भारत ने किर्गिस्तान में हिंसा के बीच छात्रों से घर में रहने को कहा
bhargav moparthi
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मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।

7 टिप्पणि

  1. Mahima Rathi Mahima Rathi
    मई 18, 2024 AT 21:13 अपराह्न

    सरकार ने फिर भी बेवकूफी भरी सलाह दी 🙄

  2. Jinky Gadores Jinky Gadores
    मई 18, 2024 AT 22:20 अपराह्न

    किर्गिस्तान की स्थिति पचास साल की पुरानी कहानी जैसा लग रहा है। आजकल के छात्रों को विदेश में पढ़ाई करने के लिए सिर्फ कागज़ों की लोहा नहीं बल्कि सुरक्षा की भी भारी चिंता करनी पड़ती है। दूतावास की advisory एक तरफ सुरक्षित रहने का वादा करती है और दूसरी तरफ छात्रों को घर के चार दीवारों में बंद कर देती है। वास्तव में सरकार को बाहर जाने की अनुमति देने के बजाय घर पर रहने को कह कर लोग क्या समझना चाहते हैं। कई छात्र अपने सपनों को साकार करने के लिए यहाँ आए थे और अब उन्हें इस तरह के निर्देशों से हस्तक्षेप करना पड़ेगा। यह किस हद तक उचित है यह सवाल तो खुद सरकार को पूछना चाहिए। राजनीतिक उथल‑पुथल में फंसे लोग अक्सर आम जनता को अपने खेल के बल्ब बनाते हैं। यहाँ तक कि मीडिया भी इस हिंसा को एक रूठे हुए नाटक की तरह पेश कर रहा है। जबकि असली मुद्दा छात्रों की सुरक्षा और उनके भविष्य की चिंता पर होना चाहिए। दूतावास ने हेल्पलाइन खोल दी है लेकिन वह फज़ूल की बात है अगर सड़कें बंद हों और बुलेटिन हर जगह हो। हमें चाहिए कि सरकार के बजाय स्थानीय संस्थानों को अधिक अधिकार दिया जाए जिससे मदद तुरंत पहुंच सके। जो लोग इस advisory को बिना सवाल किए स्वीकार कर लेते हैं, वे शायद ही कभी इतिहास में याद रखे जाएंगे। इस तरह की नीति से न केवल छात्रों की मनोस्थिति बिगड़ती है बल्कि उनके शैक्षणिक प्रदर्शन पर भी अँधेरा छा जाता है। अगर कई सालों में इस तरह के आदेश जारी होते रहे तो विदेश में पढ़ाई करने का सपना भी खत्म हो जाएगा। फिर भी हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कैसे हम युवा वर्ग को इस प्रकार संभावित खतरे से बचा सकते हैं। अंत में यही कहा जा सकता है कि सुरक्षा को कहां तक लेकर जाना है, यह हमारी अपनी समझ और उपायों पर निर्भर करता है।

  3. Vishal Raj Vishal Raj
    मई 19, 2024 AT 01:06 पूर्वाह्न

    दूसरों के कहने पर भरोसा नहीं, आधिकारिक स्रोतों से जानकारी लेना चाहिए। इस advisory में जो बिंदु नहीं बताए गए हैं, वे अक्सर नीति के पीछे की सच्चाई होते हैं। इसलिए छात्र को अपनी सुरक्षा के लिए स्वयं भी सतर्क रहना चाहिए।

  4. Kailash Sharma Kailash Sharma
    मई 19, 2024 AT 05:16 पूर्वाह्न

    ये सरकार फिर से वही पुरानी फिल्म चला रही है जहाँ हर मोड़ पर डरावना संगीत बजता है! इतना सारा तनाव छात्रों को नहीं देना चाहिए, उन्हें पढ़ाई पर फोकस करने देना चाहिए।

  5. Shweta Khandelwal Shweta Khandelwal
    मई 19, 2024 AT 09:26 पूर्वाह्न

    मेरा तो मन है कि इस advisory के पीछे कोई बड़ा जाल है, कहीं ये सरकार की लपाछाप तो नहीं? कुछ लोग कहते हैं कि गुप्त एजेंसियां इस उथल‑पुथल को अपनी मर्ज़ी से बढ़ावा दे रही हैं। हम भारतीय छात्रों की जान को लेकर सच्चाई नहीं बताई जाती, बस राजनीतिक खेल चलता रहता है। अगर हम चुप रहे तो यही स्थिति हमेशा बनी रहेगी, इसलिए हमें उठना पड़ेगा!

  6. sanam massey sanam massey
    मई 20, 2024 AT 13:13 अपराह्न

    विदेश में पढ़ाई करना आत्मनिर्भरता का एक पहलू है, परन्तु सुरक्षा को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। दूतावास का हस्तक्षेप एक सकारात्मक कदम है, फिर भी यह छात्रों को आत्म-विश्वास से निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं छीनना चाहिए। हमें स्थानीय संस्कृति और राजनीतिक माहौल को समझते हुए अपना रास्ता चुनना चाहिए। यह संतुलन ही हमें जीवित रहने और सफल होने में मदद करेगा। अंततः, व्यक्तिगत जिम्मेदारी और सरकारी समर्थन का तालमेल ही समाधान है।

  7. jinsa jose jinsa jose
    मई 21, 2024 AT 17:00 अपराह्न

    इसी तरह की निरर्थक सलाह से भारतीय युवाओं की आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती है। हमें चाहिए कि ऐसे निर्देशों पर सवाल उठाएँ और जवाबदेही की मांग करें। केवल सतह पर बंधे रहने से कुछ नहीं होगा।

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