
सोना कीमत में तेज़ी: दिल्ली‑मुंबई सहित सभी बड़े शहरों में नई ऊँचाई
सोना और चांदी की कीमतों में नई उछाल
22 सितंबर को भारतीय बाजार में कीमती धातुओं ने फिर से उछाल दिखाया। 24‑केरेट सोना राष्ट्रीय औसत ₹11,258 प्रति ग्राम तक पहुंचा, जो पिछले दिन से ₹43 अधिक है। 22‑केरेट की कीमत ₹10,320 और 18‑केरेट की ₹8,444 प्रति ग्राम रही, जिससे पता चलता है कि पिछले हफ्ते के छोटे‑छोटे सुधारों के बाद बाजार मजबूत हो रहा है।
शहर‑दर‑शहर दर देखिए तो:
- दिल्ली: 24K ₹11,273/ग्राम, 22K ₹10,335/ग्राम, 18K ₹8,459/ग्राम
- मुंबई: 10 ग्राम 24K ₹1,10,850, 22K ₹1,01,613 (10 ग्राम)
- न्यू दिल्ली: 10 ग्राम 24K ₹1,10,500, 22K ₹1,01,292 (10 ग्राम)
- बेंगलुरु: इसी रेंज में कीमतें, यानी 24K ₹11,260 लगभग
पिछले पाँच दिनों की गतिशीलता को देखें तो 22 सितंबर‑24 सितंबर तक 24K सोने की कीमत में निरंतर ऊपर की दिशा रही, चाहे कभी‑कभी छोटी‑छोटी गिरावटें आईं। यह पैटर्न दर्शाता है कि उत्सव‑सीजन में खरीदारों की तीव्र मांग जारी है।
सिल्वर का भी रिवर तेज़ है। 22 सितंबर को चांदी ₹135 पर ग्राम थी, जबकि 23 सितंबर को यह ₹138 पर ग्राम पहुँची, यानी ₹3 की बढ़ोतरी। प्रति किलोग्राम कीमत ₹1,38,000 तक पहुंच गई। नई GST दरों के लागू होने से दोनों धातुओं के दाम में अतिरिक्त गति मिली है।

भविष्य की संभावनाएँ और निवेश सुझाव
वित्तीय विश्लेषकों का कहना है कि सोने की कीमतें आगे भी बुलिश रुझान में रह सकती हैं। उन पर असर डालने वाले प्रमुख कारण:
- अमेरिकी फेड की दर‑कट की उम्मीदें। बाजार में कम से कम 25 बेसिस पॉइंट की कट की संभावना दर्ज है, कुछ लोग 50 बेसिस पॉइंट तक देख रहे हैं।
- भौगोलिक तनाव। मध्य‑पूर्व में तनाव, यूरोप में NATO की सक्रियता, और कई क्षेत्रों में सैन्य तनाव सोने को "सुरक्षित आश्रय" बनाते हैं।
- आर्थिक सूचकांक। यू.एस. के खुदरा बिक्री और औद्योगिक उत्पादन ने आशावादी संकेत दिये हैं, लेकिन रोजगार बाजार में मंदी का डर अभी भी बना है।
- रुपया‑डॉलर की दर। रुपये की गिरावट के कारण सोना भारतीय निवेशकों के लिये अधिक आकर्षक बन रहा है।
- उत्सव‑सीजन की तीव्र मांग। दशहरा‑दीपावली तक घर‑घर में सोने की खरीदारी नए रिकॉर्ड बना सकती है।
इन सभी कारकों को देखते हुए विशेषज्ञ "डिप पर बाय" रणनीति की सलाह दे रहे हैं। यानी जब कीमतें थोड़ी गिरें, तब खरीदें, ताकि लंबी अवधि में लाभ बढ़े। उसी के साथ सोना कीमत के साथ जुड़ी अतिरिक्त लागत, जैसे GST और कस्टम ड्यूटी, को ध्यान में रखें।
निवेशकों को बाजार टाइमिंग के साथ साथ अपने पोर्टफोलियो में विविधता रखने की भी सलाह दी गई है। यदि आप केवल सोने में ही नहीं, बल्कि सिल्वर में भी निवेश करना चाहते हैं, तो सिल्वर की तेज़ी से बढ़ती कीमतें एक अच्छा विकल्प हो सकती हैं।
अंत में, यह स्पष्ट है कि भारतीय बाजार अभी वैश्विक रुझानों के साथ तालमेल बिठा रहा है। राष्ट्रीय आर्थिक नीतियों, अंतरराष्ट्रीय दर‑कट संकेतों और मौसमी मांग के मेल से precious metals में निवेश का माहौल सकारात्मक बना हुआ है। आगे के हफ्तों में अगर कीमतें स्थिर या थोड़ी-बहुत उतार‑चढ़ाव दिखाती हैं, तो भी दीर्घकालिक निवेशकों को धीरज रखने की सलाह दी जाती है।
bhargav moparthi
मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।
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भाई आज के सोने के दाम देखकर थोड़ी राहत मिली। दिल्ली‑मुंबई में कीमतें ऊपर जा रही हैं तो सावधानी से निवेश करना चाहिए। छोटे‑छोटे निवेश से धीरे‑धीरे पोर्टफोलियो बनाएं।
दोस्तों सोने का बुलिश ट्रेंड अब स्पष्ट दिख रहा है और हमें पोर्टफोलियो अलोकेशन को रिइन्फोर्स करना चाहिए। हाई‑वॉल्यूम ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी अपनाकर आप रिटर्न मैक्सिमाइज़ कर सकते हैं। न्यूज़ेज़ के अनुसार फेड की दर‑कटिंग उम्मीदें और जियो‑पॉलिटिकल टेंशन दोनों ही बाय‑साइड को फ्यूल दे रहे हैं। इसलिए डिप‑ऑन‑डिप पर एंट्री लेना एक बेस्ट मोमेंट है। एग्ज़ीक्यूटिव लीडर्स भी इस दिशा में सिग्नल जारी कर रहे हैं।
सोने की कीमतों में लगातार ऊपर की दिशा देखी जा रही है यह संकेत देता है कि निवेशकों की रुचि बढ़ी है। राष्ट्रीय औसत ने नया हाई बना लिया है जिससे बाजार में लिक्विडिटी भी बढ़ी है। बड़ी शहरों में कीमतें समान रेंज में रहने से ट्रेडिंग वैरियंस कम हुआ है। इस दौर में डिवर्सिफिकेशन एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि केवल सोने पर निर्भरता रिस्क बढ़ा सकती है। सिल्वर की कीमतों में भी तेजी देखी गई है जो एक अच्छा वैकल्पिक एसेट बन सकता है। फेड की दर‑कट की संभावनाएं बाजार को सपोर्ट करने वाली फैक्टर्स में से एक हैं। मध्य‑पूर्व में तनाव और यूरोप में NATO की एक्टिविटी सोने को सेफ‑हैवेन बनाते हैं। रुपये‑डॉलर की गिरावट भी स्थानीय निवेशकों को आकर्षित करती है। उत्सव‑सीजन में उपभोक्ता मांग में उछाल अपेक्षित है जिससे रिटेल खरीदारों की खरीदारी बढ़ेगी। एक्सपर्ट्स ने “डिप पर बाय” स्ट्रेटेजी की सलाह दी है ताकि कीमतें गिरने पर एंट्री ले सकें। साथ ही GST और कस्टम ड्यूटी जैसे अतिरिक्त खर्चों को भी ध्यान में रखना चाहिए। पोर्टफोलियो में एसेट क्लासेज़ को बैलेन्स रखना लम्बी अवधि में स्थिर रिटर्न दे सकता है। यदि आप लंबी अवधि के निवेशक हैं तो धीरज रखना और मार्केट वैल्यू को ट्रैक करना जरूरी है। छोटे निवेशकों को SIP मॉडल अपनाने से स्टैण्डर्डाइज्ड एंट्री पॉइंट मिल सकता है। अंत में, जोखिम प्रोफाइल को समझते हुए सही एसेट अलोकेशन करना ही सफलता की कुंजी है।
सभी को नमस्ते सोने की बढ़ती कीमतों से थोड़ा उत्साह है। लेकिन ध्यान रखें कि बाजार में उतार‑चढ़ाव रहता है। छोटी रकम से शुरू करें और धीरे‑धीरे पोर्टफोलियो बढ़ाएं। इस तरह जोखिम कम रहेगा।
वाह 24K सोना अब ₹11,273! 😲
भाइयों अब टाइम है गोल्ड में एंट्री का क्योंकि मैक्रो इकोनॉमिक डेटा बुलिश सिग्नल दिखा रहा है। फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स और ऑप्शन्स की वैल्यूएशन आजकल बहुत फेवरेबल है। टेक्निकल एनालिसिस बताता है कि RSI ने ओवरबॉट लेवल को तोड़ा है और अब एंट्री पॉइंट बन सकता है। यदि आप एलिट पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं तो गोल्ड ETF भी एक अच्छा वैरिएंट है। साथ ही सिल्वर का लिवरेज इफ़ेक्ट भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। इस तरह के मल्टी‑एसेट स्ट्रैटेजी से रिटर्न के ऑप्शन बढ़ते हैं।