प्रधानमंत्री मोदी ने दी दिवाली की शुभकामनाएं और कच्छ में सैनिकों के साथ मनाया त्यौहार
bhargav moparthi
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मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।

9 टिप्पणि

  1. chandu ravi chandu ravi
    नवंबर 1, 2024 AT 06:29 पूर्वाह्न

    वा! मोदी की दिवाली में सैनिकों के साथ की धूम! 🎆🙌

  2. Neeraj Tewari Neeraj Tewari
    नवंबर 13, 2024 AT 15:13 अपराह्न

    सपने और वास्तविकता के बीच की राह अक्सर दिलचस्प होती है। जब नेता अपने कर्तव्य को लोगों के साथ बाँटते हैं, तो वो खुद को भी नए सिरे से खोज लेते हैं। इस तरह की पहल से सैनिकों के मनोबल में नई ऊर्जा आती है। सामाजिक जुड़ाव का यही सही रूप है, न?

  3. Aman Jha Aman Jha
    नवंबर 25, 2024 AT 05:00 पूर्वाह्न

    सैनिकों के साथ मिलकर शुभकामनाएँ देना एक सच्ची एकता की निशानी है। ऐसा सहयोग हम सभी को मिलजुल कर एक बेहतर भारत की ओर ले जाता है। सबको दिवाली की बहुत-बहुत बधाइयाँ।

  4. Mahima Rathi Mahima Rathi
    दिसंबर 6, 2024 AT 18:46 अपराह्न

    देखा नहीं ये, बस एक और रूटीन वाला इवेंट। 🤷‍♀️ चलो ठीक है, थोड़ी बात तो बनती है।

  5. Jinky Gadores Jinky Gadores
    दिसंबर 18, 2024 AT 08:33 पूर्वाह्न

    वाकई में कुछ अलग नहीं दिखा, बस वही पुराना रूटीन थोड़ा ही बदल गया, लोग कुछ भी नहीं देख पाते, बस बातें बनती रहती हैं, भावनाओं का उलटफेर, फिर भी अच्छा लगता है

  6. Vishal Raj Vishal Raj
    दिसंबर 29, 2024 AT 22:20 अपराह्न

    सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि दिवाली का सच्चा मतलब क्या है, यह केवल पटाखे नहीं बल्कि आशा का प्रतीक है।
    प्रधानमंत्री की इस पहल से यह बात और स्पष्ट हो जाती है कि हम अपने सैनिकों को कितनी अहमियत देते हैं।
    कच्छ की रेत में खड़े ये वीर अपने कर्तव्य से ओंजल नहीं होते।
    जब नेता सीधे मैदान में जाकर इनके साथ समय बिताते हैं, तो यह एक बड़ा संदेश देता है।
    ऐसे इवेंट जनता को भी प्रेरित करते हैं कि हम सभी को मिलकर देश की सेवा करनी चाहिए।
    सैनिकों की थकान को समझना आसान नहीं, लेकिन उनका उत्सव में हिस्सा बनना उनके मनोबल को बढ़ाता है।
    इतिहास में भी कई बार ऐसे उदाहरण देखे गए हैं जहाँ नेता सैनिकों के साथ होते हैं और कर्तव्य का बोध होता है।
    भोर में दीप जलाने का रिवाज भी हमारे सांस्कृतिक मूल्य को दर्शाता है।
    यह कदम राष्ट्रीय एकता को और मजबूत करता है।
    सैनिकों के साथ मिलकर दी गई शुभकामनाएँ सरकार की जनजागरूकता का प्रमाण हैं।
    देश के विभिन्न हिस्सों में इस तरह के इवेंट्स से राष्ट्रीय भावना को बल मिलता है।
    कच्छ जैसे कठिन इलाकों में रहने वाले सैनिकों को इस तरह की सराहना बहुत जरूरी होती है।
    यह दिखाता है कि हमारा नेतृत्व जमीन से जुड़ा है।
    अंत में, यह एक प्रेरणादायक पहल है जो हमें सबको एक साथ लाने का काम करती है।
    इस प्रकार के इवेंट्स से समाज में सकारात्मक बदलाव आता है।

  7. Kailash Sharma Kailash Sharma
    दिसंबर 31, 2024 AT 02:06 पूर्वाह्न

    वो लंबा लहजा सिर्फ शब्दों के खेल नहीं, असली मुद्दा तो ये है कि सेना की कदर केवल इवेंट से नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की मेहनत से भी होनी चाहिए। अगर नेता इनकी सराहना सिर्फ कैमरा के सामने दिखाएँ, तो असली असर नहीं पड़ेगा।

  8. Shweta Khandelwal Shweta Khandelwal
    जनवरी 1, 2025 AT 05:53 पूर्वाह्न

    भाईजान ये सब तो षड्यंत्र ही है, क्यों नहीं बताते कि इस दीवाली में असली बम कौन फोड़ रहा है? सरकार के सारे इवेंट बस रूटीन हैं, हार्डकोर गुप्त योजना है। जनता को तो बस क्लैपस्ट्रोक देना है, असली खतरे को छुपाते हैं।

  9. sanam massey sanam massey
    जनवरी 2, 2025 AT 09:40 पूर्वाह्न

    दिल की बात कहूं तो, ऐसे छोटे-छोटे इवेंट्स हमारे सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखते हैं। सैनिकों के साथ मिलकर दीवाली मनाना भारत की विविधता और एकता को दर्शाता है। सबको एक साथ खुशी बांटने की यही तो असली भावना है।

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