
ACC U19 Asia Cup 2024: पाकिस्तान ने भारत को 43 रन से हराया, शाहज़ैब का 159 बना फ़र्क
दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में भारत-पाकिस्तान का यू-19 टकराव शुरू से तगड़ा माना जा रहा था, और पहले ही दिन पाकिस्तान ने स्क्रिप्ट अपने नाम कर ली। शाहज़ैब ख़ान की धमाकेदार 159 रन की पारी और नई गेंद के साथ अनुशासित गेंदबाज़ी ने पाकिस्तान को 43 रन की साफ जीत दिलाई। यह जीत सिर्फ दो अंक नहीं, टूर्नामेंट का टोन सेट करने वाली बयानबाज़ी भी लगी—खासकर इसलिए क्योंकि यह मुकाबला ACC U19 Asia Cup 2024 के ग्रुप-स्टेज की शुरुआती भिड़ंतों में से था।
मैच का बड़ा चित्र: शाहज़ैब का शो, भारत की वापसी की कोशिशें नाकाम
पाकिस्तान ने टॉस जीतकर बल्लेबाज़ी चुनी और यह फैसला पूरे 50 ओवर में सही साबित होता दिखा। टीम ने 281/7 का स्कोर खड़ा किया, जिसमें ओपनर शाहज़ैब ख़ान ने 147 गेंदों पर 159 रन की लंबी पारी खेली। उनकी पारी में धैर्य, स्ट्राइक रोटेशन और सीमाओं पर गहरे शॉट—सब कुछ था। दूसरे छोर से उस्मान ख़ान ने 94 गेंदों पर 60 रन जोड़कर शुरुआती स्टैंड को स्थिर रखा। दोनों के बीच 160 रन की साझेदारी ने भारत की शुरुआती योजनाओं को बिगाड़ दिया।
मध्य ओवरों में भारत ने वापसी की कोशिश की। स्पेल बदलते रहे, लेंथ बदली गई, और पाकिस्तान ने विकेट भी गंवाए। फिर भी शाहज़ैब बीच-बीच में बाउंड्री निकालते रहे—यही वह फ़र्क था जिसने स्कोर को 250 से ऊपर धकेला। भारत के लिए सबसे असरदार गेंदबाज़ समर्थ नगराज रहे, जिन्होंने 3/45 लेकर पारी को ब्रेक दिए। बाकी गेंदबाज़ों ने मेहनत की, लेकिन लंबा शुरुआती स्टैंड दबाव बनाता रहा।
दुबई की पिच आम तौर पर सफ़ेद गेंद पर फ्लैट रहती है, पर शुरुआत में टाइट लेंथ और स्टंप-टू-स्टंप गेंदबाज़ी पर ही डॉट बॉल निकलती हैं। पाकिस्तान ने वही किया—लंबी साझेदारी और कम रिस्क लेकर स्ट्राइक घुमाना—और जब मौका मिला, बाउंड्री निकली। ऐसे टेम्पलेट पर 280+ का स्कोर हमेशा चुनौती देता है, खासकर तब जब दूसरी टीम पीछा करते हुए शुरुआती विकेट खो दे।
भारत का पीछा 282 के टारगेट के साथ शुरू हुआ तो जल्दी झटके लगे और रनरेट दबाव में आ गया। निकिल कुमार ने 67 रन बनाकर पारी थामे रखी और एंड-टू-एंड बैकफ़ुट-फ्रंटफ़ुट का अच्छा मिश्रण दिखाया। लेकिन दूसरे छोर से लगातार साझेदारियाँ नहीं मिल पाईं। कुछ पार्टनरशिप बनते-बनते टूट गईं और जो स्टैंड बने भी, वे मैच का रुख पलटने के लिए उतने बड़े नहीं थे। नतीजा—भारत 47.1 ओवर में 238 पर सिमट गया।
