यह समय है अपने बिजली बिल और नियमों से थोड़ी आज़ादी पाने का। सौर ऊर्जा अब महंगी तकनीक नहीं रही—छत पर लगाए जाने वाले पैनल छोटे घर से लेकर व्यापार तक किफायती विकल्प बन रहे हैं। यहाँ सीधे और काम की सलाह मिलेंगी: किस पैनल को चुनें, इंस्टालेशन में क्या देखना चाहिए और पैसे की बचत कितनी होगी।
सबसे पहले अपनी जरूरत समझिए। रोज़ाना और महीने का औसत बिजली उपयोग (kWh) देखिए। उसके बाद सिस्टम साइज तय करें: 1 kW सिस्टम औसतन 3–5 यूनिट रोज़ दे सकता है, इलाके के सूरज की उपलब्धता पर निर्भर करता है।
पैनल के प्रकार:
इन्वर्टर और बैटरी पर ध्यान दें। अगर आप ग्रिड से जुड़ना चाहते हैं तो शेयर करना आसान रहता है; ऑफ-ग्रिड के लिए अच्छी बैटरी (अक्सर लिथियम-आयन) जरूरी है।
इंस्टॉल करते समय ये बातें नज़र में रखें:
रख-रखाव आसान है: पैनल को हर 3–6 महीने पर साफ करें, कनेक्शन और फ्रेम की जाँच साल में एक बार कराएं, और प्रदर्शन मोनिटरिंग लगाने से पता चलता है जब सिस्टम expected आउटपुट से कम दे रहा हो।
पैसे की बात करें तो, रूफटॉप सोलर का payback आम तौर पर 3–7 साल के बीच होता है—आपके बिजली दर, सिस्टम साइज और सब्सिडी पर निर्भर करता है। सरकार के रूफटॉप सोलर स्कीम और कुछ राज्यों की सब्सिडी से शुरुआती लागत कम हो सकती है।
अगर आप शुरुआत कर रहे हैं तो छोटे सिस्टम से शुरू करें, भरोसेमंद इंस्टॉलर चुनें और गारंटी व वारंटी के कागजात संभाल कर रखें। सौर ऊर्जा आपके खर्च और पर्यावरण दोनों के लिए फायदेमंद हो सकती है—पर सही चयन और नियमित ध्यान जरूरी है।
चाहिए तो आपकी छत के लिए एक साधारण अनुमान निकालकर दे सकता हूँ—अपना रोज़ाना kWh बताइए, मैं बताऊँगा कितने kW का सिस्टम और अनुमानित बचत।
भारत के सौर ऊर्जा क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभाने वाली वारे एनर्जीज़ 21 अक्टूबर से आईपीओ लॉन्च करने की तैयारी में है, जिसका समापन 23 अक्टूबर को होगा। ताज़ी शेयर बिक्री से ₹3,600 करोड़ और 48 लाख शेयरों की बिक्री के माध्य से पूंजी जुटाई जाएगी। कंपनी ओडिशा में 6GW उत्पादन क्षमता स्थापित करने की योजना बना रही है।