
PKL सत्र 12: पुनेरी प्लेटन से बृहस्पतिवार तक टॉप टेबल, अर्जुन देशवाल शिखर पर
जब हरियाणा स्टीलर्स ने पिछले सीजन में अपना पहला खिताब जीता, तो सभी ने सोचा था कि इस साल उनका क़दम और तेज़ रहेगा। लेकिन JSW Sports की कारपोरेट मदद के बावजूद, 17 अक्टूबर, 2025 को अपडेट किए गए PKL सत्र 12भारत में टॉप पर पुनेरी प्लेटन ने कब्ज़ा जमा लिया, जबकि दो-तीन बड़े नामों की टीमें अभी भी प्ले‑ऑफ़ के पास पहुंचने के लिये संघर्ष कर रही हैं।
सत्र 12 का सारांश और टीमों की स्थिति
लीग की शुरुआत 29 अगस्त, 2025 को हुई और 76 मैचों के बाद (आज तक 74 मैच पूरे हो चुके हैं) तालिका स्पष्ट रूप से बदलती दिखी। वर्तमान में टॉप‑फ़ोर में जगहें इस प्रकार हैं:
- Q1 – पुनेरी प्लेटन
- Q2 – दबांग दिल्ली K.C.
- Q3 – तेलुगु टाइटन्स
- Q4 – बेंगलुरु बुल्स
पांचवें स्थान पर हरियाणा स्टीलर्स रहे, जो कि पिछले सीजन के चैंपियन होने के बावजूद अभी भी अपने सशक्त राइडर‑डिफेंडर जोड़े को ठोस अंक नहीं दिला पाए हैं। इसी क्रम में गुजरात जायंट्स सातवें, तमिल थलाइवास आठवें, जयपुर पिंक पैंथर्स नौवें और यूपी योद्धा दसवें स्थान पर हैं।
मुख्य खिलाड़ी और उनकी आंकड़े
जब बात कबड्डी में राइडर की आती है, तो अर्जुन देशवाल का नाम सबसे ऊपर है। स्पोर्ट्सबोर्डइंडिया के अनुसार, उन्होंने अब तक 24 रैड पॉइंट्स जमा किए हैं, जिससे वे इस सीजन के टॉप राइडर बन चुके हैं। उनका खेल‑शैली "तेज़‑तीव्र, लेकिन सोच‑समझकर" के नाम से प्रसिद्ध है।
डिफेंडर की बात करें तो मोहम्मदरेज़ा शाद्लुई चियानेह ने सबसे महँगा सौदा किया। गुजरात जायंट्स ने उन्हें 2.23 करोड़ रुपये में खरीदा, जो इस ऑक्शन का सर्वाधिक मूल्य था। वहीं द्यावन दिल्ली K.C. के कैप्टन आशु मलिक ने भी उल्लेखनीय प्रदर्शन दिखाया, विशेषकर उनके ‘सुपर टैकल’ ने कई मैचों में मोड़ बदल दिया।
ऑक्शन के हाईलाइट और आश्चर्यजनक तत्व
ऑक्शन में कुल 100 खिलाड़ियों को अनसोल्ड छोड़ा गया, जिनमें पर्डीप नरवाल जैसे दिग्गज भी शामिल थे। यह सबसे बड़ा चौंकाने वाला तथ्य माना गया, क्योंकि पर्डीप को अक्सर ‘कबड्डी के ब्यूटीफुल बॉय’ कहा जाता है। लर्निंग बताती है कि टीमों ने युवा प्रतिभाओं पर भरोसा दिखाया और अब तक के सबसे महँगे दो ट्रांसफ़र – मोहम्मदरेज़ा और देवांक दलाल (2.205 करोड़ रुपयों) – ने यह स्पष्ट कर दिया कि फाइनेंसियल इकोनॉमी अब भी खेल में बड़ी भूमिका निभा रही है।

प्लेऑफ़ के संभावित परिदृश्य
कौन प्ले‑ऑफ़ में जगह बना पाएगा, यह अभी भी कई कारकों पर निर्भर करता है। विशेषज्ञ कहते हैं, चोट‑प्रबंधन, टीम‑डिप्थ और ‘एकल राइड’ की ताकत—यानी एक ही राइड से कई अंक—इनसे ही खेल का टोन तय होगा। यदि पुनेरी प्लेटन लगातार जीत दर्ज करता रहा, तो वे सीधे टॉप‑फोर में पक्का हो जाएगा। वहीं हरियाणा स्टीलर्स के लिए ‘बॉक्सिंग’ के साथ खतरें साफ़ हैं—कारण वे अभी तक पर्याप्त ‘पॉइंट मैक्सिमाइज़ेशन’ नहीं कर पाए।
इतिहास और भविष्य की दृष्टि
बेंगलुरु बुल्स ने पिछले सीजन में 19 अंक के साथ आख़िरी स्थान पर समाप्त किया था। इस साल वे चौथे स्थान पर हैं, जो बताता है कि टीम की रणनीति और कोच बीसी रमेश ने सही दिशा में बदलाव किए हैं। मौजूदा लीग का फ़ॉर्मेट 12 टीमों के साथ स्थिर बना हुआ है; कोई नई फ्रेंचाइज़ नहीं जुड़ी, न ही कोई टीम निकली। यह स्थिरता प्रशंसकों को अधिक से अधिक उत्साह देता है क्योंकि हर मैच अब ‘क्लैश ऑफ़ टाइटल’ जैसा महसूस होता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
पुनेरी प्लेटन ने टॉप टेबल क्यों हासिल की?
