करवा चौथ 2025: 10 अक्टूबर, पूजा मुहरत 5:57‑7:11 बजे, चंद्रदयन 8:13 बजे
जब करवा चौथ 2025 का सवाल सामने आया, तो कई लोगों को तारीख के बारे में उलझन रही – क्या यह 9 अक्टूबर है या 10 अक्टूबर? अब स्पष्ट हो गया है कि इस साल का करवा चौथ शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। इस निष्कर्ष पर ड्रिक पंचांग, टाइम्स ऑफ इंडिया और अन्य प्रमुख भारतीय दैनिकों की पुष्टि है।
तारीख और महत्त्वपूर्ण समय
हिंदू कैलेंडर में करवा चौथ कर्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (क्रिस्तान) को पड़ता है, जो नवरात्रि के बाद आता है। चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10:54 बजे शुरू होती है और 10 अक्टूबर की शाम 7:38 बजे समाप्त होती है। इस कारण तिथियों में दो‑दिन का ओवरलैप देखा जाता है, पर परम्परागत गणना के अनुसार वही दिन‑समय महत्त्वपूर्ण होता है जहाँ उपवास चल रहा हो, इसलिए 10 अक्टूबर को ही प्रमुख तिथि माना गया।
पूजा मुहरत और उपवास समय
सभी प्रमुख स्रोतों के अनुसार, इस वर्ष का पूजा मुहरत 10 अक्टूबर को शाम 5:57 बजे से 7:11 बजे तक निर्धारित है। हालांकि ड्रिक पंचांग ने कुछ क्षेत्रों के लिये 5:24‑6:37 बजे का अलग‑अलग समय प्रकाशित किया है, पर अधिकांश मीडिया (टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंडुस्तान टाइम्स, इकनॉमिक टाइम्स) ने 5:57‑7:11 का समर्थन किया है।
उपवास (उपवास समय) सुबह 6:19 बजे शुरू होता है और चंद्रदयन के समय, यानी लगभग 8:13 बजे, समाप्त होता है। इस दौरान महिलाएँ निराल्ला व्रत रखती हैं – कोई खाना‑पीना नहीं। अलग‑अलग समाचार एजेंसियों ने थोड़ा‑बहुत विविधता दिखायी, पर मुख्य रेखा समान है:
- सवेरे 5:43 am – 7:43 pm (ड्रिक पंचांग)
- सुबह 6:08 am – 8:36 pm (इंडियन एक्सप्रेस)
- सुबह 6:19 am – 8:13 pm (टाइम्स ऑफ इंडिया)
विभिन्न स्रोतों के आँकड़े
निम्न तालिका में प्रमुख समाचार पत्रों और कालेंडर साइट्स द्वारा प्रकाशित समय‑सारिणी का तुलनात्मक विवरण दिया गया है:
| स्रोत | पूजा मुहरत | उपवास समय | चंद्रदयन |
|---|---|---|---|
| टाइम्स ऑफ इंडिया | 5:57 pm – 7:11 pm | 6:19 am – 8:13 pm | 8:13 pm |
| हिंदुस्तान टाइम्स | 5:57 pm – 7:11 pm | 6:19 am – 8:13 pm | 8:13 pm |
| इकनॉमिक टाइम्स | 5:57 pm – 7:11 pm | 6:19 am – 8:13 pm | 8:13 pm |
| इंडियन एक्सप्रेस | 5:57 pm – 7:11 pm | 6:08 am – 8:36 pm | 8:36 pm |
| ड्रिक पंचांग | 5:24 pm – 6:37 pm (स्थानीय) | 5:43 am – 7:43 pm | विचलित |
संस्कृतिक महत्त्व और सामाजिक पहलू
करवा चौथ केवल एक व्रत नहीं, बल्कि हिन्दू वैवाहिक बंधन की मजबूती का प्रतीक है। महिलाएँ पूर्वभोर सर्गी (सामान्यतः सास‑बहु द्वारा तैयार) खाकर दिन शुरू करती हैं, फिर दिन भर जल‑और‑भोजन के बिना टिकती हैं। शाम को सामुदायिक पूजा में सम्मिलित होती हैं, जहाँ गाने‑भजनों की ध्वनि और रंग‑बिरंगे कपड़े माहौल को जीवंत बनाते हैं। अंत में, चाँद की रोशनी में एक छलनी (छाननी) से चाँद देख कर महिलाएँ अर्ज्य (पानी) चाँद को अर्पित करती हैं, फिर पति के हाथों से पहला घूंट पानी लेती हैं।
यह आयोजन उत्तर भारत में गहराई से जुड़ा है, पर गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में इसको “अश्विन माह” के अंतर्गत मनाया जाता है, जो उत्तर में कर्तिक माह के समकक्ष है। विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिये भी यह त्यौहार भारतीय संस्कृति की एक झलक बनकर सामने आता है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, करवा चौथ "पति‑पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास का जश्न" है और भारत के बाहर भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
आगामी वर्ष में कैलेंडर और भविष्य की संभावनाएँ
पर्यवेक्षक संगठनों ने बताया कि अगला करवा चौथ गुरुवार, 29 अक्टूबर 2026 को पड़ेगा, जबकि पिछले वर्ष का त्यौहार 20 अक्टूबर 2024 को मनाया गया था। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सूर्य‑चंद्र के सटीक समय के आधार पर उपवास की अवधि में हल्की‑फुल्की विविधता रहेगी, पर मुख्य सिद्धान्त वही रहेगा – पति‑पत्नी के बंधन को सम्मानित करना।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
करवा चौथ 2025 कौन‑से दिन पड़ता है?
