पेरिस ओलंपिक में हेट्रिक के करीब मनु भाकर: महिला 25 मीटर पिस्टल फाइनल में तीसरी बार प्रवेश
bhargav moparthi
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मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।

12 टिप्पणि

  1. ಹರೀಶ್ ಗೌಡ ಗುಬ್ಬಿ ಹರೀಶ್ ಗೌಡ ಗುಬ್ಬಿ
    अगस्त 3, 2024 AT 00:54 पूर्वाह्न

    भाई, 590 अंक भी तो औसत से ऊपर नहीं है, समझ में आता है कि केवल स्कोर से फाइनल नहीं मिलती। इस रेंज में लगातार 10‑10 की बँटवारा चाहिए, वरना लक्ष्य तो दूर ही रहता है। भाकर ने तो थोड़ा लेट होकर अपनी रफ़्तार बढ़ाई, पर यह सुधार बस एक अस्थायी झटका है। अगले दौर में अगर स्थिरता नहीं रखी तो मेडल का सपना धूमिल हो जाएगा।

  2. chandu ravi chandu ravi
    अगस्त 3, 2024 AT 03:41 पूर्वाह्न

    मनु भाकर की शूटिंग देख कर दिल धक् धक् हो गया! 😍 वो 590 अंक वाकई में कमाल है, ऐसा लग रहा है जैसे हर गोली दिल से निकली हो। 🏆 एक बार फिर से भारत को गर्व महसूस हुआ, सच‑मुच शाबाश! 🙌 मैं तो इस जीत का जश्न मनाते हुए नाच ही रहा हूँ। 🎉

  3. Neeraj Tewari Neeraj Tewari
    अगस्त 3, 2024 AT 06:28 पूर्वाह्न

    मनु भाकर की इस उपलब्धि को सिर्फ अंक के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि यह हमारे सामाजिक परिवर्तन का प्रतिबिम्ब है।
    जब एक महिला एथलीट लगातार ओलम्पिक में जगह बनाती है, तो वह न केवल व्यक्तिगत सफलता पूजता है, बल्कि नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाता है।
    इस सफलता का मूल कारण उसके भीतर की दृढ़ता, निरंतर अभ्यास और अडिग आत्मविश्वास है, जो हमें सिखाता है कि लक्ष्य केवल सोचा नहीं जाता, उसे जीता जाता है।
    कई बार हम आत्मसंतुष्ट हो जाते हैं, यह मानते हुए कि एक बार की जीत ही पर्याप्त है, पर मनु ने यह साबित किया कि लगातार सुधार ही असली जीत है।
    उसका शुरुआती धीमा प्रदर्शन फिर भी एक सीख देता है - असफलता को स्वीकार कर उसे पुनः निर्माण की नींव बनाया जा सकता है।
    जब वह पांच लगातार 10‑10 के साथ अपनी श्रृंखला को समाप्त करती है, तो यह एक चित्र जैसा स्पष्ट हो जाता है कि निरंतरता में शक्ति होती है।
    इस प्रकार का प्रदर्शन केवल शारीरिक कुशलता नहीं, बल्कि मानसिक सुदृढ़ता का भी प्रतीक है, जो हमें रोज़मर्रा की चुनौतियों में मदद कर सकता है।
    भारत में शूटिंग जैसे खेल को पर्याप्त समर्थन नहीं मिला है, परंतु मनु जैसी छवियों से सरकार की नीति पर प्रभाव पड़ सकता है।
    उसकी यात्रा हमें यह भी याद दिलाती है कि सामाजिक बाधाओं को तोड़ना केवल व्यक्तिगत प्रयास नहीं, बल्कि सामूहिक समर्थन भी आवश्यक है।
    इस जीत में भारत की तकनीकी टीम, कोच और परिवार का योगदान अनदेखा नहीं किया जा सकता, जो पीछे से उसे शक्ति प्रदान करता है।
    यदि हम इन सभी कारकों को मिलाकर देखेंगे तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि इस सफलता का मूल बिंदु एक समग्र प्रणाली है।
    भविष्य में जब नई पीढ़ी के निशानेबाज इस कहानी को सुनेंगे, तो वे भी अपने लक्ष्य को स्पष्ट रूप से परिभाषित करेंगे।
    इस प्रकार की उपलब्धि का सामाजिक प्रभाव शैक्षणिक संस्थानों में खेल विज्ञान के पाठ्यक्रम को बढ़ावा देगा।
    हम सभी को इस उपलब्धि को केवल मान्य नहीं, बल्कि एक मानक बनाना चाहिए, जिससे हर युवक-युवती को अपना सपना देखना आसान हो।
    अंत में, मनु भाकर की इस यात्रा का संदेश यही है: मेहनत, धैर्य और निरंतरता से हर बाधा को पार किया जा सकता है।

