पेरिस ओलंपिक में हेट्रिक के करीब मनु भाकर: महिला 25 मीटर पिस्टल फाइनल में तीसरी बार प्रवेश
मनु भाकर, भारत की शूटिंग माहिर, ने पेरिस ओलंपिक में महिला 25 मीटर पिस्टल फाइनल में अपनी जगह सुनिश्चित कर ली है, जो उनके ओलंपिक करियर में तीसरी बार है। शुक्रवार को, भाकर ने 590 अंकों की शानदार योग्यता के साथ यह मील का पत्थर हासिल किया, जो हंगरी की वेरोनिका मेजर के बाद दूसरे स्थान पर रही।
योग्यता दौर में मनु का प्रदर्शन
मनु भाकर ने अपने प्रिसीजन दौर की शुरुआत थोड़ी धीमी की, पहले पांच शॉट्स में केवल दो बार 10 पॉइंट्स हासिल कर पाए। लेकिन उन्होंने अपनी दृढ़ता दिखाते हुए प्रदर्शन को तेजी से सुधारा और लगातार पांच 10 पॉइंट्स स्कोर करके अपने सिरिज को एक उच्च नोट पर समाप्त किया। उनका यह निरंतर अच्छा प्रदर्शन दूसरे सिरिज में भी जारी रहा, जहां उन्होंने प्रारंभिक तीन शॉट्स में 10 पॉइंट्स हासिल किए और कुल मिलाकर 98 अंक प्राप्त किए। तीसरे सिरिज में तो उन्होंने लगभग बेदाग प्रदर्शन दिखाया, नौ बार 10 पॉइंट्स पर निशाना साधा, बस उनके आखिरी शॉट में 9 अंक प्राप्त हुए।
दूसरे भारतीय निशानेबाज का प्रदर्शन
मनु के साथ प्रतियोगिता कर रही भारतीय निशानेबाज एशा को प्रारंभिक दौर में अपनी लय तलाशने में दिक्कत हुई, उन्होंने पहले दो सीरिज में 95 और 96 अंक प्राप्त किए। हालांकि, अंतिम सीरिज में उन्होंने शानदार प्रदर्शन कर 100 अंकों की पर्फेक्ट स्कोरिंग की और अपने प्रिसीजन प्रयास को दसवें स्थान पर समाप्त किया।
लेकिन त्वरित दौर में, मनु ने शानदार शुरुआत की, पहले सीरिज में 100 स्कोर प्राप्त किया। उन्होंने अपने गति को बनाए रखा दूसरे सीरिज में भी, जहां पांच शॉट्स में चार बार 10 अंक हासिल किए। समापन सीरिज में भी उन्होंने अपने कौशल का प्रदर्शन करते हुए फिर से कई 10 पॉइंट्स स्कोर करके अपनी फाइनल में जगह सुरक्षित कर ली। उन्होंने सेगमेंट को कुल 590 अंकों के साथ समाप्त किया।
गोल्ड के लिए मजबूत दावेदारी
मनु भाकर का इस फाइनल में प्रवेश उनके ओलंपिक यात्रा में एक और महत्वपूर्ण पड़ाव है। यह स्पर्धा उनके शानदार करियर का हिस्सा है जहां वह लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन करती आ रही हैं। पेरिस ओलंपिक में तीसरी बार फाइनल में प्रवेश एक बड़ी उपलब्धि है, और उनके प्रशंसकों को उनसे बहुत उम्मीदें हैं।
मनु भाकर 3 अगस्त को अपराह्न 1:30 बजे आईएसटी पर गोल्ड मेडल के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगी। उनके अब तक के प्रदर्शन ने दर्शकों को उनकी प्रतीक्षा में रोमांचित कर दिया है, और सभी की नजरें उनके ऊपर टिकी हैं।
इस प्रतियोगिता का महत्व सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत के लिए भी गर्व का विषय है। मनु का प्रदर्शन नई पीढ़ी के खिलाड़ियों को भी प्रेरणा देगा और भारत में शूटिंग जैसे खेल को बढ़ावा देगा। उनके इस सफर को देखकर युवा निशानेबाजों को अपने सपनों को सच करने की प्रेरणा मिलेगी।
