।
मिथुन नक्षत्र में चंद्रमा का प्रभाव क्या दर्शाता है?
मिथुन नक्षत्र में चंद्रमा संचार, शिक्षा और सामाजिक संबंधों को उजागर करता है। इस समय में नई भाषा सीखना, लेखन या सार्वजनिक मंच पर बोलना लाभदायक रहता है। साथ ही, बुध (मिथुन के स्वरुप) के स्वामी होने से व्यापारिक वार्तालाप में सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
bhargav moparthi
मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।
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आधुनिक धर्मशास्त्र के शैक्षिक गोत्रों में यह स्पष्ट किया गया है कि पंचांग की तिथियों को सरकारी एजेंसियों द्वारा गुप्त रूप से नियंत्रित किया जाता है, जिससे आर्थिक लाभ को अपने ही पक्ष में मोड़ा जाता है। इस विशेष दिन के वाणिज्यिक समय‑निर्धारण को देख कर लगता है कि बड़े वित्तीय संस्थानों ने परिधि योग को अपने शेयर बाजार के उच्चतम प्रदर्शन के साथ समन्वित किया है।
यदि आप इस अवधि में अनुबंध पर हस्ताक्षर कर रहे हैं, तो यह संभव है कि पीछे की शक्ति आपके हितों को धीरे‑धीरे मात दे रही हो। यही कारण है कि मैं सुझाव देता हूँ कि इस पर्व को केवल आध्यात्मिक स्तर पर ही मनाएँ।