Diwali 2025: 20 अक्टूबर को दीवाली, पूरा पाँच‑दिन का कैलेंडर और पूजा समय
जब Diwali 2025भारत का स्वागत करना है, तो सभी लोग सटीक तिथि और मुहूर्त जानना चाहते हैं। इस साल की दीवाली का पंच‑दिवसीय क्रम Drik Panchang की ज्योतिषीय गणनाओं, Hindustan Times, Indian Express और Times of India जैसी प्रमुख मीडिया संस्थाओं के साथ मिलकर पुष्टि हुई है। आधिकारिक तौर पर 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार) को मुख्य दीवाली मनाई जाएगी, जबकि शुभ मुहूर्त 7:08 PM से 8:19 PM (IST) के बीच है – यह समय क्षेत्र‑भेद के अनुसार थोड़ा‑बहुत बदल सकता है।
पंच दिवसीय त्योहार की रूपरेखा
नीचे 2025 की दीवाली श्रृंखला के प्रत्येक दिन का संक्षिप्त सारांश है:
- Dhanteras – 18 अक्टूबर 2025, शनिवार
- Narak Chaturdashi (Choti Diwali) – 19 अक्टूबर 2025, रविवार
- Diwali (Lakshmi Puja) – 20 अक्टूबर 2025, सोमवार
- Govardhan Puja – 22 अक्टूबर 2025, बुधवार
- Bhai Dooj – 23 अक्टूबर 2025, गुरुवार
ध्यान दें, 21 अक्टूबर (मंगलवार) को कोई प्रमुख पूजा नहीं होती; यह 'विचक्षण' दिन माना जाता है। यही कारण है कि अधिकांश कैलेंडर में यह दिन खाली दिखता है।
मुख्य पूजा समय और मुहूर्त
दीवाली का प्रमुख भाग Lakshmi Puja है। विभिन्न स्रोतों ने अलग‑अलग समय दिया है, पर सभी ने एक बात दोहराई – प्रादोष काल (सांझ 5:58 PM – 8:25 PM) के भीतर पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है। नीचे प्रमुख समाचार माध्यमों द्वारा दी गई तालिका प्रस्तुत है:
- Hindustan Times: प्रादोष 5:58 PM‑8:25 PM, वैृषभ काल 7:08 PM‑9:03 PM, लाकshmi पूजा 7:08 PM‑8:18 PM
- Indian Express: प्रादोष 5:51 PM‑8:19 PM, लाकshmi पूजा 7:21 PM‑8:19 PM
- India TV News (Dhanteras): प्रादोष लगभग 6:13 PM‑8:49 PM, लाकshmi पूजा 7:16 PM‑8:20 PM
एक अनुभवी ज्योतिषी, श्री विनीत कुमार, ने कहा, “यदि आप शाम 7 बजकर 10 मिनट के बाद लाकshmi पूजा शुरू करते हैं, तो वह सबसे अधिक लाभकारी होगा, क्योंकि यह समय सूर्यास्त के बाद और चंद्रमा के अमावस्या के पहले चरण में आता है।”
भौगोलिक विविधताएँ और स्थानीय रिवाज़
कई राज्यों में स्थानीय परम्पराएँ तिथियों को एक‑दो दिन पहले या बाद तक ले जाती हैं। उदाहरण के लिए:
- महाराष्ट्र – Govatsa Dwadashi (19 अक्टूबर) से जलरसंभंधी अनुष्ठान शुरू होते हैं, यानी दीवाली से एक दिन पहले की उत्सव श्रृंखला।
- गुजरात – Agyaras (18 अक्टूबर) के साथ प्रारंभिक पूजा, फिर Labh Panchami (23 अक्टूबर) पर खत्म।
- उत्तर प्रदेश और बिहार – आमतौर पर 20 अक्टूबर को ही मुख्य लाकshmi पूजा करते हैं, और Govardhan Puja को स्थानीय बाजारों में ‘गुड़ देव’ के रूप में मनाते हैं।
