बिहार चुनाव 2025: पहले चरण में 52,000 डाक बॉलट, जेल में कैद उम्मीदवारों के समर्थन में लालू और ललन सिंह
बिहार की विधानसभा चुनाव प्रक्रिया अब अपने सबसे तीव्र चरण में है। पहले चरण में 52,000 मतदाताओं ने डाक बॉलट का विकल्प चुना, जबकि चुनाव आयोग ने अभियान के दौरान 6 करोड़ रुपये से अधिक नकदी जब्त की। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं — यह बताता है कि चुनाव कितनी गहराई से समाज में घुस चुका है। और इसके पीछे एक ऐसा राजनीतिक खेल छिपा है, जहां जेल में बंद उम्मीदवारों के नाम पर रैलियां हो रही हैं, और एक समुदाय — भूमिहार — जिसकी आबादी केवल 2.9% है, वह चुनाव का निर्णायक बिंदु बन गया है।
जेल से रैली: लालू प्रसाद और अनंत सिंह की अद्भुत वापसी
3 नवंबर, 2025 को दानापुर में लालू प्रसाद यादव ने अपनी बीमारी के बावजूद एक रैली में हिस्सा लिया। उनका लक्ष्य था — रितल यादव, जो भागलपुर केंद्रीय जेल में बंद हैं। उन पर खाने के लिए बलात्कार, हत्या और बंधक लेने के आरोप हैं। लेकिन यहां कोई नहीं बोल रहा कि यह अनुचित है। बल्कि, लालू के घूंट भर बोलने के बाद लोग चिल्लाए — "लालू जी की जय!" उसी दिन, ललन सिंह और उप मुख्यमंत्री समरत चौधरी ने मोकामा में 30 किमी की रैली निकाली — अनंत सिंह के लिए, जिन पर दुलार चंद यादव की हत्या का आरोप है। यह कोई अपवाद नहीं। यह बिहार की राजनीति की असली तस्वीर है: अपराध और अधिकार के बीच का फासला धुंधला हो चुका है।
भूमिहार: वोट का नया रहस्य
बिहार की आबादी का लगभग तीन प्रतिशत ही भूमिहार है। लेकिन इन 2.9% लोगों के लिए अब चुनाव की राजनीति बन गई है। एनडीए ने 32 भूमिहार उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि महागठबंधन के पास केवल 15 हैं। और यहां तक कि कुछ विधानसभा क्षेत्रों में भूमिहार के खिलाफ भूमिहार लड़ रहे हैं। बिक्रम में कांग्रेस के अमरेश अनिश का मुकाबला उप मुख्यमंत्री विजय सिंह से हो रहा है। पटना के बिक्रम में अनिल कुमार (कांग्रेस) और सिद्धार्थ सौरभ (बीजेपी) के बीच टक्कर है। यह सिर्फ चुनाव नहीं — यह एक समुदाय के भीतर टूटन है।
जेवीसी पोल: तेजश्वी यादव की छाया, बीजेपी का दबदबा
3 नवंबर को जेवीसी द्वारा जारी एक नवीनतम जनमत सर्वेक्षण ने एनडीए को 120-140 सीटों का अनुमान लगाया है। बीजेपी अकेले 70-81 सीटें ले सकती है — यह उसका सबसे बड़ा रिकॉर्ड होगा। लेकिन चुनाव की सच्चाई एक अलग जगह है: तेजश्वी यादव अब बिहार के मुख्यमंत्री बनने के सबसे लोकप्रिय उम्मीदवार हैं। लालू प्रसाद के बाद अब यही नाम लोग गूंज रहे हैं। बीजेपी ने अपने स्टार कैम्पेनर्स में योगी आदित्यनाथ को शामिल किया है — एकमात्र बीजेपी मुख्यमंत्री। यह बताता है कि बिहार का चुनाव सिर्फ बिहार का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एक संकेत है।
कैसे बदल रही है राजनीति की भाषा?
कांग्रेस ने नितीश कुमार सरकार पर आरोप लगाया है कि वह शांति और व्यवस्था के लिए जिम्मेदार नहीं है। लेकिन उनका अपना नेतृत्व भी अब बहुत सवालों के घेरे में है। जबकि बीजेपी ऊपरी जातियों को बनाए रखने के साथ-साथ ओबीसी और दलितों को भी अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही है। निर्भया ट्रस्ट ने सभी दलों को उन उम्मीदवारों को टिकट न देने की अपील की है, जिन पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोप हैं। लेकिन इस बार किसी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया। क्यों? क्योंकि यहां लोग न्याय नहीं, बल्कि विश्वास चाहते हैं।
क्या होगा अगला चरण?
