बेनी गैंट्ज़ और गादी आइजनकोट का इस्तीफा: इज़राइल के युद्ध कैबिनेट से प्रस्थान
बेनी गैंट्ज़ और गादी आइजनकोट ने इज़राइल के युद्ध कैबिनेट से इस्तीफा दिया
इज़राइल के राजनैतिक और सैन्य जगत में एक बड़ा उलटफेर हुआ है। बेनी गैंट्ज़, जो पहले इज़राइल के सैन्य अग्रणी थे, और गादी आइजनकोट, दोनों ने युद्ध कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। गैंट्ज़ ने अपने 37 साल के सैन्य करियर में इज़राइल रक्षा बलों (IDF) के शीर्ष पर पहुंचने का लंबा सफर तय किया। गैंट्ज़ की नेतृत्व क्षमता और सैन्य अनुभव को देखते हुए उन्होंने राजनैतिक क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
युद्ध कैबिनेट से इस्तीफा क्यों?
गैंट्ज़ का इस्तीफा एक बेहद महत्वपूर्ण निर्णय है जिसने इज़राइली राजनीति को हिलाकर रख दिया है। गैंट्ज़ ने युद्ध कैबिनेट में रहते हुए कई अहम निर्णय लिए, जिनमें से एक बिन्यामिन नेतन्याहू के संकट के समय में उनका साथ देना रहा। COVID-19 महामारी के दौरान, जब इज़राइल को बड़े स्वास्थ्य और आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा, तब गैंट्ज़ ने अपनी राजनीतिक विचारधारा को एक तरफ रखकर एकता सरकार में शामिल होने का निर्णय लिया। इसका प्रमुख कारण था कि हर नागरिक को सामूहिक राष्ट्रीय जिम्मेदारी उठानी चाहिए, जिसे वह 'स्ट्रेचर के नीचे जाना' कहते हैं।
गादी आइजनकोट का साथ
गादी आइजनकोट, जो इज़राइल रक्षा बलों के मुख्य सेनाध्यक्ष रह चुके हैं, ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। आइजनकोट का नाम हमेशा संजीवनी रणनीतियों और सुरक्षित सीमाओं की योजना के लिए जाना जाएगा। गैंट्ज़ और आइजनकोट का इस्तीफा किसी भी दृष्टि से छोटा कदम नहीं है। यह इज़राइल के राजनीतिक और रक्षा मोर्चे पर एक बड़ा बदलाव दर्शाता है।
2020 की एकता सरकार
2020 में गैंट्ज़ ने एकता सरकार में नेतन्याहू के साथ शामिल होने का काफी मुश्किल फैसला लिया था। उनके इस निर्णय ने उस समय बड़े विवाद और आलोचनाओं को जन्म दिया क्योंकि उन्होंने चुनाव के दौरान नेतन्याहू के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया था। महामारी के बीच संयुक्त सरकार का गठन किया गया था, पर यह साझेदारी मात्र सात महीने ही चल पाई। संबंधों में खटास इस कदर बढ़ गई कि दोनों नेताओं का साथ बना रहना संभव नहीं था।
आगे का रास्ता
बेनी गैंट्ज़ और गादी आइजनकोट के इस्तीफे का तत्काल प्रभाव इज़राइली राजनीति पर अवश्य पड़ेगा। यह देखा जाना बाकी है कि कहीं यह निर्णय राजनीतिक अस्थिरता की ओर इशारा करता है या किसी नए राजनीतिक समीकरण की ओर।
खैर, यह तो समय ही बताएगा कि गैंट्ज़ और आइजनकोट के बिना इज़राइली सरकार और सैन्य व्यवस्था कैसे कार्य करेगी।
गैंट्ज़ की 'स्ट्रेचर के नीचे जाने' की विशेषता ने निस्संदेह उन्हें एक अनूठा नेता बनाया है। उन्होंने समय-समय पर अपने राज्य और नागरिकों की भलाई के लिए कठिन फैसले लिए हैं। यह वही गैंट्ज़ हैं जिन्होंने नेतन्याहू के साथ मिलकर COVID-19 जैसी महामारी से निपटने के लिए कदम उठाए थे।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद, यह देखना दिलचस्प होगा कि इज़राइल की राजनीति में और क्या परिवर्तन होते हैं और ये घटनाएँ देश के भविष्य को कैसे प्रभावित करती हैं।
Veeran Khatri
मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।
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