इन विविधताओं का कारण ग्रहण‑पृथ्वी स्थितियों का स्थानीय मापदण्ड है, जिसे Drik Panchang में हर राज्य‑बिहवार संशोधित करता है।
सरकार की छुट्टी घोषणा और सामाजिक प्रभाव
Times and Date की वेबसाइट ने पुष्टि की है कि 20 अक्टूबर 2025 को भारत के सभी राज्यों में एक Gazetted Holiday घोषित किया गया है। इससे स्कूल, बैंक, सरकारी कार्यालय और अधिकांश निजी कंपनियों की कार्यशैली पर सीधा असर पड़ेगा। रिवायती बैंकों में इससे नकदी‑हाथ में कमी की संभावनाएँ भी उजागर हो रही हैं, क्योंकि विभागीय छुट्टियों के दौरान लोग खरीद‑फ़रोख्त को बढ़ावा देते हैं।
व्यापारी संघ के अध्यक्ष अमन सिंह ने कहा, “दीवाली की खरीद‑फ़रोख्त 2025 में 12 % तक बढ़ने की उम्मीद है, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स और सजे‑सजावट के सेक्टर में।” यह अनुमान पिछले साल के डेटा (2024 में 10 % वृद्धि) की तुलना में उल्लेखनीय है।
इतिहास में 20 अक्टूबर की विशेषता
‘100 साल में पहली बार 20 अक्टूबर को दीवाली’ – यह वाक्यांश मीडिया में अक्सर आया है। इसका कारण यह है कि हिंदु पंचांग में अमावस्या (नवमा) का तिथि‑चक्र लगभग 144 चक्र (लगभग 12 साल) में दोहराता है, पर 20 अक्टूबर को अनुरूप होना बहुत दुर्लभ है। पिछला ऐसा मामला 1925 में हुआ था, जब भी दीवाली 20 अक्टूबर को पड़ी थी। इस बात को Tribune India ने विशेष रूप से उजागर किया, जिससे इस वर्ष की दीवाली को ऐतिहासिक महत्व मिला।
आगे क्या देखें?
भविष्य में यदि आप अपने दोस्तों या परिवार को दीवाली की योजना बनाते समय मदद करना चाहते हैं, तो Drik Panchang की मोबाइल एप्लिकेशन इंस्टॉल करना उपयोगी रहेगा। यह न केवल पूजा समय दिखाती है, बल्कि स्थानीय व्यावसायिक बाजारों में ‘ऑफ‑सीजन’ छूट और ‘हाइ‑सपोर्ट’ सुविधाओं की भी जानकारी देती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Diwali 2025 की तारीख बदलने से व्यापारियों को क्या लाभ होगा?
20 अक्टूबर को दीवाली होने से कई क्षेत्रों में थोक‑फ्रंट दरों में 5‑10 % की गिरावट आती है, जिससे छोटे व्यापारियों को बड़ी ब्रांड‑डील्स मिलती हैं। साथ ही, छुट्टी के बाद लोग ऑनलाइन शॉपिंग की ओर झुकते हैं, जिससे ई‑कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म की बिक्री में लगभग 12 % की वृद्धि की संभावना रहती है।
क्या सभी राज्य में Diwali 2025 की छुट्टी समान है?
हाँ, केंद्र सरकार ने 20 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्तर पर गज़ेटेड हॉलिडे घोषित किया है, लेकिन कुछ राज्य अपनी स्थानीय रिवाज़ों के अनुसार अतिरिक्त अवकाश (जैसे Gujarat में 18 अक्टूबर) जोड़ते हैं। यह जानकारी प्रत्येक राज्य के सार्वजनिक सेवा घोषणा में स्पष्ट की गई है।
उपलब्ध विभिन्न समय सारिणी में अंतर क्यों है?
