ऑक्टोबर 2025 में भारत के IPO बाजार ने $5 बिलियन का रिकॉर्ड तोड़ा, टाटा कैपिटल और LG इलेक्ट्रॉनिक्स भारत चमके
जब टाटा कैपिटल ने $1.7 बिलियन की रिकॉर्ड‑बद्ध सार्वजनिक पेशकश की, और साथ ही LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया ने $2 बिलियन की पेशकश की, तब भारत के दालाल स्ट्रीट पर एक अद्वितीय IPO सप्ताह शुरू हुआ। यह महीना, यानी अक्टूबर 2025, $5 बिलियन से ऊपर के डील्स को पार करने की कगार पर है, जो भारतीय पूँजी बाजार के लिए एक नया मील का पत्थर है। निवेशकों को अब दोनों बड़े‑बड़े ऑफ़र में हिस्सेदारी पाने के लिए कठिन विकल्प बनाने पड़ेगा, क्योंकि कुल मिलाकर ये दो ऑफ़र लगभग ₹27,000 करोड़ के मूल्यांकन को छू रहे हैं।
बाजार का मौजूदा माहौल और पृष्ठभूमि
अक्टूबर 2025 की इस लहर के पहले महीनों में भी भारतीय इक्विटी बाजार ने स्थिर उछाल देखा था। राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के अनुसार, 2025 की पहली छह महीनों में 180 से अधिक IPO फ़ाइलें हुईं, लेकिन उनका औसत क्लोज़िंग प्राइस केवल 1.3 गुना था। तब से अब तक दो सबसे बड़े ऑफ़र संपूर्ण बाजार के जोश को नई ऊँचाइयों पर ले गए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस उत्साह का कारण दो बातों में निहित है: (i) भारत में उपभोक्ता मांग का तेजी से बढ़ना, और (ii) विदेशी कंपनियों का भारतीय बाजार में दीर्घकालिक निवेश की इच्छा। इस संदर्भ में, अक्टूबर 2025 IPO सप्ताहमुंबई का उल्लेख करना आवश्यक है, क्योंकि इस इवेंट ने इक्विटी बाजार को नई तरंगें दीं।
टाटा कैपिटल IPO की गहरी झलक
टाटा समूह के वित्तीय सहायक टाटा कैपिटल का IPO, 25 अक्टूबर को इश्यू किया गया, जिसकी कुल इश्यूज़ राशि $1.7 बिलियन (₹14,150 करोड़) थी। इस ऑफ़र में 1.65 करोड़ शेयर शामिल थे, जो 3 वर्ष की आय वृद्धि को दर्शाते हैं। टाटा कैपिटल ने इस इश्यू से राजस्व नहीं उठाया; यह पूरी तरह से ऑफ़र‑फ़ॉर‑सेल था, जिसका मकसद मौजूदा शेयरधारकों को भागीदारी का अवसर देना था।
टाटा समूह के सीईओ अभिषेक जैन ने कहा, "हमारी रणनीति हमेशा दीर्घकालिक मूल्य सृजन पर केन्द्रित रही है, और आज का IPO हमारे ग्राहकों और निवेशकों को हमारे भविष्य में भागीदारी का अवसर प्रदान करता है।"
- प्राइस बैंड: ₹2,800 – ₹3,200 प्रति शेयर
- इश्यू आकार: 1.65 करोड़ शेयर
- कुल वैल्यूएशन: ₹23,200 करोड़
LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया का वैभव
दूसरी ओर, कोरियाई इलेक्ट्रॉनिक्स दिग्गज LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया ने $2 बिलियन मूल्य के ऑफ़र के साथ बाजार में धूम मचा दी। यह ऑफ़र 30 अक्टूबर को लॉन्च किया गया, जिसमें 1.08 करोड़ शेयर ₹1,080 – ₹1,140 के बैंड में बेचे गए। कुल वैल्यूएशन रु 73,380 करोड़ बताया गया।
LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया का सबसे बड़ा आकर्षण इसका घरेलू एप्लायंसेज में लगभग 77 % ऑफ़लाइन रिटेल शेयर है, और भारत में दो बड़े मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स – पुना और नोएडा – की क्षमता 1.45 क्रोर यूनिट प्रति वर्ष है। इन प्लांट्स से निर्मित प्रोडक्ट्स केवल भारतीय बाजार में ही नहीं, बल्कि निर्यात के लिए भी तैयार होते हैं।