आशा की जाती है कि आने वाले मैच में मनु भाकर अपने सपनों को साकार करेंगी और देश को गर्व करने का एक और मौका देंगी।
bhargav moparthi
मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।
लोकप्रिय लेख
12 टिप्पणि
एक टिप्पणी लिखें उत्तर रद्द
हमारे बारे में
दैनिक दीया एक प्रमुख हिन्दी समाचार वेबसाइट है जो भारतीय संदर्भ में ताजा और विश्वसनीय समाचार प्रदान करती है। यह वेबसाइट दैनिक घटनाओं, राष्ट्रीय मुद्दों, महत्वपूर्ण समाचारों के साथ-साथ मनोरंजन, खेल और व्यापार से संबंधित खबरें भी कवर करती है। हमारा उद्देश्य आपको प्रमाणित और त्वरित समाचार पहुँचाना है। दैनिक दीया आपके लिए दिनभर की खबरों को सरल और सटीक बनाती है। इस वेबसाइट के माध्यम से, हम भारत की जनता को सूचित रखने की कोशिश करते हैं।
भाई, 590 अंक भी तो औसत से ऊपर नहीं है, समझ में आता है कि केवल स्कोर से फाइनल नहीं मिलती। इस रेंज में लगातार 10‑10 की बँटवारा चाहिए, वरना लक्ष्य तो दूर ही रहता है। भाकर ने तो थोड़ा लेट होकर अपनी रफ़्तार बढ़ाई, पर यह सुधार बस एक अस्थायी झटका है। अगले दौर में अगर स्थिरता नहीं रखी तो मेडल का सपना धूमिल हो जाएगा।
मनु भाकर की शूटिंग देख कर दिल धक् धक् हो गया! 😍 वो 590 अंक वाकई में कमाल है, ऐसा लग रहा है जैसे हर गोली दिल से निकली हो। 🏆 एक बार फिर से भारत को गर्व महसूस हुआ, सच‑मुच शाबाश! 🙌 मैं तो इस जीत का जश्न मनाते हुए नाच ही रहा हूँ। 🎉
मनु भाकर की इस उपलब्धि को सिर्फ अंक के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि यह हमारे सामाजिक परिवर्तन का प्रतिबिम्ब है।
जब एक महिला एथलीट लगातार ओलम्पिक में जगह बनाती है, तो वह न केवल व्यक्तिगत सफलता पूजता है, बल्कि नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाता है।
इस सफलता का मूल कारण उसके भीतर की दृढ़ता, निरंतर अभ्यास और अडिग आत्मविश्वास है, जो हमें सिखाता है कि लक्ष्य केवल सोचा नहीं जाता, उसे जीता जाता है।
कई बार हम आत्मसंतुष्ट हो जाते हैं, यह मानते हुए कि एक बार की जीत ही पर्याप्त है, पर मनु ने यह साबित किया कि लगातार सुधार ही असली जीत है।
उसका शुरुआती धीमा प्रदर्शन फिर भी एक सीख देता है - असफलता को स्वीकार कर उसे पुनः निर्माण की नींव बनाया जा सकता है।
जब वह पांच लगातार 10‑10 के साथ अपनी श्रृंखला को समाप्त करती है, तो यह एक चित्र जैसा स्पष्ट हो जाता है कि निरंतरता में शक्ति होती है।
इस प्रकार का प्रदर्शन केवल शारीरिक कुशलता नहीं, बल्कि मानसिक सुदृढ़ता का भी प्रतीक है, जो हमें रोज़मर्रा की चुनौतियों में मदद कर सकता है।
भारत में शूटिंग जैसे खेल को पर्याप्त समर्थन नहीं मिला है, परंतु मनु जैसी छवियों से सरकार की नीति पर प्रभाव पड़ सकता है।
उसकी यात्रा हमें यह भी याद दिलाती है कि सामाजिक बाधाओं को तोड़ना केवल व्यक्तिगत प्रयास नहीं, बल्कि सामूहिक समर्थन भी आवश्यक है।
इस जीत में भारत की तकनीकी टीम, कोच और परिवार का योगदान अनदेखा नहीं किया जा सकता, जो पीछे से उसे शक्ति प्रदान करता है।