दूसरा चरण 11 नवंबर को होगा, जिसमें बाकी 123 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। वोटिंग की गिनती 12 नवंबर को होगी। अगर एनडीए 120 से अधिक सीटें लेता है, तो यह बिहार में बीजेपी की शक्ति का सबसे बड़ा संकेत होगा। लेकिन अगर महागठबंधन 110 से अधिक सीटें लेता है, तो यह एक ऐसा उलटफेर होगा जिसे देश भर में देखा जाएगा। और यहां एक बात स्पष्ट है — जो भी जीतेगा, वह बिहार की राजनीति को एक नई दिशा देगा। जहां जेल के बाहर रैलियां होती हैं, और जहां एक समुदाय के भीतर टूटन चुनाव का निर्णय लेती है।
पूर्व अनुभव और अब का अंतर
2020 के चुनाव में एनडीए ने 125 सीटें जीती थीं, जबकि महागठबंधन को 110 मिली थीं। उस बार लालू प्रसाद ने अपने नेतृत्व में एक अद्भुत गठबंधन बनाया था। लेकिन अब बात बदल गई है। बीजेपी अब अपने आप में एक शक्ति है। तेजश्वी यादव ने अपने आप को एक नए नेता के रूप में स्थापित किया है। और भूमिहार अब एक अलग वोटिंग ब्लॉक नहीं — वे एक राजनीतिक निर्णयक हैं। इस बार जो भी जीतेगा, वह न केवल बिहार का नेतृत्व करेगा, बल्कि उत्तर भारत की राजनीति के नियम बदल देगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या जेल में बंद उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने का अधिकार है?
हां, भारतीय चुनाव नियमावली के अनुसार, अगर किसी उम्मीदवार पर आरोप लगा है लेकिन उसे अभी तक दोषी नहीं ठहराया गया है, तो वह चुनाव लड़ सकता है। बस उसे न्यायालय की अनुमति और एनसीसी के नियमों का पालन करना होगा। यही कारण है कि रितल यादव और अनंत सिंह जैसे उम्मीदवार अभी भी चुनाव लड़ रहे हैं।
भूमिहार समुदाय इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
भूमिहार समुदाय केवल 2.9% आबादी है, लेकिन ये बिहार के 15 से अधिक जिलों में जमीनदार और राजनीतिक ताकत रखते हैं। वे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में वोट बैंक बनाते हैं। इसलिए दोनों गठबंधन इन्हें अपने लिए जीतने के लिए ताकतवर प्रचार कर रहे हैं।
डाक बॉलट का इस्तेमाल क्यों इतना बढ़ रहा है?
2025 के चुनाव में 52,000 डाक बॉलट दर्ज किए गए हैं — यह 2020 के 18,000 से लगभग तीन गुना है। कारण? बुजुर्ग, बीमार और दूर के इलाकों के लोग अब अपने घरों से वोट डालना चाहते हैं। साथ ही, चुनावी हिंसा के डर से भी लोग इस विकल्प को अपना रहे हैं।
क्या तेजश्वी यादव असल में मुख्यमंत्री बन सकते हैं?
हां, अगर महागठबंधन 120 से अधिक सीटें जीतता है, तो तेजश्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। उनकी युवा छवि, राजनीतिक बातचीत और जनता के बीच लोकप्रियता उन्हें एक अलग नेता बनाती है। लेकिन इसके लिए उन्हें अपने साथी दलों के साथ सहमति बनानी होगी।
क्या बीजेपी अब बिहार में सत्ता बना सकती है?
अगर बीजेपी 75 से अधिक सीटें जीतती है, तो यह पहली बार होगा कि वह बिहार में अकेले सरकार बना सकेगी। लेकिन उसके लिए उन्हें ओबीसी और दलितों के वोट के साथ-साथ भूमिहार वोट भी जीतना होगा। यह एक बड़ा चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है।
चुनाव के बाद क्या होगा नितीश कुमार के साथ?
अगर एनडीए जीतता है, तो नितीश कुमार की भूमिका अस्पष्ट हो जाएगी। उनकी नेतृत्व शैली अब बीजेपी के दबदबे के सामने छोटी लग रही है। अगर वे जीतते हैं, तो वे अपनी जगह बनाने के लिए बीजेपी के साथ नए समझौते की बात करेंगे।
bhargav moparthi
मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।
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