LG के भारत प्रमुख, सुजाता मेहता ने कहा, "हमारा लक्ष्य भारतीय उपभोक्ता को बेहतरीन, भरोसेमंद और किफायती उपकरण प्रदान करना है, और इस IPO से हमें अपने विस्तार के लिए अतिरिक्त पूँजी नहीं बल्कि बाजार मान्यता प्राप्त होती है।"
- प्राइस बैंड: ₹1,080 – ₹1,140 प्रति शेयर
- इश्यू आकार: 1.08 करोड़ शेयर
- कुल वैल्यूएशन: ₹73,380 करोड़
- ऑफ़र‑फ़ॉर‑सेल: हाँ (कोई नई धनराशि नहीं)
निवेशकों की प्रतिक्रिया और अलोकेशन चुनौतियाँ
रिटेल एवं संस्थागत निवेशकों दोनों ने इस सप्ताह के दो बड़े IPO को "ब्लॉकबस्टर" कहा। बेंचमार्क फंड मैनेजर रवीश सिंह ने कहा, "टाटा कैपिटल का वैल्यूएशन वाजिब है, पर LG का ऑफ़र‑फ़ॉर‑सेल मॉडल थोड़ा असामान्य है, जिससे संस्थागत भागीदारी बढ़ सकती है।" वहीं रिटेल निवेशकों को सीमित अलोकेशन मिलने के कारण क्यूँकशन जॉब्स पर लाइनें लग गईं।
बाजार में एक सर्वेक्षण के अनुसार, 62 % रिटेल निवेशकों ने कहा कि उन्होंने टाटा कैपिटल के शेयर में हिस्सा नहीं ले पाया, जबकि 48 % ने LG के शेयर पर झुकाव दिखाया। यह अंतर मुख्यतः मूल्य बैंड और संभावित लिक्विडिटी के कारण है।
भविष्य के लिए प्रभाव और आगे की संभावनाएँ
विश्लेषक मानते हैं कि इस दो‑प्रमुख ऑफ़र के बाद, 2025 के अंत तक भारतीय IPO बाजार में $10 बिलियन के वार्षिक डील वैल्यू का लक्ष्य बन सकता है। यदि सभी बड़े‑बड़े कंपनियां इस गति को बनाए रखें, तो अगले दो वर्षों में 5 से अधिक $1 बिलियन‑से अधिक के ऑफ़र देखे जा सकते हैं। यह न केवल पूँजी बाजार की तरलता बढ़ाएगा, बल्कि कंपनियों को अधिक पारदर्शी बनाकर निवेशकों के भरोसे को भी सुदृढ़ करेगा।
वित्त मंत्री नितीन बेनेट ने मौखिक रूप में कहा, "हम निवेशकों के हित में सभी आवश्यक नियामक कदम उठाते रहेंगे, ताकि भारत को विश्व के सबसे आकर्षक IPO गंतव्य के रूप में स्थापित किया जा सके।"
पिछले IPO ट्रेंड और ऐतिहासिक तुलना
इतिहास में, 2020 के दौरान भारत ने केवल $2.3 बिलियन के IPOs देखे थे, जबकि 2023 में यह आंकड़ा $4.1 बिलियन तक बढ़ा। अब 2025 के इस महीने में $5 बिलियन की सीमा पार करने की उम्मीद है, जिससे पिछले साल की तुलना में 22 % की उछाल आएगी। टाटा कैपिटल और LG के अलावा, पिछले साल के दो बड़े IPOs – रिलायंस जियो और एंजेल पॉलिसी ग्रुप – ने भी बाजार को ऊर्जा दी थी, लेकिन उनकी वैल्यूएशन इस साल की तुलना में कम थी।
मुख्य बिंदु (Key Facts)
- ऑक्टूबर 2025 में कुल IPO वैल्यू लक्ष्य: $5 बिलियन से अधिक
- टाटा कैपिटल IPO वैल्यू: $1.7 बिलियन (₹14,150 करोड़)
- LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया ऑफ़र वैल्यू: $2 बिलियन (₹16,700 करोड़)
- LG के दो मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स: पुना और नोएडा, क्षमता 1.45 क्रोर यूनिट/वर्ष
- रिटेल अलोकेशन तनाव: 62 % टाटा कैपिटल, 48 % LG में परेशानी
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
टाटा कैपिटल IPO में निवेश क्यों आकर्षक है?