पाकिस्तान के लिए गेंद से अली रज़ा सबसे तेज़-तर्रार दिखे। 9 ओवर में 3/36—ना ज़रूरत से तेज़, ना बेवजह वाइड। उन्होंने ऑफ-स्टंप चैनल पर नियंत्रण रखा, लेंथ को सपोर्ट कराया और बीच-बीच में स्लोअर और नैचुरल वेरिएशन से चूक निकलवाई। उनके साथियों ने भी सही समय पर विकेट लेकर दबाव बनाए रखा। अब्दुल सुब्हान समेत दूसरे गेंदबाज़ों ने स्ट्राइक साझा की, जिससे भारत की पारी कभी रफ़्तार नहीं पकड़ सकी।
कहाँ बदला मैच: टर्निंग पॉइंट्स, रणनीति और आगे का असर
भारत-पाकिस्तान के यू-19 मुकाबले अक्सर इमोशन से भरे होते हैं, लेकिन ऐसे मैच का फैसला अक्सर वही पुराना फॉर्मूला करता है—शुरुआती साझेदारी, मध्य ओवरों की स्थिरता और डेथ में अनुशासन। इस मैच में भी कहानी कुछ ऐसी ही रही।
- 160 की ओपनिंग पार्टनरशिप: शाहज़ैब–उस्मान की जोड़ी ने रिस्क-मिनिमम, रिवार्ड-कंसिस्टेंट क्रिकेट खेली। भारत को स्ट्राइक ब्रेक करना था, जो देर से हुआ।
- शाहज़ैब का 159: बड़ी पारी, लेकिन सबसे बड़ी बात—यह समय लेकर खेली गई। जब-जब विकेट गिरे, वे टिके रहे। यह टेक्निकल और टेम्परामेंट का कॉम्बो था।
- भारत की शुरुआत: जल्दी विकेट और डॉट बॉल पर डॉट बॉल। स्कोरबोर्ड प्रेशर बढ़ा तो शॉट चयन जोखिम भरा होता गया।
- अली रज़ा का स्पेल: मिडल ओवरों में उनकी सटीक लाइन-लेंथ और बदलाव ने रफ़्तार पर ब्रेक लगाया। 3/36 ने भारत की मध्यमक्रम उम्मीदें तोड़ीं।
समर्थ नगराज की गेंदबाज़ी भारत के पॉज़िटिव में रहे। 3/45 के साथ उन्होंने पाकिस्तान के रन-फ्लो पर लगाम लगाई और जब-जब कैच आए, उन्होंने मौके बनाए। लेकिन शुरुआत में भारत को या तो जल्दी सफलताएँ चाहिए थीं या फिर 35-40वें ओवर तक रनरेट 5 के नीचे रखना था—दोनों में कमी रह गई।
रणनीतिक रूप से देखें तो पाकिस्तान का बैट-फ़र्स्ट कॉल सही साबित हुआ। यूएई की परिस्थितियों में शाम ढलते समय गेंद बल्लेबाज़ी के लिए और भी फिसल सकती है, पर यहां स्कोरबोर्ड प्रेशर निर्णायक रहा। पाकिस्तान की फील्डिंग ने भी सिंगल्स पर प्रेशर बनाया—डीप में मिसफ़ील्ड कम दिखी और इनर-रिंग में शार्प थ्रो नजर आए। इससे भारत जैसे-जैसे लक्ष्य के करीब आना चाहता था, वैसे-वैसे उसे बाउंड्री ढूंढ़नी पड़ी और वहीं से जोखिम बढ़ा।
तकनीकी नज़र से शाहज़ैब का गेम आकर्षक लगा। फ्रंट-फ़ुट कवर-ड्राइव, बैकफ़ुट पंच, स्क्वेयर के आसपास पिक-अप—उन्होंने हर एरिया को टच किया। सबसे बड़ी बात—उन्होंने अपने शॉट्स को ओवर-हिट नहीं किया। यही वजह रही कि 147 गेंदों की पारी थकान के बावजूद कंट्रोल में रही।
टूर्नामेंट का परिदृश्य भी इस जीत के साथ दिलचस्प हो गया है। आठ टीमों वाला यह इवेंट 29 नवंबर से 8 दिसंबर तक चलना है। पांच फुल-मेंबर—अफ़गानिस्तान, बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका—के साथ जापान, नेपाल और यूएई क्वालिफायर से आए हैं। लीग स्टेज के बाद टॉप-4 टीमें सेमीफ़ाइनल में जाएंगी। पाकिस्तान ने शुरुआती जीत के साथ नेट रन-रेट और आत्मविश्वास, दोनों मोर्चों पर प्लस हासिल किया।