करवा चौथ 2025 शुक्रवार, 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह कर्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के अनुसार निर्धारित है।
पूजा मुहरत का सही समय क्या है?
अधिकांश प्रमुख समाचार स्रोतों ने 10 अक्टूबर को शाम 5:57 बजे से 7:11 बजे तक के समय को पूजा मुहरत बताया है। हालांकि कुछ स्थानीय कैलेंडर में 5:24‑6:37 बजे का अलग‑अलग समय भी मिलता है।
उपवास कब शुरू और कब समाप्त होता है?
उपवास आम तौर पर सुबह 6:19 बजे शुरू होता है और चाँद के उदय के साथ, अर्थात लगभग 8:13 बजे, समाप्त होता है। विभिन्न समाचार एजेंसियों ने थोड़ा‑बहुत अंतर बताया है, पर मुख्य रेखा समान रहती है।
करवा चौथ का सामाजिक या सांस्कृतिक महत्व क्या है?
यह त्यौहार वैवाहिक बंधन की दृढ़ता, परस्पर सम्मान और प्रेम को दर्शाता है। महिलाएँ सर्गी लेकर दिन शुरू करती हैं, फिर दिन‑भर निराल्ला व्रत रखती हैं, और चाँद के प्रकाश में पति के हाथों से पहला घूंट पानी लेकर उपवास समाप्त करती हैं। यह रिवाज़ सामाजिक एकजुटता को भी बढ़ाता है।
अगले वर्ष करवा चौथ कब पड़ेगा?
करवा चौथ 2026 गुरुवार, 29 अक्टूबर को आएगा। इससे पहले का करवा चौथ 20 अक्टूबर 2024 को मनाया गया था। यह तिथियाँ हिंदू पंचांग और खगोल विज्ञानीय गणनाओं पर आधारित हैं।
bhargav moparthi
मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।
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Ehh भाई लोग, करवा चौथ के टाइमिंग देखके बहुत खुशी हुई 😊 टाइम्स ऑफ इंडिया ने 5:57‑7:11 बताया है, ड्रिक पंचांग थोड़ा अलग है लेकिन मुद्दा वही। व्रत रेखन वालों को शुभकामनाएँ!
सही बात है, सबको शर्याद और प्यार से व्रत रखें 🙌
ऐसे ही जोश में रहो, परिवार के साथ मिलके त्योहार मनाओ 😊
ये सब टाइम्स फ़्यक हैं, असली टाइम तो सिर्फ हमारे पंचांग में है!
भाई, टाइम ठीक है, बस उत्साह रखो।
करवा चौथ का सांस्कृतिक महत्व केवल वैवाहिक बंधन नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। इस अवसर पर महिलाएँ सुबह सर्गी लेकर दिन शुरू करती हैं और शाम को चाँद देख कर जल अर्पित करती हैं। परिवार के बड़े-बुज़ुर्गों से परम्परा सीखना एवं युवा पीढ़ी को इस रीति‑रिवाज की झलक देना अत्यंत आवश्यक है।
बिलकुल सही, इस प्रकार के रीति‑रिवाज़ों को अगली पीढ़ी तक पहुँचाना ही हमारी जिम्मेदारी है।
समझ में आया कि अलग‑अलग स्रोत थोड़ा‑बहुत समय में अंतर देते हैं, पर मुख्य बात वही रहती है।
भाइयों, करवा चौथ की तारीख अब पक्की हो गई 🙏 सब तैयार रहें!
हां, सही कहा। टाइम्स के हिसाब से पूजा मुहरत 5:57‑7:11 है, इसलिए शाम को विशेष ध्यान देना चाहिए। इस दिन के बाद शुभकामनाएँ!