टाटा कैपिटल ने वित्तीय सेवाओं में मजबूत बुनियादी संरचना बनायी है, 2024‑25 में 15 % की आय वृद्धि दर्ज की। इसके अलावा, टाटा समूह की ब्रांड शक्ति और विस्तृत डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क इसे दीर्घकालिक निवेशकों के लिए सुरक्षित विकल्प बनाते हैं।
LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया का ऑफ़र‑फ़ॉर‑सेल मॉडल क्या है?
यह मॉडल मौजूदा शेयरधारकों को अपने हिस्से बेचने की अनुमति देता है, जबकि कंपनी नई पूँजी नहीं जुटाती। इस तरह कंपनी का मौजूदा संरचना बदलने के बिना शेयर मूल्य को मार्केट में स्थापित किया जाता है।
ऑक्टूबर 2025 में IPO बाजार पर कौन से जोखिम हैं?
मुख्य जोखिमों में वैकल्पिक निवेश विकल्पों से जुड़ी धनरासी का प्रतिस्पर्धात्मक आकर्षण, अंत:स्थलीय बाजार में मंदी, और वैश्विक ब्याज दरों में वृद्धि से इक्विटी की आकर्षकता घटने की संभावना शामिल है।
भविष्य में भारत में किन क्षेत्रों के IPO संभावित हैं?
टेक्नोलॉजी स्टार्ट‑अप्स, नवीकरणीय ऊर्जा, और हेल्थकेयर उपकरण निर्माता इस साल के अंत तक $1 बिलियन‑से अधिक वैल्यू के IPO लाँच करने की योजना बना रहे हैं। सरकारी प्रोत्साहन इन सेक्टर्स को और आकर्षक बना रहा है।
रिटेल निवेशकों को अलोकेशन चुनौतियों से निपटने के लिए क्या करना चाहिए?
रिटेल निवेशकों को विभिन्न ब्रोकर प्लेटफ़ॉर्म पर एक साथ आवेदन करना चाहिए, छोटे‑छोटे ट्रेडिंग अकाउंट्स में भाग लेना चाहिए और IPO के लिए कम‑से‑कम 0.5 % की हायरिंग लाइन्स पर ध्यान देना चाहिए, जिससे उनका चयनित होने की संभावना बढ़ती है।
bhargav moparthi
मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।
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बाजार की लहरों को देखते हुए यह कहना आसान नहीं कि यह सिर्फ एक संख्यात्मक सफलता है। वास्तविक अर्थ यह है कि निवेशकों की विश्वास की सीमा लगातार विस्तारित हो रही है। जब दो बड़े नाम साथ‑साथ आते हैं, तो यह पूँजी के प्रवाह में एक नया दिशा‑संकेत बन जाता है। इस पहल को समझने के लिये हमें केवल आँकड़ों से नहीं, बल्कि वित्तीय पारिस्थितिकी के बदलाव से भी जुड़ना चाहिए।
सच कहूँ तो ये दो IPO का धूमधाम थोड़ा ज्यादा ही शोर कर रहा है। टाटा कैपिटल का वैल्यूएशन ठीक है, पर LG का ऑफ़र‑फ़ॉर‑सेल मॉडल थोड़ा उलझन भरा लग रहा है। रिटेल निवेशकों को समान अवसर नहीं मिला, यही सबसे बड़ी समस्या है। अंत में, यह देखना बाकी है कि बाजार इन दो दिग्गजों से कितना फायदा उठाता है।
