नीतीश कुमार का नाम बिहार की राजनीति में अक्सर सुर्खियों में रहता है। वे जनता दल (यूनाइटेड) के नेता और कई बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं। उनकी छवि विकास, कानून-व्यवस्था और समाज कल्याण से जोड़ी जाती है, लेकिन साथ ही गठबंधन बदलने के कारण उनकी राजनीति पर बहस भी होती रहती है। इस टैग पेज पर आपको उनसे जुड़ी ताज़ा खबरें, नीतियों की जानकारी और राजनीतिक घटनाओं का संक्षेप मिलेगा।
नीतिश कुमार ने लंबे समय से राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई है। उन्होंने कृषि, सड़क और बिजली जैसे बुनियादी मुद्दों पर काम किया है। 2005 के बाद उनका शासनकाल विकास और प्रशासनिक बदलावों के लिए जाना गया। समय-समय पर उन्होंने गठबंधन बदलकर सरकार बनाई या गिराई — यही कारण है कि उनकी राजनीतिक रणनीति पर अक्सर चर्चा होती है।
वह अमित दीर्घ अनुभव वाले राजनेता हैं जिनकी रणनीतियाँ चुनावों और गठबंधनों में असर दिखाती हैं। 2010 के दशक में और बाद के समय में उनके कदमों ने बिहार की सत्ता समीकरण को बार-बार बदल दिया। हर बार उनके फैसलों का असर विधानसभा और राज्य के आम लोगों पर देखा गया।
नीतिश सरकार की कुछ प्रमुख पहलों में 'सात निश्चय' जैसी योजनाएँ शामिल रही हैं, जिनका मकसद सड़कों, बिजली, पेयजल और अन्य बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करना था। स्थायीत्व के साथ-साथ उन नीतियों का लक्ष्य महिलाओं की सुरक्षा, शौचालय निर्माण और स्कूलों की मजबूती भी रहा है।
कहीं साबितियां भी मिली हैं, तो कई बार आलोचना भी हुई। शराबबंदी, शिक्षा सुधार और कानून-व्यवस्था में सुधार के कदमों को लोग अलग-अलग ढंग से देखते हैं। विकास की रफ्तार, बेरोजगारी और निवेश जैसे मुद्दे अभी भी चुनौतियाँ बने हुए हैं।
राजनीतिक गठबंधनों का असर नीतियों पर साफ दिखता है — कभी सहयोगी बदलते हैं तो प्रशासनिक दिशा में भी परिवर्तन आते हैं। यही वजह है कि चुनावी मौसम में हर कदम पर नजरें टिक जाती हैं।
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दरभंगा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छूने की कोशिश की। मोदी ने शिष्टाचार के अनुसार उन्हें रोका और उनके साथ हाथ मिलाया। इस कार्यक्रम में मोदी ने बिहार में एनडीए सरकार के प्रयासों की सराहना की और राज्य में विकास के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं का उद्घाटन किया। इस घटना के बाद विपक्ष ने नीतीश कुमार की आलोचना की।