उनकी सफलता का श्रेय मजबूत राइडर‑डिफेंडर सिम्बायोसिस को जाता है। अर्जुन देशवाल के रैड पॉइंट्स और कप्तान अस्लाम इनामदार की टिकाऊ रक्षा ने लगातार जीत दिलाई है। इसके अलावा कोच अजै थाकूर ने खेल‑योजना में ‘जोन‑डिफ़ेंस’ को प्रमुखता दी, जिससे विरोधी टीमों के स्कोरिंग विकल्प सीमित रहे।
ऑक्शन में पर्डीप नरवाल का अनसोल्ड रहना क्या दर्शाता है?
पर्डीप की अनसोल्ड स्थिति से यह स्पष्ट होता है कि फ्रैंचाइज़ लीडरशिप टीमों ने बजट को युवा अंतरराष्ट्रीय प्रतिभाओं पर केंद्रित किया। इससे यह स्पष्ट हुआ कि नकद‑राशि की बड़ी बिंदु कीमत पर भी, टीमें ‘ट्रांसफॉर्मिंग टैलेंट’ को प्राथमिकता दे रही हैं।
प्लेटफॉर्म पर कौन‑से मैच सबसे रोमांचक रहे?
मैच 74 (9 अक्टूबर) जहाँ बेंगलुरु वारियर्स ने केवल 1 अंक से जीत हासिल की, वह सबसे तनावपूर्ण रहा। वहीं मैच 76 (10 अक्टूबर) में U Mumba ने 19‑अंक से बेंगलुरु वारियर्स को हराया, जिससे दर्शकों को ‘सिंगल राइड‑रिवर्सल’ का असली मज़ा मिला।
आगामी प्ले‑ऑफ़ में किन टीमों को सबसे अधिक मौका है?
वर्तमान तालिका और फॉर्म देखते हुए पुनेरी प्लेटन, दबांग दिल्ली K.C., तेलुगु टाइटन्स और बेंगलुरु बुल्स को प्ले‑ऑफ़ के लिए सर्वाधिक संभावना दिखाई देती है। हरियाणा स्टीलर्स को यदि अपने रैडिंग पैरामीटर को बेहतर करके किनारे की खेल‑स्थिति सुधारी तो वे भी क़ीमत‑बढ़ा सकते हैं।
bhargav moparthi
मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।
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पुनेरी प्लेटन की इस शानदार जीत के पीछे रणनीतिक गहराई और राइडर‑डिफेंडर के समन्वय को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। इस सीज़न में अर्जुन देशवाल की रैड पॉइंट्स का ग्राफ़ देखना वास्तव में उत्साहवर्द्धक है🙂।
वर्तमान तालिका के विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि दबांग दिल्ली K.C. की निरंतरता उन्हें टॉप‑फ़ोर में सुरक्षित स्थान प्रदान होगी, बशर्ते कि उनकी डिफ़ेंसिव संरचना में मौजूदा कमजोरी को शीघ्रता से संबोधित किया जाए। यह तथ्य अंडर‑डॉग टीमों की रणनीति के पुनर्मूल्यांकन को भी प्रेरित करेगा।
भले ही हरियाणा स्टीलर्स पिछले सीज़न के चैंपियन थे, लेकिन इस बार उनका प्रदर्शन अपेक्षा से नीचे रहा है; हमें उनके कोचिंग स्टाफ और खिलाडियों के बीच संवाद को सुदृढ़ करने की जरूरत है। ऐसा सहयोगी माहौल बनाना आवश्यक है जिससे टीम का मनोबल पुनः स्थापित हो सके।
वाह! क्या बात है, अब तो हर टीम को लगता है कि सिर्फ महँगा ट्रांसफ़र ही जीत की गारंटी है, जैसे कि मोहम्मदरेज़ा शाद्लुई ने 2.23 करोड़ में खरीदी गई हो। वास्तविकता यह है कि टैक्टिकल इंटेलिजेंस की कमी को कोई भी हाई‑प्राइस ऑक्शन नहीं भर सकता, और यह पूरी लीग के लिए एक बड़ा इशारा है।
