
रवि शास्त्री का 'डक पार्टी' तंज: IND vs NZ टेस्ट में विराट कोहली, केएल राहुल, सरफराज खान की विफलता
प्रारंभिक संघर्ष और क्रिकेट में 'डक' शब्द का महत्व
भारत और न्यूजीलैंड के बीच पहले टेस्ट का दूसरा दिन भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए बेहद निराशाजनक साबित हुआ। क्रिकेट के इतिहास में किसी भी टीम के कम स्कोर वाले दिन के रूप में जब देखा जाता है, तो यह भारतीय टीम के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बन गया। यह मैच न केवल क्रिकेट के हर उत्साही का ध्यान अपनी ओर खींच रहा था, बल्कि भारतीय टीम के प्रदर्शन ने सभी को झकझोर कर रख दिया। पहली पाली में भारत की पूरी टीम केवल 46 रन पर सिमट गई थी और यह टीम के लिए बड़े चिंतन का विषय बन गया है।
रवि शास्त्री की प्रतिक्रिया और 'डक पार्टी' की व्याख्या
पूर्व भारतीय कोच, रवि शास्त्री ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे 'डक पार्टी' करार दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शन को देखकर वह स्तब्ध हैं। एक समय पर विराट कोहली, सरफराज खान, और केएल राहुल जैसे अनुभवी खिलाड़ी, जो कि अपनी विकेटबाजी के लिए मशहूर हैं, बिना कोई रन बनाए पवेलियन लौट चुके थे। रवि शास्त्री, जो कि कमेंट्री बॉक्स का हिस्सा थे, उन्होंने इस असामान्य स्कोरकार्ड को देखकर हंसी-मजाक में इसे 'डक पार्टी' का नाम दिया।
भारतीय टीम की पिच रणनीति पर चर्चा
कैप्टन रोहित शर्मा ने स्वीकार किया कि उन्होंने पिच का गलत आकलन किया और बादलों से ढके मौसम में पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया। हालांकि उन्होंने टीम के इस प्रदर्शन पर निराशा जताई, लेकिन इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति का सामना करने की भावना को भी उजागर किया। लेकिन यह निर्णय निश्चित तौर पर टीम के लिए महंगा साबित हुआ। इस तरह के प्रदर्शन से सबक लेकर आगे कोशिशरत होना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इतिहास में ध्यान देने योग्य घटनाओं का उल्लेख
इतिहास में भारतीय टीम के लिए डक की घटनाएं बहुत कम हैं। साल 1999 का मोहाली टेस्ट मैच एक ऐसा उदाहरण था जब छह भारतीय खिलाड़ी बिना रन बनाए पवेलियन लौटे थे। यह प्रदर्शन तब भी चिंताजनक था और इस बार भी निराशा का कारण बना। 2014 में इंग्लैंड और 2024 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत के छह बल्लेबाज बिना रन बनाए आउट हुए थे।
आंकड़ों की दृष्टि से
भारतीय टीम के प्रदर्शन का यह अशुभ दिन रहा, लेकिन इसके बावजूद यशस्वी जायसवाल ने 13 रन और ऋषभ पंत ने 20 रन बनाकर थोड़ी आशा की किरण दिखाई। हालांकि टीम का कुल प्रदर्शन इस क्षण में प्रशंसा के योग्य नहीं रहा। यहाँ एक ऐसी योजना की जरूरत है जिसका अनुसरण करके टीम टेस्ट क्रिकेट में अपनी छवि को उबार सके।
bhargav moparthi
मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।
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सच में, ये 'डक पार्टी' वाला मज़ाक बस भौहें चढ़ा देता है 😂
बिना रुके मैं कहूँगा कि भारतीय टीम आज जैसे चाय की प्याली में हल्दी मिला हो वैसा बेढंगा दिखा लेकिन फिर भी कुछ लोग कहते हैं कि ये सब अस्थायी है और हमें धैर्य रखना चाहिए
इस बैटिंग लापरवाही का मूल कारण पिच के अंधेरे में टॉस कटाव है।
रोहित ने शुरुआती पिच को समझने में बड़ी गलती की और इसे अपने ही दाव पर नहीं खेला।
सच में कोहली के हाथ में जाने वाली गेंदें जल्दी से पिच से टकराती थीं जैसा कि टेक्स्टबुक में लिखा है।
केएल राहुल की कमजोरी यहाँ साफ़ दिखी क्योंकि उन्होंने समय निकाल कर खेल नहीं पाया।
सरफराज खान का भी वही बर्ताव था जिससे दर्शकों को निराशा हुई।
लेकिन जिस तरह से यशस्वी जायसवाल ने 13 रन बनाकर टीम को थोड़ा किनारा दिया, वह सराहनीय है।
ऋषभ पंत का 20 रन भी इस दीन परिस्थितियों में मोमेंटम बनाने का प्रयास था।
इतिहास को देखें तो 1999 के मोहाली टेस्ट में इसी तरह का एक डक दिखा था जो अब स्मृति में बसा है।
2014 में इंग्लैंड के खिलाफ और 2024 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भी समान स्थिति रही है।
इन सभी मामलों में तकनीकी तैयारी और मानसिक मजबूती की कमी प्रमुख कारण रही है।
अब टीम को चाहिए कि वह पिच को पढ़ने की क्षमता को मजबूत करे और रणनीति बदलें।
इसके साथ ही बॉलिंग समर्थन को भी बेहतर बनाना होगा ताकि बल्लेबाज़ी को एक बार फिर से संतुलित किया जा सके।
बॉडर और स्विंग दोनों को संतुलित कर लीजिए तो स्कोर सीधा ऊपर जाएगा।
अंत में, अगर कोच और खेल प्रबंधन मिलकर इस मुद्दे को हल नहीं करेंगे तो भविष्य में और भी बड़े गिरावट देखनी पड़ सकती है।
इसलिए मेरे विचार में यह समय है कि भारतीय क्रिकेट को नई सोच और कड़ी मेहनत से फिर से सजग किया जाए।
क्या बात है, ऐसा दर्शाने के लिए ही तो इस सत्र को दावत कहा जाता है!
कोई नहीं देखता कि विदेशी पिचें हमारी बैटिंग को जहर कर रही हैं
यह सब मास्टरमाइंड की साजिश है जो अंधेरे में खेल को बिगाड़ती है
हमें अपनी टीम को स्वदेशी बनाकर फिर से खड़ा करना होगा नहीं तो आगे और नुकसान होगा 🙅♀️
क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं है, यह हमारे समाज की एक झलक है
इस तरह की हार हमें हमारी प्रशिक्षण पद्धति और पिच समझ को फिर से आंकने पर मजबूर करती है
अगर हम मिलजुलकर समस्याओं का समाधान खोजें तो अगली बार बेहतर परिणाम मिलेंगे
इसलिए सभी को साथ लेकर चलना जरूरी है, चाहे वह कोच हों या खिलाड़ी
मुझे लगता है कि इस प्रकार की लापरवाही केवल व्यक्तिगत गलती नहीं है, यह एक नैतिक अध्याय है जो हमें टीम की जिम्मेदारी सिखाता है।
खिलाड़ी और प्रबंधन दोनों को इस भावना से सीख लेनी चाहिए और भविष्य में इसी तरह की स्थिति दोहराने से बचना चाहिए।
अरे यार टीम ने तो पूरी तरह फिसल गया 😂 पिच देख के decision लिया था लेकिन लगता है सब कुछ उल्टा हो गया 🤦♂️
आगे देखो टीम के पास अभी भी टैलेंट है हमें बस सही रणनीति चाहिए और हिम्मत रखनी चाहिए