छठ पूजा 2025 का आरंभ 25 अक्टूबर को नहाय खाय से, प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह और नीतीश कुमार ने दिए शुभकामनाएँ
bhargav moparthi
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मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।

13 टिप्पणि

  1. Vitthal Sharma Vitthal Sharma
    अक्तूबर 30, 2025 AT 03:12 पूर्वाह्न

    नहाय खाय बस शुरुआत है, बाकी चार दिन तो असली तपस्या है।

  2. vikram yadav vikram yadav
    अक्तूबर 30, 2025 AT 18:12 अपराह्न

    अमेरिका में छठ का आयोजन देखकर लगा जैसे हमारी संस्कृति दुनिया को दे रही है एक अलग तरह की शुद्धता। मिट्टी के बर्तन, खांडसारी, बिना प्लास्टिक का अर्घ्य - ये सब आधुनिक दुनिया के लिए एक बड़ा संदेश है।

  3. Monika Chrząstek Monika Chrząstek
    अक्तूबर 30, 2025 AT 22:10 अपराह्न

    मैंने पिछले साल बिहार में छठ मनाया था... नदी किनारे खड़ी होकर सूरज को अर्घ्य देते समय लगा जैसे सारा गुस्सा, तनाव, बेचैनी बह गया। ये त्योहार किसी राजनीति का नहीं, बल्कि हर इंसान के अंदर के बच्चे का है। 🙏

  4. Rosy Forte Rosy Forte
    नवंबर 1, 2025 AT 18:09 अपराह्न

    यूनेस्को को लगता है कि यह एक 'अदृश्य सांस्कृतिक विरासत' है? अरे भाई, ये तो एक बहुत ही विकृत, प्राचीन, अनुपयुक्त और आधुनिक विश्व के लिए असंगत रिवाज है - जिसे बचाने की जरूरत नहीं, बल्कि समझने की है। ये निर्जला व्रत, ये नदी में खड़े होना... ये सब एक तरह का आध्यात्मिक बहिष्कार है।

  5. Tamanna Tanni Tamanna Tanni
    नवंबर 2, 2025 AT 06:21 पूर्वाह्न

    मेरी बहन न्यू जर्सी में है, उसने बताया कि वहां के बच्चे अब छठ के गीत गा रहे हैं। उनके घरों में भी मिट्टी के बर्तन लगे हैं। ये न सिर्फ परंपरा बच रही है... ये बदल रही है।

  6. dhananjay pagere dhananjay pagere
    नवंबर 3, 2025 AT 11:12 पूर्वाह्न

    लोग कहते हैं छठ राजनीति से अलग है... पर अगर प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री सब एक साथ शुभकामनाएं दे रहे हैं, तो ये तो बस एक बड़ा सा चुनावी फोटो शूट है। 😒

  7. Sutirtha Bagchi Sutirtha Bagchi
    नवंबर 4, 2025 AT 03:18 पूर्वाह्न

    अरे ये सब बकवास है! नदी में खड़े होकर अर्घ्य देने से क्या होगा? बेटी का स्वास्थ्य तो डॉक्टर ठीक करेगा! और गुड़ के बजाय चीनी डाल दो ना! 😤

  8. Shrikant Kakhandaki Shrikant Kakhandaki
    नवंबर 5, 2025 AT 05:36 पूर्वाह्न

    यूनेस्को छठ को बचाना चाहता है? ये तो सिर्फ एक बड़ा धोखा है! असल में ये एक ऐसी चाल है जिससे बिहार की संस्कृति को राष्ट्रीय प्रचार के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है! और नीतीश कुमार ने 2018 में प्लास्टिक पर रोक लगाई? ये तो बस अपनी तस्वीरें बढ़ाने के लिए! लोग नहीं जानते कि असल में क्या चल रहा है!

  9. Abhishek Deshpande Abhishek Deshpande
    नवंबर 5, 2025 AT 11:45 पूर्वाह्न

    यहाँ एक बात ध्यान देने लायक है: छठ के दौरान निर्जला व्रत का उद्देश्य आत्म-नियंत्रण है, लेकिन आधुनिक मनोविज्ञान के अनुसार, लंबे समय तक पानी न पीने से अवसाद, उत्तेजना और असंतुलित हार्मोन लेवल हो सकते हैं। यह रिवाज शायद ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन आज के वैज्ञानिक ज्ञान के साथ इसे अनुकूलित किया जाना चाहिए।

  10. Hannah John Hannah John
    नवंबर 7, 2025 AT 07:00 पूर्वाह्न

    क्या आपने कभी सोचा कि छठ का सूर्य असल में एक एलियन बैकग्राउंड सिग्नल है? जो नदी के पानी में छिपा हुआ है? ये सब जो हो रहा है... ये एक बड़ा वैज्ञानिक एक्सपेरिमेंट है जिसे हम नहीं समझ पा रहे। और हाँ... गुड़ भी एक ट्रैकर है।

  11. Yogesh Dhakne Yogesh Dhakne
    नवंबर 8, 2025 AT 11:22 पूर्वाह्न

    मैं अमेरिका में रहता हूँ... यहाँ हम छठ पर बड़े बड़े लोगों को नहीं देखते, बल्कि छोटे बच्चों को देखते हैं जो अर्घ्य चढ़ाते हैं। वो भी अपने घर के बरामदे में। शायद यही असली छठ है - जो बिना शोर के, बिना फोटो के, बिना ट्वीट के होती है। 🌅

  12. kuldeep pandey kuldeep pandey
    नवंबर 8, 2025 AT 19:29 अपराह्न

    और फिर भी कोई नहीं बोलता कि ये सब एक धार्मिक नाटक है... जिसमें नेता अपने चेहरे को बचाते हैं, और लोग अपने दिल को बचाने की कोशिश करते हैं। बहुत सुंदर है... बहुत दर्दनाक है।

  13. chandra aja chandra aja
    नवंबर 10, 2025 AT 04:52 पूर्वाह्न

    छठ का आयोजन अमेरिका में? ये तो अब एक बड़ा भारतीय नेशनलिस्ट प्रचार है। यूनेस्को के लिए ये एक तरह का 'सांस्कृतिक आक्रमण' है। और गुड़ का इस्तेमाल? वो तो बस एक बड़ा शास्त्रीय धोखा है - असल में ये सब एक गुप्त आयुर्वेदिक एजेंसी का नेटवर्क है जो जनता को नियंत्रित कर रही है।

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