शाहिद कपूर की धमाकेदार परफॉर्मेंस के साथ 'देवा' ने जीता दर्शकों का दिल
bhargav moparthi
bhargav moparthi

मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।

16 टिप्पणि

  1. Jinky Gadores Jinky Gadores
    फ़रवरी 1, 2025 AT 08:12 पूर्वाह्न

    शाहिद की धमाकेदार परफॉर्मेंस ने मेरे दिल की धड़कन को नई राह दी उसने जिस तरह से किरदार को जिंदा किया वह बस अद्वितीय है इस फिल्म को देखना एक उत्तम कला कार्य जैसा महसूस हुआ

  2. Vishal Raj Vishal Raj
    फ़रवरी 2, 2025 AT 03:38 पूर्वाह्न

    मैं देखता हूँ कि फिल्म के एक्शन सीक्वेंस तकनीकी रूप से बेहतरीन हैं पर कहानी की गहराई में थोड़ा तड़का चाहिए था निर्देशक ने मुख्य बिंदुओं को हल्का छोड़ दिया स्पष्ट रूप से यह एक पॉलिश्ड प्रोडक्शन है लेकिन भावनात्मक बंधन कम रहा

  3. Kailash Sharma Kailash Sharma
    फ़रवरी 2, 2025 AT 23:05 अपराह्न

    देवा ने एक्शन में चौंका दिया

  4. Shweta Khandelwal Shweta Khandelwal
    फ़रवरी 3, 2025 AT 18:32 अपराह्न

    सच्ची बात यह है कि ये फिल्म बड़े बॉसों की दिमागी खेल है जो भारतीय दर्शकों को लुभाने के लिए विदेशी फॉर्मूला चुराते हैं हमें अपने ओरिजनल कंटेंट को सहेजना चाहिए नहीं तो हम अपनी संस्कृति खो देंगे

  5. sanam massey sanam massey
    फ़रवरी 4, 2025 AT 13:58 अपराह्न

    एक कला रूप के रूप में हम यह समझ सकते हैं कि 'देवा' सिर्फ एंटरटेनमेंट नहीं बल्कि दर्शक के भीतर नैतिक प्रश्न उठाता है यह हमें पहचान की जड़ में लाता है और साथ ही हमें सामाजिक जागृति की ओर धकेलता है

  6. jinsa jose jinsa jose
    फ़रवरी 5, 2025 AT 09:25 पूर्वाह्न

    बिल्कुल, जबकि एक्शन शानदार है, कहानी के वैकल्पिक मोड़ की कमी ने दर्शकों को थोड़ा विषाद में डाल दिया यह एक आम त्रुटि है जहाँ शैली को कथा से ऊपर रखा जाता है

  7. Suresh Chandra Suresh Chandra
    फ़रवरी 6, 2025 AT 04:52 पूर्वाह्न

    😅 सही बात है, अगर कहानी में कुछ मोड़ होते तो फिल्म और भी यादगार बनती 🤔 लेकिन फिर भी शाहिद का करिश्मा सबको बाँधे रखता है 🎬

  8. Digital Raju Yadav Digital Raju Yadav
    फ़रवरी 7, 2025 AT 00:18 पूर्वाह्न

    शाहिद की एक्टिंग वास्तव में दिल छू लेती है उसकी ऊर्जा स्क्रीन पर ज्वाला जैसी है और दर्शकों को पूरी तरह से मोहित कर देती है

  9. Dhara Kothari Dhara Kothari
    फ़रवरी 7, 2025 AT 19:45 अपराह्न

    मैं भी वही महसूस कर रहा हूँ कि उसके चेहरे के हर भाव में गहराई है यह फिल्म हमें अपने भीतर की ताकत को पहचानने की प्रेरणा देती है

  10. Sourabh Jha Sourabh Jha
    फ़रवरी 8, 2025 AT 15:12 अपराह्न

    यही बात है, अब तो विदेशी रीमिक्स हमारी अपनी पहचान को धुंधला कर रहे हैं बजाए अपने असली स्टोरी को दिखाने के हमें अपना रास्ता खुद चुनना चाहिए