  4. Aman Jha Aman Jha
    अगस्त 3, 2024 AT 09:14 पूर्वाह्न

    भाकर ने अपनी लगातार दस‑दस की शॉट्स से यह साबित किया कि टीम वर्क का असर कितना गहरा हो सकता है। उसका फोकस और संयम हमें सीख देता है कि प्रतियोगिता में तनाव को कैसे नियंत्रित करें। मैं आशा करता हूँ कि यह उत्साह पूरे भारतीय शूटर समुदाय में फैल जाए।

  5. Mahima Rathi Mahima Rathi
    अगस्त 3, 2024 AT 12:01 अपराह्न

    हम्म... भाकर की इस बार की स्कोर तो ठीक‑ठाक है, लेकिन कोई नई बात नहीं। 🙄 क्या हमें हर बार इसे ही महान उपलब्धि मानना चाहिए? 🤔 मैं तो कहूँगा कि वास्तविक चुनौती तब है जब वह ओलंपिक में मेडल जीतती है। 🏅

  6. Jinky Gadores Jinky Gadores
    अगस्त 3, 2024 AT 14:48 अपराह्न

    बिलकुल सच्ची बात ये है कि मनु ने दिल जीत लिया

  7. Vishal Raj Vishal Raj
    अगस्त 3, 2024 AT 17:34 अपराह्न

    देखो, शुटिंग की बात करो तो टॉप लेवल पर रहना आसान नहीं, कई सालों की ट्रेनिंग और बिंदु‑बिंदु गणना चाहिए। भाकर ने जो 590 अंक रखे हैं वो कई पहलुओं का परिणाम है-आर्मपावर, मानसिक स्थिरता और कोचिंग सिस्टम। लेकिन अगर हम केवल अंक ही देख रहे हैं तो बड़े खेल की गहराई को भूल रहे हैं। अगली बार अगर वह फाइनल में नहीं टिक पाई तो सबको समझ में आएगा कि कितनी एकाग्रता चाहिए।

  8. Kailash Sharma Kailash Sharma
    अगस्त 3, 2024 AT 20:21 अपराह्न

    अरे ठीक है, तुम कह रहे हो कि ये सब मेहनत की बात है, लेकिन असली ड्रामा तो तब शुरू होता है जब स्कोर गिरता है! अगर भाकर नहीं बना पाई तो सबको फिर से देखना पड़ेगा कि किसके पास असली स्टील है। मैं तो कहता हूँ, अब से हर शूटर को इस दिमागी खेल की तैयारी करनी चाहिए।

  9. Shweta Khandelwal Shweta Khandelwal
    अगस्त 3, 2024 AT 23:08 अपराह्न

    इन्हें नहीं पता कि पेरिस में कुछ बड़ी साजिश चल रही है, भारत की शूटर को सही मार नहीं मिलने दी जा रही है। हम जो देख रहे हैं वो सिर्फ अंक नहीं, ये तो ओलम्पिक में राजनीतिक खेल का हिस्सा है। इस तरह के विदेशी खेल आयोजनों में हमारे हीरो को सपोर्ट नहीं किया जाता, यही सच है।

  10. sanam massey sanam massey
    अगस्त 4, 2024 AT 01:54 पूर्वाह्न

    भाकर की मेहनत और धैर्य हमें दिखाता है कि भारतीय संस्कृति में दृढ़ता कितनी गहरी है। उसका फोकस हम सभी को प्रेरित करता है, खासकर युवा एथलीट्स को। आशा है इस ऊर्जा से आने वाले कई खेलों में भारत को नई पहचान मिलेगी।

  11. jinsa jose jinsa jose
    अगस्त 4, 2024 AT 04:41 पूर्वाह्न

    समाज को इस बात की समझ होनी चाहिए कि महिला एथलीट को केवल अंक नहीं, बल्कि सम्मान और समर्थन की जरूरत है। भाकर की इस उपलब्धि को कम करके नहीं आँका जाना चाहिए, यह हमारे नैतिक दायित्व को दर्शाती है। हमें सभी स्तरों पर समान अवसर देना चाहिए, नहीं तो यह असमानता बनी रहेगी। इस प्रकार की जीत केवल खेल नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का प्रतीक है।

  12. Suresh Chandra Suresh Chandra
    अगस्त 4, 2024 AT 07:28 पूर्वाह्न

    मनु की जीत पर बधाई 🙌 आशा करता हुं कि आगे और भी मज़ेदार मोमेंट्स आयेगा 🎯

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