विभिन्न प्रकाशनों ने अलग‑अलग ज्योतिषीय एल्गोरिदम और गणना विधियों का उपयोग किया है। उदाहरण के तौर पर Hindustan Times ने Drik Panchang के स्थानीय डेटा को प्राथमिकता दी, जबकि Indian Express ने शास्त्रों के एक अलग सेट को अपनाया। परिणामस्वरूप छोटे‑छोटे अंतर (10‑15 मिनट) पैदा होते हैं, पर सभी मुहूर्त प्रादोष के भीतर ही रहते हैं।
दुर्लभ 20 अक्टूबर की तिथि का इतिहासिक महत्व क्या है?
हिंदू पंचांग में अमावस्या की तिथि 20 अक्टूबर पर लगभग हर 100 साल में आती है। अंतिम बार 1925 में यह हुआ था, और इसे ज्योतिषी अक्सर ‘विशेष शुभ’ मानते हैं। इसलिए 2025 की दीवाली को कई शासकीय व धार्मिक संस्थाओं ने विशेष समारोहों के साथ मनाने की योजना बनाई है।
छुट्टी के दौरान स्कूल और कॉलेज में क्या बदलाव होगा?
सभी शैक्षणिक संस्थानों ने 20 अक्टूबर को पूर्ण अवकाश घोषित किया है। कई कॉलेजों ने इस दिन को ‘संस्कृति‑दिवस’ मानते हुए छात्र‑छात्राओं को दीपावली‑थीम पर निबंध एवं कला‑प्रतियोगिता आयोजित करने का सुझाव दिया है, जिससे शैक्षिक माहौल में भी उत्सव का रंग भर जाएगा।
bhargav moparthi
मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।
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दीवाली 2025 की तिथियों का विस्तृत विवरण पढ़कर बहुत प्रसन्नता हुई। पंच‑दिवसीय कार्यक्रम का उल्लेख करने वाले लेख ने स्पष्टता प्रदान की। विशेषकर लाक्ष्मी पूजा का मुहूर्त 7:08 PM से 8:19 PM के बीच होने का उल्लेख उपयोगी है। विभिन्न समाचार स्रोतों के बीच छोटे‑छोटे अंतर को समझाना सराहनीय है। यह तथ्य कि 20 अक्टूबर राष्ट्रीय स्तर पर गज़ेटेड हॉलिडे है, आर्थिक प्रभाव को उजागर करता है। सरकार की छुट्टी की घोषणा से बैंकों में नकदी‑हाथ में कमी का जोखिम बढ़ेगा। व्यापारी संघ के आंकड़े दर्शाते हैं कि 12 % की बिक्री वृद्धि संभावित है। इतिहास में 1925 के बाद की सबसे दुर्लभ तिथि का उल्लेख विशेष महत्व रखता है। स्थानीय रिवाज़ों में अंतर दिखाते हुए लेख ने विभिन्न राजसो को सम्मिलित किया। महाराष्ट्र में गोवट्सा द्वादशी से शुरू होने वाले अनुष्ठान का उल्लेख भी उपयोगी है। गुजरात में अॅग्यारस के साथ प्रारम्भिक पूजा का उल्लेख उल्लेखनीय है। उत्तर प्रदेश और बिहार में प्रमुख लाक्ष्मी पूजा 20 अक्टूबर को ही होती है, यह सही बताया गया है। इस साल की दीवाली की तारीख बदलने से थोक‑फ्रंट दरों में गिरावट भी आएगी। ई‑कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म पर 12 % वृद्धि की संभावना को भी लेख ने ठीक से दर्शाया। इस जानकारी के साथ यदि लोग Drik Panchang एप्लिकेशन डाउनलोड करेंगे तो और लाभ होगा। अंत में, इस विस्तृत जानकारी को साझा करने के लिए धन्यवाद, और सभी को शुुभ दीवाली की शुभकामनाएं।
वाह, इतनी बारीकी से गणना! लगता है अब हर घर में खगोलीय कैल्कुलेटर रखना पड़ेगा 😄
पर असल में, लोग तो बस पटाखे जलाने के लिए ही इंतज़ार करते हैं, तो पता नहीं मुहूर्त के पीछे इतना झंझट क्यों।
उम्मीद है इस साल की शॉपिंग फिर से एलीट ब्रांडों के साथ चमकेगी।
चलो, दियों की रोशनी में सभी को खुशियों की झड़ी दिखे, यही सबसे अच्छा मुहूर्त है।
ये दीवाली का कैलेंडर देख के दिल धड़के, जैसे साले ब्रह्मा ने टाइममैनेजमेंट सीन में हाथ बंटा दिया! अब तो रोज़ नया दिन, नया drama!