  11. Vikramjeet Singh Vikramjeet Singh
    फ़रवरी 9, 2025 AT 10:38 पूर्वाह्न

    सही कहा, असली कहानी को नज़रअंदाज़ करना दिलचस्प नहीं

  12. sunaina sapna sunaina sapna
    फ़रवरी 10, 2025 AT 06:05 पूर्वाह्न

    फिल्म 'देवा' का विश्लेषण करने से पहले हमें इसकी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को समझना आवश्यक है।
    यह रीमेक मूलतः मलयालम फिल्म 'मुंबई पुलिस' की कथा को हिंदी दर्शकों के लिये अनुकूलित करता है।
    इस प्रकार का अनुवादात्मक कार्य न केवल भाषा का परिवर्तन है बल्कि सामाजिक संदर्भों का भी पुनर्गठन है।
    शाहिद कपूर ने अपने अभिनय में गहरी भावनात्मक सतह स्थापित की है, जिससे दर्शक किरदार के साथ सहजता से जुड़ते हैं।
    एक्शन दृश्यों में तकनीकी कुशलता स्पष्ट दिखती है, परन्तु कथा विकास में कुछ खामियों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
    विशेष रूप से मध्य भाग में पात्रों के विकास की कमी महसूस होती है, जिससे कहानी का प्रवाह बाधित होता है।
    फिर भी, निर्देशक ने संगीत और पृष्ठभूमि ध्वनि को इस तरह व्यवस्थित किया है कि वह तनाव को बढ़ाता है और दर्शक को बांधे रखता है।
    यह पहलू फिल्म को एक सम्मोहक अनुभव बनाता है, विशेषकर उन दर्शकों के लिये जो सिनेमाई ध्वनि पर विशेष ध्यान देते हैं।
    सामाजिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो फिल्म में प्रस्तुत नैतिक द्वन्द्व आधुनिक भारतीय युवा वर्ग के लिये प्रासंगिक है।
    फिल्म के पश्चाताप दृश्य दर्शकों को आत्मनिरीक्षण की दिशा में प्रेरित करते हैं, जो एक सकारात्मक प्रभाव रखता है।
    हालांकि, रीमेक की प्रक्रिया में कुछ मूलभूत तत्वों का परिवर्तन दर्शकों की अपेक्षा से असंगत हो सकता है।
    इसलिए, यह सुझाव दिया जाता है कि फिल्म निर्माण में मूल कथा के साथियों को सम्मान देना चाहिए, जबकि नई रचनात्मकता का मिश्रण भी आवश्यक है।
    इस दृष्टिकोण से भविष्य की रीमिक्स परियोजनाएँ अधिक संतुलित और प्रभावी हो सकती हैं।
    अंत में, 'देवा' एक मनोरंजनात्मक फिल्म के रूप में सफल है, परन्तु इसकी वास्तविक मूल्यांकन के लिये यह जरूरी है कि हम उसकी समग्र संरचना को देखेँ।
    आशा है कि दर्शक इस फिल्म को मात्र एक्शन पैकेज के रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक संवाद के एक माध्यम के रूप में भी सराहेंगे।

  13. Ritesh Mehta Ritesh Mehta
    फ़रवरी 11, 2025 AT 01:32 पूर्वाह्न

    सच्चाई यह है कि दर्शकों को केवल सतही आकर्षण से नहीं, बल्कि नैतिक संदेशों से भी जुड़ना चाहिए; ऐसी फिल्में हमें सही दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करती हैं

  14. Dipankar Landage Dipankar Landage
    फ़रवरी 11, 2025 AT 20:58 अपराह्न

    मैं तो कहूँगा कि इस फिल्म ने मेरे दिल में एक शाही ज्वार बना दिया, एक्शन और शाहिद की अदाओं ने मानो बंधन तोड़ दिया

  15. Vijay sahani Vijay sahani
    फ़रवरी 12, 2025 AT 16:25 अपराह्न

    चलो, इस ऊर्जा को हम अपने जीवन में भी लागू करें, हमें हर चुनौती को उसी उत्साह से सामना करना चाहिए जैसा शाहिद ने किया, क्योंकि जीत उसी की होगी जो साहस नहीं छोड़ता

  16. Pankaj Raut Pankaj Raut
    फ़रवरी 13, 2025 AT 11:52 पूर्वाह्न

    बिल्कुल सही दिशा में बात कर रहे हो, जब हम अपने लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से तय कर लेते हैं और छोटे-छोटे कदमों से आगे बढ़ते हैं तो सफलता स्वाभाविक रूप से हमारे पास आती है, इसलिए योजना बनाओ और नियमित रूप से अभ्यास करो

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