भारत के लिए अब समीकरण सीधा है—अगले दो लीग मैचों में दमदार जीतें, ताकि सेमीफ़ाइनल की राह आसान बने और नेट रन-रेट सुरक्षित रहे। बेंच सेलेक्शन पर भी नज़र रहेगी—क्या नई गेंद के साथ अलग कॉम्बिनेशन आज़माया जाए? क्या मध्य ओवरों में एक अतिरिक्त स्पिन-ऑप्शन दबाव कम कर सकता है? और सबसे ज़रूरी—टॉप-ऑर्डर से 80-100 की ओपनिंग स्टैंड। इस स्तर पर वही मंच बाद में काम आता है।
दुबई की स्थितियों में बल्लेबाज़ी के दो नियम यहां फिर साबित हुए—पहला, शुरुआत में रिस्क कम रखें और सिंगल्स से रफ्तार बनाएँ; दूसरा, सेट बल्लेबाज़ को अंत तक टिके रहना होगा। पाकिस्तान ने दोनों बॉक्स टिक किए, भारत एक नहीं कर पाया। यही 43 रन का फ़र्क बना।
दिन के अंत में स्कोरकार्ड में कुछ स्पष्ट तस्वीरें हैं—पाकिस्तान 281/7, भारत 238 ऑल आउट, जीत 43 रन से। लेकिन कहानी सिर्फ आंकड़ों की नहीं है। यह मैच दिखाता है कि यू-19 स्तर पर भी टैक्टिकल अनुशासन, संसाधनों का स्मार्ट इस्तेमाल और मानसिक मजबूती कितनी मायने रखती है। पाकिस्तान के पास इस जीत से शुरुआती मोमेंटम है; भारत के पास सुधार का समय है। टूर्नामेंट अभी लंबा है, और ऐसे ही मैच भविष्य के सितारों को आकार देते हैं—ड्रेसिंग रूम में और स्कोरशीट पर, दोनों जगह।
bhargav moparthi
मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।
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ये मैच तो जैसे सिनेमा का क्लाइमैक्स हो! शाहज़ैब ने 159 का जादू बिखेर दिया, और भारत ने सोचा थामा कि हार नहीं मानेंगे, पर फिर भी 43 रन का अंतर बड़ा ज़ोरदार था। मैदान की रौनक, दर्शकों की ताली और हर बॉल पर दिल की धड़कन – सब कुछ एक साथ था। सच में, यवा क्रिकेट का नजारा देखना दिल को छू गया।
वाह, क्या धांसू पारी थी! शाहज़ैब की लकीरें आज के युवा क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। पाकिस्तान की टीम ने अपने प्लान को पूरी तरह लागू किया, और भारत की कोशिशें ज्यों‑ज्यों धुंधली होती गई। अगर अगली बार भारत इस ऊर्जा को समझ ले तो गेम बदल सकता है।
पाकिस्तान की जीत में कई तकनीकी पहलू थे जो अक्सर अनदेखे रह जाते हैं।
सबसे पहले, ओपनिंग साझेदारी ने टीम को स्थिर आधार दिया।
शाहज़ैब ने 159 रन बनाते हुए खुद को एक एंकर की तरह साबित किया।
उसकी स्ट्राइक रोटेशन और सीम के ऊपर पसंदीदा शॉट्स ने स्कोर को निरंतर बढ़ाया।
वही समय, उस्मान ने 60 रन का समर्थन किया, जिससे 160 का साझेदारी बना।