करवा चौथ का असली मकसद रिश्तों को मजबूत बनाना है
लगता है अधिकांश स्रोत एक ही टाइमिंग को दोहराते हैं, इसलिए भ्रम कम है।
ओह भाई! करवा चौथ की तैयारी में क्या मज़ा है! चलो सब मिलकर बड़ी धूमधाम से मनाते हैं!
बताओ ना, ये टाइमिंग बदलते क्यों हैं? कहीं सरकार के पीछे छुपा साजिश तो नहीं?
हम सभी को करवा चौथ की शुभकामनाएँ। इस त्योहारी मौसम में प्यार और सम्मान को आगे बढ़ाएँ।
करवा चौथ के सन्दर्भ में यह स्पष्ट है कि विभिन्न समाचार एजेंसियों ने समय-सारणी में छोटे‑छोटे अंतर दर्शाए हैं, परंतु प्रमुख पूजा मुहरत तथा उपवास समय का मूल सिद्धान्त अपरिवर्तित रहता है। इस तथ्य को समझकर महिलाएँ अपने व्रत को अधिक सजगता से रख सकती हैं।
करवा चौथ का इतिहास प्राचीन वैदिक ग्रन्थों तक जाता है, जहाँ इसे पति‑पत्नी के बंधन को सुदृढ़ करने का सामाजिक अनुष्ठान माना गया है।
समय की गणना को लेकर विभिन्न पंचांगों में थोड़े‑बहुत अंतर पाये गये हैं, पर मुख्य तिथि और पूजा मुहरत तथा उपवास समय का मूल सिद्धान्त अपरिवर्तित रहता है।
जैसे कि टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया, पूजा मुहरत 5:57 pm से 7:11 pm तक है, जो अधिकांश क्षेत्रों में स्वीकार्य समय है।
ड्रिक पंचांग ने स्थानीय स्तर पर 5:24 pm‑6:37 pm का समय दिया है, पर यह विशेष रूप से कुछ क्षेत्रों में लागू होता है।
उपवास का प्रारम्भ सुबह 6:19 am से होता है और चाँद के उगते ही लगभग 8:13 pm पर समाप्त होता है।
यह समय‑सारिणी न केवल धार्मिक मान्यताओं को प्रतिबिंबित करती है, बल्कि सूर्य‑चन्द्र की गति के साथ सामंजस्य स्थापित करती है।
करवा चौथ के अवसर पर महिलाएँ सर्गी लेकर दिन की शुरुआत करती हैं, जिससे सामाजिक सहयोग का स्वरूप स्पष्ट होता है।
दोपहर में बिना पानी‑और‑भोजन के एक दिन बिताना स्वास्थ्य के लिहाज़ से भी लाभकारी माना जाता है।
शाम को परिवार के बड़े वाले पूजा स्थल पर एकत्रित होते हैं, जहाँ भजन‑कीर्तन के साथ वातावरण पवित्र बन जाता है।
चाँद दिखने पर महिलाएँ छाननी से चाँद देखती हैं और फिर पति के हाथों से पहला गिलास पानी लेती हैं, जो प्रतीकात्मक रूप से सम्मान का संकेत है।
इस रीति‑रिवाज में वैज्ञानिक दृष्टि से भी कुछ लाभ देखे जा सकते हैं, जैसे कि उपवास के दौरान शरीर की डिटॉक्सिफिकेशन प्रक्रिया।
हालांकि आधुनिक समय में जीवनशैली बदल गई है, परन्तु इस परम्परा को बनाए रखना सामाजिक एकता को प्रोत्साहित करता है।
विदेश में रहने वाले भारतीय भी इस त्यौहार को बड़े धूमधाम से मनाते हैं, जिससे सांस्कृतिक पहचान मजबूत होती है।
आगामी वर्ष में करवा चौथ 29 अक्टूबर 2026 को पड़ेगा, जो दर्शाता है कि यह त्यौहार निरंतर चलन में रहेगा।
समुदाय के भीतर इस दिवस को सच्चे मन से मनाने से व्यक्तिगत तथा पारिवारिक संबंधों में गहरी समझ और भरोसा उत्पन्न होता है।
अतः सभी महिलाएँ, चाहे शहर में हों या ग्रामीण क्षेत्रों में, इस पावन दिन को अपने परम्पराओं के अनुसार उचित सम्मान के साथ मनाएँ।
करवा चौथ की मुबारकबाद! 🎉
सभी को करवा चौथ की बधाई इस परम्परा का सम्मान करें