ख़ैर, कबड्डी की इस दुनिया में जीत‑हार का चक्र हमेशा घुमता रहता है; आज जो टॉप पर है, कल वही नीचे गिर सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि खिलाड़ियों की मानसिक सहजता और टीम का सामंजस्य आगे की दिशा तय करेगा।
प्लेटन की सफलता के पीछे कई फैक्टर्स हैं, जैसे कि कोच अजै थाकूर की रणनीति और राइडर‑डिफेंडर का संतुलन। लेकिन हमें ये भी देखना चाहिए कि इन्जुरी मैनेजमेंट कितनी प्रभावी है, क्योकि कई बार छोटे इन्जुरी से भी टीम का परफॉर्मेंस गिर जाता है।
इस सीज़न का सबसे बड़ा आकर्षण निस्संदेह अर्जुन देशवाल की रैड पॉइंट्स की तेज़ी है।
उन्होंने सिर्फ आँकड़ों में ही नहीं, बल्कि मैदान में अपने राइड के साथ हर प्रतिद्वंद्वी को चौंका दिया है।
वहीं दबांग दिल्ली K.C. ने अपनी रक्षा में नई रणनीति अपनाई है, जिससे उनके विरोधी अक्सर टैक्टिकल झटका खा रहे हैं।
बेंगलुरु बुल्स का परिवर्तनात्मक यात्रा देखना भी रोमांचक रहा, जहाँ कोच बीसी रमेश ने पूरी टीम को नई ऊर्जा से भर दिया।
इस बीच हरियाणा स्टीलर्स का प्रदर्शन अभी तक अपनी असली क्षमता तक नहीं पहुँच पाया है, जो उनके प्रशंसकों के लिए निराशाजनक है।
जबकि गुजरात जायंट्स ने महँगे ट्रांसफ़र पर भरोसा किया, पर उनके रेंडरिंग में स्थिरता अभी भी प्रश्नचिह्न में है।
टीमें अब युवा प्रतिभा को प्राथमिकता दे रही हैं, जैसा कि पर्डीप नरवाल के अनसोल्ड रहने से स्पष्ट है।
यह बदलाव लीग को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
लेकिन इसका एक नकारात्मक पहलू यह है कि कई बार महँगे दाँव पर लगाए गए खिलाड़ी निराशा ही लाते हैं।
अंततः प्ले‑ऑफ़ में कौनसी टीमें जगह बनायेंगी, यह कई कारकों पर निर्भर करेगा: चोट‑प्रबंधन, टीम‑डिप्थ, और एकल राइड की प्रभावशीलता।
यदि पुनेरी प्लेटन लगातार जीत दर्ज करता रहेगा, तो उनका टॉप‑फ़ोर में पक्का होना लगभग निश्चित है।
दबांग दिल्ली K.C. को भी अपनी मौजूदा फॉर्म को बनाए रखकर आगे बढ़ना चाहिए, नहीं तो उनका स्थान गिर सकता है।
तेलुगु टाइटन्स के पास अभी भी कुछ अनछुए संभावनाएँ हैं, अगर वे अपने डिफ़ेंडर के साथ तालमेल बिठा पाते हैं।
बेंगलुरु बुल्स को थोड़ा और धीरज दिखाना होगा, तभी वे प्ले‑ऑफ़ में एक मजबूत दावेदार बन सकेंगे।
कुल मिलाकर, इस सीज़न में काबड्डी का स्तर अभूतपूर्व है और प्रशंसकों को इसे देखकर अत्यधिक खुशी हो रही है।
यार ये सब बातें तो बड़ी हुई लेकिन असली ड्रामा तो आख़िरी मैच में देखा जाएगा
भाई, इस तरह की अंडरटैस्टेड टीमों को इतना पैसा देना हमारी राष्ट्रीय दिल की धड़कन को चोट पहुंचाता है 😡। हमें अपने खुद के खिलाड़ियों पर भरोसा करना चाहिए, नहीं तो विदेशी साइडर में फँसेंगे।
मैं भी मानता हूँ कि प्लेटन का प्रदर्शन लाजवाब है।
डेटा दिखाता है कि टॉप‑फ़ोर में लगातार रहने वाली टीमें ही प्ले‑ऑफ़ में विजयी होती हैं।