संसद चुनाव 2024: चुनाव आयोग ने जयराम रमेश को अतिरिक्त समय देने से किया इनकार
चुनाव आयोग का कड़ा रुख
चुनाव आयोग (ईसी) ने कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश को अतिरिक्त समय देने से साफ इनकार कर दिया है। रमेश ने गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ यह आरोप लगाया था कि उन्होंने 4 जून को होने वाली वोट गिनती से पहले लगभग 150 जिला मजिस्ट्रेटों और कलेक्टरों को फोन करके प्रभावित करने की कोशिश की थी। ईसी ने रमेश को उनके आरोप के समर्थन में तथ्यों को प्रस्तुत करने के लिए रविवार शाम तक का समय दिया था, जिसे बढ़ाने के लिए रमेश ने एक हफ्ते की मांगी थी।
लेकिन चुनाव आयोग ने उनकी मांग को नकारते हुए उन्हें सोमवार शाम 7 बजे तक का समय दिया है। चुनाव आयोग ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि रमेश के आरोपों का 'गंभीर असर और सीधा संबंध' है और इसके चलते गिनती प्रक्रिया की पवित्रता पर सवाल उठ सकते हैं।
आखिर क्या हैं रमेश के आरोप?
जयराम रमेश ने आरोप लगाया है कि अमित शाह लगातार जिला मजिस्ट्रेटों और कलेक्टरों को फोन करके प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। इन अधिकारियों में रिटर्निंग ऑफिसर और जिला चुनाव अधिकारी भी शामिल हैं। रमेश ने दावा किया कि यह कोशिश मतदान प्रक्रिया की पवित्रता को धूमिल करने के उद्देश्य से की जा रही है।
रमेश ने अपना बयान ऐसे समय में दिया है जब देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक दलों के बीच कटुता बढ़ रही है। विपक्ष लगाातर सरकार और सत्तारूढ़ दल बीजेपी पर निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के आरोप लगा रहा है।
चुनाव आयोग का निश्कर्ष
चुनाव आयोग ने कहा है कि अब तक किसी भी जिला मजिस्ट्रेट या कलेक्टर से अनुचित प्रभाव की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। आयोग ने रमेश से इस मुद्दे पर विस्तृत जवाब मांगा है और इस स्थिति को गंभीरता से लिया है। आयोग ने यह भी साफ किया है कि यदि रमेश अपने दावों को साबित करने में असमर्थ रहते हैं तो यह उनके द्वारा फैलाई जा रही भ्रांतियों के तहत माना जाएगा।
आगे का रास्ता
आने वाले चुनावों में ऐसे आरोप-प्रत्यारोप आम हो सकते हैं। यह देखना होगा कि जयराम रमेश अपने आरोपों के समर्थन में क्या तथ्य प्रस्तुत कर पाते हैं। यदि आयोग द्वारा मांगें गए समय सीमा के भीतर वे प्रमाण नहीं दे पाए तो इनके खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है।
जनता और राजनीतिक दलों को इस पूरे मामले में पारदर्शिता और निष्पक्षता की आवश्यकता है। जनता को भी यह जानने का अधिकार है कि चुनाव प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं हो रहा है और अंततः यह जिम्मेदारी आयोग की है कि वह इस बात का ध्यान रखे कि चुनाव संविधान के नियमों और निर्देशों के तहत संपन्न हो।
Veeran Khatri
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