वर्तमान पूँजी बाजार की मैक्रोइकॉनॉमिक फ्रेमवर्क के अंतर्गत, दो प्रमुख एंट्रीज का एकत्रित वैल्यूएशन $5 बिलियन से अधिक होना एक स्ट्रैटेजिक माइलबॉर्न माना जा सकता है। टाटा कैपिटल का इश्यू, फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर में बैंकरोलिंग सॉल्यूशन्स को एन्हांस कर सकता है, जबकि LG इलेक्ट्रॉनिक्स की कॉरपोरेट गवर्नेंस स्ट्रक्चर ऑफर‑फ़ॉर‑सेल मॉडल के प्रति निवेशकों के रिस्क प्रोफ़ाइल को रीडिफ़ाइन कर सकती है। इन दोनों स्थितियों में अलोकेशन मैकेनिज़्म का इम्प्लिकेशन इन्स्टिट्यूशनल एंगेजमेंट पर भी प्रत्यक्ष प्रभाव डालेगा। इससाथ, रेगुलेटरी कंप्लायंस और मार्केट लिक्विडिटी पैरामीटर्स को भी पुनः मूल्यांकन करने की आवश्यकता होगी।
ओह, आप तो बिल्कुल सही पकड़े हैं-जैसे टाटा कैपिटल का ग्रोथ नंबर सुनते‑ही हमें बुख़ार आ जाता है, और LG का “ऑफ़र‑फ़ॉर‑सेल” जैसे जादू की छड़ी से सभी दिमाग़ झूमते हैं 😏। असल में, ये सभी फैंसी शब्द सिर्फ मार्केट को शोभा देने के लिए हैं, न कि रिटेल निवेशकों को असली लाभ पहुँचाने के लिए।
मैं इस महाकाव्य IPO सप्ताह को देख कर उत्साहित हूँ क्योंकि यह भारतीय इक्विटी बाजार की नई ज्वाला को दर्शाता है। सबसे पहले, टाटा कैपिटल का इश्यू हमारे वित्तीय इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ करने में मदद करेगा। दूसरी ओर, LG इलेक्ट्रॉनिक्स की पेज़ीशन हमारी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी। इस दो‑स्तरीय प्रवेश से न केवल पूँजी का प्रवाह बढ़ेगा, बल्कि निवेशकों में विश्वास भी गहरा होगा। रिटेल वर्ग को अलोकेशन की परेशानी का सामना कर रहा है, पर यह भी एक संकेत है कि बाजार की मांग अभी भी प्रचंड है। संस्थागत निवेशकों के लिए यह अवसर जोखिम‑प्रबंधन के साथ उच्च रिटर्न की संभावना प्रस्तुत कर रहा है। इस बीच, नियामक संस्थाएँ भी सख्त नियमों के साथ पारदर्शिता को बढ़ावा दे रही हैं। यह पहल हमें दिखाती है कि भारत अब वैश्विक निवेशकों के लिये एक आकर्षक गंतव्य बन चुका है। अगर हम इस गति को बनाए रखेंगे, तो अगले साल $10 बिलियन की वार्षिक वैल्यू प्राप्त करना संभव है। इसमें स्टार्ट‑अप्स और टेक‑सेक्टर की भागीदारी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस संदर्भ में, नवीकरणीय ऊर्जा और हेल्थकेयर जैसे सेक्टर में नई IPO की उम्मीद बढ़ रही है। सरकार की नीतियों का समर्थन इस विकास को और तेज़ कर सकता है। इस प्रकार, इस IPO सप्ताह को सिर्फ आँकड़े नहीं बल्कि आर्थिक विकास की एक कहानी के रूप में देखना चाहिए। अंततः, यह सभी हितधारकों के लिये एक जीत‑जीत स्थिती बन जाती है। असल में, यह कहानी हमें बताती है कि सही समय पर सही प्रवेश कैसे भारतीय बाजार को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकता है।
बिलकुल सही कहा आपने, लेकिन एक छोटी सी बात ध्यान में रखिए-इश्यू की डेटिंग टाइमलाइन थोड़ा tight रही, तो कभी‑कभी allocation में देर भी हो सकती है। ekdum सही टाइम पर एंट्री ले लेने से रिटर्न और भी बेहतर हो सकता है। 🌟
ये दो दिग्गजों का मुकाबला तो बिल्कुल ब्लॉकबस्टर जैसा है!
