बिहार चुनाव 2025: पहले चरण में 52,000 डाक बॉलट, जेल में कैद उम्मीदवारों के समर्थन में लालू और ललन सिंह
bhargav moparthi
bhargav moparthi

मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।

15 टिप्पणि

  1. shubham jain shubham jain
    नवंबर 4, 2025 AT 07:04 पूर्वाह्न

    डाक बॉलट 52,000 हैं तो फिर भी वोटिंग रेट 40% से नीचे है ये कैसे हो रहा है? आंकड़े झूठ बोलते हैं।

  2. Dinesh Kumar Dinesh Kumar
    नवंबर 4, 2025 AT 19:09 अपराह्न

    ये जेल से रैलियाँ देखकर लगता है जैसे बिहार की राजनीति में अपराधी ही नेता बन रहे हैं! लालू जी के बिना तो ये चुनाव अधूरा है, लेकिन ये जो लोग जेल में हैं, उनके नाम पर रैली करना बेहद अजीब है।

  3. shivam sharma shivam sharma
    नवंबर 5, 2025 AT 16:38 अपराह्न

    ये सब बकवास है भाई साहब अपराधी को टिकट देना ये नहीं कि लोग बुद्धिमान हैं बल्कि वो डर गए हैं ये देश तो अब बस बेकार है

  4. GITA Grupo de Investigação do Treinamento Psicofísico do Atuante GITA Grupo de Investigação do Treinamento Psicofísico do Atuante
    नवंबर 5, 2025 AT 17:07 अपराह्न

    यहाँ की राजनीति में न्याय और अन्याय के बीच का अंतर अब केवल एक अक्षर का है - जब तक आप चुनाव जीत जाते हैं, तब तक आपका अपराध अभी तक एक 'आरोप' बना रहता है। यह न्याय की व्यवस्था नहीं, बल्कि शक्ति की व्याख्या है।

  5. Shreya Prasad Shreya Prasad
    नवंबर 6, 2025 AT 22:48 अपराह्न

    भूमिहार समुदाय की वोटिंग शक्ति को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। यह समुदाय न केवल संख्या में छोटा है, बल्कि राजनीतिक रणनीति में भी एक गहरा असर छोड़ता है। इसकी जटिलता को समझना आवश्यक है।

  6. anil kumar anil kumar
    नवंबर 7, 2025 AT 09:09 पूर्वाह्न

    इस चुनाव में जो भी जीतेगा, वो बिहार का नहीं, बल्कि भारत के लोकतंत्र के अंतिम स्वरूप का परीक्षण होगा। जेल में बंद उम्मीदवारों के लिए रैलियाँ नहीं, बल्कि एक अलग न्याय की अपेक्षा है - जहाँ नाम और निष्क्रियता एक ही चीज़ हैं। ये देश अब न्याय के बजाय नाम की राजनीति कर रहा है।

  7. ritesh srivastav ritesh srivastav
    नवंबर 8, 2025 AT 09:44 पूर्वाह्न

    बीजेपी अकेले सरकार बनाएगी तो ये देश बच जाएगा नहीं तो ये बिहार ही नहीं पूरा देश बर्बाद हो जाएगा

  8. Sanjay Gandhi Sanjay Gandhi
    नवंबर 8, 2025 AT 19:12 अपराह्न

    मैंने देखा एक बूढ़ा आदमी डाक बॉलट भर रहा था - उसकी आँखों में न तो डर था न ही उम्मीद, बस एक अजीब सी थकान। वो वोट नहीं डाल रहा था, बल्कि अपनी ज़िंदगी का अंतिम साक्ष्य दे रहा था।

  9. Rahul Kumar Rahul Kumar
    नवंबर 9, 2025 AT 03:51 पूर्वाह्न

    क्या लोग अब बस नेता के नाम पर वोट दे रहे हैं? जेल या घर, अगर नाम बड़ा है तो वोट मिल जाता है। बस इतना ही।

  10. Srujana Oruganti Srujana Oruganti
    नवंबर 10, 2025 AT 09:12 पूर्वाह्न

    फिर से ये सब बकवास। कोई नहीं बता रहा कि ये सब किसके लिए है।

  11. Pranav s Pranav s
    नवंबर 10, 2025 AT 14:07 अपराह्न

    भूमिहार बस 2.9% हैं पर उन्होंने बिहार को ही बदल दिया है ये है वोटिंग की असली ताकत

  12. Žééshañ Khan Žééshañ Khan
    नवंबर 11, 2025 AT 22:40 अपराह्न

    राजनीतिक नेतृत्व के लिए न्याय की अवधारणा अब एक अतिरिक्त विकल्प बन गई है, न कि एक आवश्यकता। यह देश के नागरिकों के लिए एक विषादजनक विकास है।

  13. Nithya ramani Nithya ramani
    नवंबर 12, 2025 AT 19:32 अपराह्न

    ये चुनाव बस एक निर्णय नहीं, ये तो एक नया शुरुआत है। हर वोट में एक आशा है। आप भी जुड़ें, बदलाव आपसे शुरू होता है।

  14. Ali Zeeshan Javed Ali Zeeshan Javed
    नवंबर 14, 2025 AT 15:37 अपराह्न

    मैं उत्तर प्रदेश से हूँ और ये बिहार की चुनाव रणनीति देखकर लग रहा है कि ये वोटिंग व्यवहार अब बाकी उत्तर भारत के लिए भी मॉडल बन सकता है। भूमिहार जैसे समुदायों की शक्ति को नज़रअंदाज़ न करें।

  15. fatima mohsen fatima mohsen
    नवंबर 14, 2025 AT 16:23 अपराह्न

    जेल में बंद आदमी के लिए रैली करना बेहद बदसूरत है। अगर आप बलात्कारी हैं तो आपको चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। ये न्याय नहीं, ये अपराध का समर्थन है।

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