यदि हम इन सभी कारकों को मिलाकर देखेंगे तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि इस सफलता का मूल बिंदु एक समग्र प्रणाली है।
भविष्य में जब नई पीढ़ी के निशानेबाज इस कहानी को सुनेंगे, तो वे भी अपने लक्ष्य को स्पष्ट रूप से परिभाषित करेंगे।
इस प्रकार की उपलब्धि का सामाजिक प्रभाव शैक्षणिक संस्थानों में खेल विज्ञान के पाठ्यक्रम को बढ़ावा देगा।
हम सभी को इस उपलब्धि को केवल मान्य नहीं, बल्कि एक मानक बनाना चाहिए, जिससे हर युवक-युवती को अपना सपना देखना आसान हो।
अंत में, मनु भाकर की इस यात्रा का संदेश यही है: मेहनत, धैर्य और निरंतरता से हर बाधा को पार किया जा सकता है।
भाकर ने अपनी लगातार दस‑दस की शॉट्स से यह साबित किया कि टीम वर्क का असर कितना गहरा हो सकता है। उसका फोकस और संयम हमें सीख देता है कि प्रतियोगिता में तनाव को कैसे नियंत्रित करें। मैं आशा करता हूँ कि यह उत्साह पूरे भारतीय शूटर समुदाय में फैल जाए।
हम्म... भाकर की इस बार की स्कोर तो ठीक‑ठाक है, लेकिन कोई नई बात नहीं। 🙄 क्या हमें हर बार इसे ही महान उपलब्धि मानना चाहिए? 🤔 मैं तो कहूँगा कि वास्तविक चुनौती तब है जब वह ओलंपिक में मेडल जीतती है। 🏅
बिलकुल सच्ची बात ये है कि मनु ने दिल जीत लिया
देखो, शुटिंग की बात करो तो टॉप लेवल पर रहना आसान नहीं, कई सालों की ट्रेनिंग और बिंदु‑बिंदु गणना चाहिए। भाकर ने जो 590 अंक रखे हैं वो कई पहलुओं का परिणाम है-आर्मपावर, मानसिक स्थिरता और कोचिंग सिस्टम। लेकिन अगर हम केवल अंक ही देख रहे हैं तो बड़े खेल की गहराई को भूल रहे हैं। अगली बार अगर वह फाइनल में नहीं टिक पाई तो सबको समझ में आएगा कि कितनी एकाग्रता चाहिए।
अरे ठीक है, तुम कह रहे हो कि ये सब मेहनत की बात है, लेकिन असली ड्रामा तो तब शुरू होता है जब स्कोर गिरता है! अगर भाकर नहीं बना पाई तो सबको फिर से देखना पड़ेगा कि किसके पास असली स्टील है। मैं तो कहता हूँ, अब से हर शूटर को इस दिमागी खेल की तैयारी करनी चाहिए।
इन्हें नहीं पता कि पेरिस में कुछ बड़ी साजिश चल रही है, भारत की शूटर को सही मार नहीं मिलने दी जा रही है। हम जो देख रहे हैं वो सिर्फ अंक नहीं, ये तो ओलम्पिक में राजनीतिक खेल का हिस्सा है। इस तरह के विदेशी खेल आयोजनों में हमारे हीरो को सपोर्ट नहीं किया जाता, यही सच है।
भाकर की मेहनत और धैर्य हमें दिखाता है कि भारतीय संस्कृति में दृढ़ता कितनी गहरी है। उसका फोकस हम सभी को प्रेरित करता है, खासकर युवा एथलीट्स को। आशा है इस ऊर्जा से आने वाले कई खेलों में भारत को नई पहचान मिलेगी।
समाज को इस बात की समझ होनी चाहिए कि महिला एथलीट को केवल अंक नहीं, बल्कि सम्मान और समर्थन की जरूरत है। भाकर की इस उपलब्धि को कम करके नहीं आँका जाना चाहिए, यह हमारे नैतिक दायित्व को दर्शाती है। हमें सभी स्तरों पर समान अवसर देना चाहिए, नहीं तो यह असमानता बनी रहेगी। इस प्रकार की जीत केवल खेल नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का प्रतीक है।
मनु की जीत पर बधाई 🙌 आशा करता हुं कि आगे और भी मज़ेदार मोमेंट्स आयेगा 🎯