यह साझेदारी भारत की शुरुआती योजना को तुरंत बाधित कर दी।
भारत ने स्पेल बदलते समय भी लगातार विकेट नहीं ले पाया, जिससे दबाव बढ़ता गया।
सपोर्ट टीम की फील्डिंग भी काफ़ी तेज़ थी, कई सिंगल्स पर रोक लगाई।
अली रज़ा की मध्य ओवरों में लाइन‑लेंथ सही रही, और 3/36 की शानदार पेशकारी ने भारत को रुका दिया।
बेलनबाज़ी में उन्होंने बेवजह वाइड नहीं छोड़ी, जिससे कंट्रोल बना रहा।
भारतीय बल्लेबाज़ ने निकिल कुमार के हाथों से 67 रन बनाकर थोड़ा राहत दिया।
परन्तु लगातार साझेदारियों की कमी ने अंततः टीम को 43 रन से पीछे कर दिया।
पाकिस्तान ने बैट‑फर्स्ट का फैसला किया, और यह उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ।
डुबई की पिच पर फॉर्मेशन के हिसाब से कब तक बाउंड्री लगाना है, यह सही समझ में आया।
टूर्नामेंट की रणनीति में नेट‑रन‑रेट को बचाना अब महत्वपूर्ण होगा, और पाकिस्तान ने इसे सटीक रूप से किया।
अब भारत को अगले दो मैचों में मजबूत प्रदर्शन करके अपनी स्थिति सुधारनी होगी, नहीं तो सेमी‑फ़ाइनल में दांव मुश्किल हो सकते हैं।
भाई लोग देखो, पाकिस्तान ने पूरी प्लानिंग के साथ मैच खेला। बल्लेबाज़ी में धीरज और फील्डिंग में तेज़ी दोनों ही दिखी। भारत को आगे की मैचों में भी यही कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।
शाहज़ैब तो कलाकारी में पूरी तरह माहिर है 😂💥 भारत ने कोशिश की पर असली धमाल तो पाकिस्तान की थी 😅👍
वर्तमान में इस जीत को केवल एक परिणाम नहीं बल्कि एक रणनीतिक सिद्धान्त के रूप में देखना चाहिए। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि युवा स्तर पर भी खेल की गहन योजना आवश्यक है, जहाँ प्रत्येक गेंद को परिस्थिति के अनुसार रूपांतरित किया जाता है। इस प्रकार के विश्लेषण से भविष्य के अंतरराष्ट्रीय मंच पर टीमों की तैयारी पर प्रकाश पड़ता है।
भारत की शुरुआत ठीक नहीं रही। विकेट जल्दी गिरे। जबरदस्त दायरा नहीं मिला। अंत में 43 रन का अंतर बना।
देखो यार, पैक्ड बैट्समैन की एंट्री के साथ ही पाकिस्तान ने अपना टॉप ऑर्डर सेट कर दिया, 160‑run प्ले इंटेंस था, काउंटर‑अटैक में उन्होंने फॉर्मूला‑फ़िट बाउंड्री मारते हुए रेट को हाई रखा। ग्राउंड में फील्डिंग भी एग्जीक्यूटिव लेवल पर थी, सिंगल्स पर फ़्लैट कॉन्ट्रॉल बना रखा।
बिल्कुल सही कहा पंकज भाई आपका विश्लेषण बहुत बारीकी से किया है बहुत बढ़िया
Pankaj ji, यह बात बिल्कुल सही है, टीम की रणनीति ने ही जीत तय की
मजा आ गया ये मैच देखके 😎🏏
ग्रुप स्टेज में ऐसे परफॉर्मेंस से टीम की नेट‑रन‑रेट बूम होती है, अब तो सेमी‑फ़ाइनल की राह साफ़ है, बस कंटीन्युस इंटेंसिटी रखनी है।