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विक्रम मिस्री की नियुक्ति के पीछे न केवल व्यक्तिगत योग्यता, बल्कि भारत‑चीन संबंधों के भविष्य की अंतःक्रिया है। उनका पेशेवर अनुभव भारतीय विदेश सेवा के लिए एक रणनीतिक संपत्ति माना जा सकता है। विविध भूमिकाओं में उन्होंने कूटनीति की जटिलताओं को समझा और संभाला है। इस बदलाव से नीति निर्माण में अधिक गहराई आने की संभावना है। साथ ही, उनके पास बहुपक्षीय मंचों में बातचीत करने की ठोस क्षमताएँ हैं। यह पहल भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को सुदृढ़ कर सकती है। अंततः, उनका दृष्टिकोण दोनों देशों के बीच विश्वास निर्माण में सहायक हो सकता है।
सच में, उनका अनुभव हमारे समय में बहुत ज़रूरी लगता है।
विक्रम मिस्री को विदेश सचिव बनाकर भारत ने रणनीतिक प्रोजेक्शन की दिशा में स्पष्ट संकेत दिया है। उनकी बैक‑चैनल डिप्लोमेसी की प्रोफ़ाइल विशेष रूप से एशिया‑पैसिफिक में एक गेम‑चेंजर से कम नहीं है। चीन‑भारत तनाव के मौजूदा परिदृश्य में, उनके पास नॉस्टेल्जिया और रियल‑पॉलिटी दोनों का मिश्रण है। उन्होंने 2020‑21 में गैलवैन झड़प के दौरान मल्टी‑लेयरेड वार्ता टेबल स्थापित की, जो आज की जटिलता को समझने में मदद कर सकती है। साथ ही, उनके मैक्रो‑डिप्लोमैटिक कौशल ने इको‑ट्रेड पहल को भी सुदृढ़ किया। यहाँ पर यह उल्लेखनीय है कि उन्होंने रोहिंग्या संकट के दौरान मानवीय सहायता को प्राथमिकता दी, जिससे उनका कॉम्प्लेक्स‑इंटरेस्ट मैनेजमेंट सिद्ध होता है। उनकी अगली भूमिका में, हमें आशा है कि वे सिंगल‑ट्रैकिंग स्ट्रेटेजी अपनाकर द्विपक्षीय सम्बन्धों में जोखिम को न्यूनतम करेंगे। तीव्र प्रतिस्पर्धा के युग में, उनका बी‑ट्रैकिंग एन्क्लेवेज़ की समझ एक प्रमुख एसेट है। डिप्लोमैटिक रेजिलिएन्स और टॉर्पिड‑फोर्सेज़ के बीच संतुलन स्थापित करना अब उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए। वर्तमान में, चीन के साथ स्थिरता बनाये रखने के लिए कनेक्टेड‑परिफेरल शॉर्ट‑हैंड एक्सेंशन ज़रूरी है। विक्रम जी की तैयारी में मैंने देखा कि वे अक्सर सिचुएशनल‑अवेयरनेस मॉड्यूल को टॉपोलॉजी में इंटीग्रेट करते हैं। इसके साथ ही, उन्हें चाहिए कि वे सॉफ़्ट‑पॉवर इन्फ़्लुएंस को हार्ड‑पॉवर डायनेमिक्स के साथ सिंगक्रोनाइज़ करें। इसी कारण से, पाकिस्तान‑अमेरिका‑यूरोपीय सर्किट में उनकी लवचिकता को भी हम नहीं घूर सकते। समग्र रूप से, उनका प्रोफ़ाइल एक हाई‑एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेटर के रूप में फोकस्ड है, जो न सिर्फ डिस्प्ले बल्कि इम्प्लीमेंटेशन में भी प्रवीण है। अंत में, हमें उम्मीद है कि उनकी अगुवाई में भारत‑चीन संबंधों की कलेक्टिव सिक्योरिटी आर्किटेक्चर में सकारात्मक बदलाव आएगा।
विक्रम मिस्री का बैकग्राउंड देखते हुए भारत को कूटनीतिक दांव में फायदा होगा। उनका अनुभव विभिन्न मंचों पर काम करने का उन्हें एजाइल बनाता है। विशेषकर चीन‑भारत की सीमा मुद्दे में उनके पास ठोस वैकल्पिक रास्ते हैं। इससे दोनों देशों के बीच तनाव कम हो सकता है। हमें मिलजुल कर इस दिशा में सहयोग बढ़ाना चाहिए।
सही कहा आपके द्वारा ये पॉइंट्स। हम सबको मिलकर इस प्रयास को आगे बढ़ाना चाहिए। यूं ही सकारात्मक सोच रखेंगे तो बदलाव जरूर आएगा।