भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी फ्लॉप 'द लेडी किलर': किस्से और कारण
bhargav moparthi
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मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।

9 टिप्पणि

  1. Vijay sahani Vijay sahani
    अक्तूबर 27, 2024 AT 20:43 अपराह्न

    भाई लोगो, ‘द लेडी किलर’ का फेल होना असली में एक चेतावनी है! बजट की बात करिए तो 45 करोड़, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर मात्र 60,000 ही आया, ये तो लोहे के बने बॉल्ट जैसा है। निर्देशक ने अंत बदल दिया, तो दर्शकों को अधूरा सीरियल जैसा लग गया। ऐसे बड़े प्रोजेक्ट में योजना की कमी कोई मज़ाक नहीं, हर एरिया को दिमाग से जोड़ना पड़ता है। अगली बार अगर सही स्ट्रैटेजी बनाते हैं तो इस प्रकार की बड़ी फ़्लॉप नहीं होगी।

  2. Pankaj Raut Pankaj Raut
    अक्तूबर 27, 2024 AT 20:51 अपराह्न

    बिलकुल सही कहा, आख़िर में प्लानिंग ही सब कुछ है।

  3. Rajesh Winter Rajesh Winter
    अक्तूबर 27, 2024 AT 21:16 अपराह्न

    क्या बात है द लेडी किलर की, फिल्म की कहानी में गहराई नहीं थी और मार्केटिंग की कमी ने इसे बर्बाद कर दिया। काफी स्टार कास्ट था लेकिन प्रॉमोशन नहीं हुआ, इसलिए दर्शकों तक नहीं पहुंचा। अब नेटफ्लिक्स का सौदा भी टूट गया, यूट्यूब पर भी नकारात्मक फीडबैक ही मिला। इससे सिखने वाली बात यह है कि बड़े बजट की फिल्म में रिसर्च और टाईमिंग दोनों को संतुलित रखना ज़रूरी है।

  4. Archana Sharma Archana Sharma
    अक्तूबर 27, 2024 AT 21:25 अपराह्न

    हँसते हुए कहूँ तो, ये फिल्म हमें सिखाती है कि सिर्फ बड़े नामों से नहीं, दिल से कनेक्शन बनाना ज़रूरी है 😊

  5. Vasumathi S Vasumathi S
    अक्तूबर 27, 2024 AT 21:50 अपराह्न

    इस लेख में 'द लेडी किलर' को भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी फ्लॉप के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
    इस फ़िल्म ने न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाया, बल्कि मानवीय संसाधनों की भी बेमिसाल बर्बादी की।
    जहाँ बजट 45 करोड़ रूपए था, वहीं कुल संग्रह मात्र 60,000 रूपए रहा, यह अनुपात स्वयं में एक दत्रा आँकड़ा है।
    मुख्य कारणों में अधूरा अंत, उत्पादन में असंगति और विपणन रणनीति की कमी को प्रमुखता से उल्लेख किया गया है।
    निर्देशक अजय बहल की नियत बदलने से फ़يلم का निष्कर्ष अधूरा रह गया, जिससे दर्शकों में निराशा की लहर दौड़ गई।
    एक क्राइम थ्रिलर में नाटकीयता और कथा की पूर्णता अनिवार्य होती है, परन्तु इस बार वह तत्व अनुपस्थित रहा।
    इसके अतिरिक्त, रिलीज़ की योजना भी असंगत थी; नवंबर 2023 में रिलीज़ का लक्ष्य रखा गया था, परंतु तैयारी में कमी ने इसे असफल बना दिया।
    मार्केटिंग बजट को पर्याप्त नहीं समझा गया, जिससे प्रचार-प्रसार का स्तर नगण्य रहा।
    नेटफ़्लिक्स के साथ समझौता टूटने के बाद फ़िल्म को मुफ्त यूट्यूब पर रिलीज़ किया गया, परन्तु नकारात्मक टिप्पणियों ने इसे और भी नुकसान पहुंचाया।
    यूट्यूब पर 2.4 मिलियन व्यूज़ के बावजूद दर्शकों की प्रतिक्रिया असन्तोषजनक रही, जिससे यह स्पष्ट होता है कि व्यू काउंट से अधिक सामग्री की गुणवत्ता मायने रखती है।
    यह घटना उद्योग के लिए यह चेतावनी देती है कि बड़े बजट के प्रोजेक्ट में भी बुनियादी योजना, स्क्रिप्ट की पूर्णता और समय पर मार्केटिंग अनिवार्य हैं।
    फ़िल्म निर्माताओं को यह समझना चाहिए कि दर्शक केवल स्टार कास्ट नहीं, बल्कि एक सुसंगत कथा और संतोषजनक समाप्ति की अपेक्षा रखते हैं।
    इस प्रकार की विफलता से भविष्य में निवेशकों का भरोसा भी घट सकता है, जो उद्योग की समग्र आर्थिक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
    इसलिए, प्रत्येक चरण में विस्तृत विश्लेषण, परीक्षण स्क्रीनिंग और रणनीतिक विज्ञापन की आवश्यकता अनिवार्य हो जाती है।
    अंत में कहा जा सकता है कि 'द लेडी किलर' एक उदाहरण है कि किस तरह की लापरवाही बड़े पैमाने की फ़िल्म को ध्वस्त कर सकती है और यह सभी फिल्म निर्माताओं के लिए एक महत्त्वपूर्ण सीख बनती है।

  6. Anant Pratap Singh Chauhan Anant Pratap Singh Chauhan
    अक्तूबर 27, 2024 AT 22:00 अपराह्न

    बिलकुल, योजना की कमी ही सबको बर्बाद कर देती है, इस पर ध्यान देना चाहिए।

  7. Shailesh Jha Shailesh Jha
    अक्तूबर 27, 2024 AT 22:23 अपराह्न

    देखो भैया, इस फ़िल्म ने प्रोजेक्ट मैनेजमेंट के हर पहलू को बिखेर दिया, असिंक्रोनस डिलीवरी और स्कोप क्रीप से पूरी प्रोडक्शन ट्रैश में बदल गया। अगर प्री‑प्रोडक्शन में ठीक से रिस्क अस्सेसमेंट नहीं किया गया होता तो ये फ़्लॉप नहीं होती।

  8. harsh srivastava harsh srivastava
    अक्तूबर 27, 2024 AT 22:33 अपराह्न

    एकदम सही कहा, बिना स्ट्रॉन्ग प्रोसेस के बड़े बजट की फिल्म फ़्लॉप ही बनती है, इसलिए हर स्टेप में चेकप्वाइंट रखना ज़रूरी है।

  9. Praveen Sharma Praveen Sharma
    अक्तूबर 27, 2024 AT 22:40 अपराह्न

    निष्कर्ष यह है कि 'द लेडी किलर' ने हमें सिखाया कि सही प्लानिंग, मार्केटिंग और कहानी का सम्पूर्ण अंत बिना इन पर कोई भी बड़ी फ़िल्म सफल नहीं हो सकती।

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