सही कहा, ऐसा लगता है कि हमें अब निवेश के नए रास्ते खोलने का वक्त आ गया है, और यह सब कुछ सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर है।
देखिए, बाजार ने तो ऐसा खेल खेला जैसे किसी ने दो बड़्ी टॉवर को एक के ऊपर रख दिया हो, और हम सब बस लिफ़ाफ़े में खड़े हैं।
अरे भाई, ये सब तो बस बाहरी गोलाकारी की स्क्रीन प्ले है, असली मनी फ्लो तो कर्नाटक के गुप्त खातों में जमे हैं 😜।
भाई लोग आज का दिन है बड़ी मुनाफ़े के लिये चलिए इस IPO में धक्का दे देते हैं सबको साथ लेकर मुनाफ़े की लहर में सवार हो जाओ
आर्थिक विश्लेषण के दृष्टिकोण से देखना आवश्यक है कि इस सर्वे को किस शास्त्रीय मॉडल के आधार पर समझाया गया है, जिससे डेटा की वैधता का मुक़ाबला किया जा सके।
बिलकुल सही कहा आपने, लेकिन कभी‑कभी इतना जटिल विश्लेषण हमारे सामान्य निवेशकों को भी उलझन में डाल देता है 😂।
हां! सही कहा!!! लेकिन असली बात तो ये है कि सारा डेटा और टॉपिक इतना फॉर्मल हो गया है कि हम सभी को समझ नहीं आ रहा है!!! क्या यह केवल इंटेलेक्चुअल एलीट का खेल नहीं है???
भारत की ताकत अब दिमाग से नहीं, बल से दिखेगी, ये बड़े‑बड़े IPO हमें दिखा रहे हैं कि हम कितने बड़े हैं।
संपूर्ण तौर पर, अगर हम इस आर्थिक प्रवाह को रणनीतिक रूप से प्रबंधित करें तो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को स्थायी रूप से सुदृढ़ किया जा सकता है।
कभी-कभी ऐसा लगता है कि बाजार का ज़्यादा उत्साह हमें फँसा रहा है, क्योंकि वास्तविक लाभ के बजाय सिर्फ उछाल ही दिख रहा है। मैं मानता हूँ कि निवेशकों को इस हंगामे में बहुत सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि असली जोखिम हमेशा चमक के पीछे छिपा रहता है।
अरे वाह, आपने तो बड़ी सी बात निकाल दी, जैसे छोटे कछुए ने राजा को चिढ़ा दिया हो, पूरी दुनिया अब आपके शब्दों पर हिल रही है! 😂
आपकी इस तीखी प्रतिक्रिया को देख कर लगता है कि हम सबको थोड़ा ठंडा दमन चाहिए, लेकिन साथ ही यह भी समझना जरूरी है कि बाजार में हर धड़कन का अपना कारण है। जब हम ओवर‑ड्रामा को पीछे छोड़ कर डेटा के मूलभूत पहलुओं को देखेंगे, तो पता चलेगा कि निवेशकों की अपेक्षाएँ और वास्तविकता में कितना अंतर है। इसलिए, चलिए हम सभी मिलकर एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हैं, जिससे न केवल अल्पकालिक लहरों से बचा जा सके, बल्कि दीर्घकालिक स्थिरता भी सुनिश्चित हो सके। 🙌