देश की असली शान तो तब है जब हर गाँव में लाक्ष्मी की पूजा एकजुट हो, बाकी सब बस दिखावा है 🙄🇮🇳
दीवाली की तैयारियों में भटकते देखकर मन बहुत दर्द करता है, लेकिन रोशनी की चमक देख हर दुख भूल जाता हूँ।
सबको यही आशा है कि इस शुभ अवसर पर हमारे घरों में शांति और समृद्धि आए।
दिल से सभी को दीपावली की बहुत‑बहुत बधाई।
तारीखें और मुहूर्त तो सब ठीक है लेकिन आपने आर्थिक प्रभावों को बिल्कुल भी नहीं छुआ, यही बेवकूफी है
आधुनिक भारत की सभ्यता को समझाने वाला यह लेख वास्तव में बौद्धिक अभिजात्य का प्रमाण है। केवल पंच‑दिवसीय क्रम ही नहीं, बल्कि राज्य‑विशिष्ट रीति‑रिवाज़ों का उल्लेख हमारे सांस्कृतिक धरोहर को सशक्त बनाता है। इस तरह की सटीक जानकारी केवल शिक्षित वर्ग ही समझता है, बाकी सब को इसमें रुचि नहीं। हमारी राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने के लिए इस तरह के विस्तृत विश्लेषण आवश्यक है। फिर भी, आम जनता को इसका लाभ मिलना चाहिए, यही असली गर्व है।
उहा, बौद्धिक अभिजात्य की बात तो आप बड़े ही नज़रिये से कर रहे हैं, जैसे कि दीवाली का समय भी किसी दार्शनिक सिद्धांत से निकला हो। अगर हर कोई इस जटिल तालिका को समझ ले तो शॉपिंग मॉल्स में भी शांति रहेगी-कितनी अद्भुत कल्पना! लेकिन सच्चाई ये है कि लोग पटाखे और मिठाईयों में ही सुकून पाते हैं, न कि पंच‑दिवसीय गणनाओं में।
दीवाली का उत्सव हमेशा ही सामाजिक बंधन को मजबूत करता है, चाहे वह गहन शास्त्रीय गणना हो या साधारण घरेलू रिवाज़। विभिन्न राज्यों की परम्पराओं को देख कर भारत की सांस्कृतिक विविधता की सराहना बढ़ती है। सरकारी छुट्टी का प्रभाव आर्थिक रूप से स्पष्ट है, लेकिन व्यक्तिगत अनुभवों में भी बदलाव लाता है। लोग इस अवसर पर अपने परिवार के साथ अधिक समय बिताते हैं, जो सामाजिक संतुलन के लिए फायदेमंद है। इस वर्ष के पंच‑दिवसीय क्रम में यदि कोई त्रुटि होती भी है, तो भी उत्सव का सार बना रहता है। आशा है हर किसी को इस दीपावली पर शांति और सुख मिले।
शॉपिंग के पीछे की इस भौतिक ललक को छोड़कर असली प्रकाश आध्यात्मिक उन्नति से आता है 😊
दीवाली का मौसम हमेशा ही आशा और नयी शुरुआत का प्रतीक होता है। इस साल का कैलेंडर बहुत ही व्यवस्थित दिख रहा है, जिससे परिवारों को योजना बनाने में आसानी होगी। सभी को शुभकामनाएँ, कि यह दीपावली खुशियों और समृद्धि से भरी हो।