क्या आपने कभी सोचा है कि अचानक बाढ़ या तूफ़ान आ जाए तो आप क्या करेंगे? बचाव अभियान का मतलब सिर्फ सरकारी योजना नहीं, बल्कि हर व्यक्ति की छोटी‑छोटी तैयारियाँ हैं। यहाँ हम बताते हैं कि कैसे आप रोज़मर्रा में खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं।
झारखंड, कानपुर या किसी भी राज्य में भारी बारिश की चेतावनी आने पर सबसे पहला काम – सूचना पढ़ना। IMD की वेबसाइट, मोबाइल ऐप या स्थानीय समाचार चैनल से येलो/ऑरेंज अलर्ट मिलते ही घर के निकास‑मार्ग और ऊँचे स्थानों का पता लगाएँ। बहुत समय नहीं लगता, बस एक बार नोटिफ़िकेशन सेट कर लीजिए और आप हमेशा अपडेट रहेंगे।
एक छोटा बैक‑अप किट बनाएं जिसमें टॉर्च, अतिरिक्त बैटरी, साफ पानी, कुछ स्नैक, प्राथमिक चिकित्सा सामान और जरूरी दस्तावेज़ हों। इस किट को हल्के लेकिन टिकाऊ बॉक्स में रखकर ऊँचे दराज़ या छत पर रखें – बारिश के बाद भी आसानी से मिल जाएगा।
अगर आपके पास जेनरेटर या सोलर चार्जर है, तो उसे भी तैयार रखें. बिजली कटने पर फोन और टॉर्च चालू रहेंगे, जिससे आपातकाल में संपर्क बनाए रख पायेंगे.
गाँव या शहर के वो क्षेत्र जहाँ से पानी नहीं जमा होता – आमतौर पर सरकारी स्कूल, हाईवे के पास बड़े खुले मैदान होते हैं. अपने परिवार को इन स्थानों का पता बताकर रखें. अगर आप रेंटल फ्लैट में रहते हैं तो बिल्डिंग की एवीएस (एवॉइडेंस प्लान) फ़ाइल देख लें.
सड़क पर ड्राइव करते समय हमेशा पानी के स्तर पर नजर रखें, यदि 30 सेमी से अधिक जल जमा हो तो गाड़ी रोक दें और उच्च जगह पर चलें. इससे दुर्घटना की संभावना कम होगी.
पड़ोसियों को मदद करने के लिए एक छोटा समूह बना लें – WhatsApp या स्थानीय मैसेजिंग ऐप पर ‘बचाव टीम’ ग्रुप बनाकर अलर्ट शेयर करें. अगर कोई बुज़ुर्ग या बेघर व्यक्ति फँस जाए तो तुरंत सहायता पहुंचाएँ.
स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों से जुड़ें, वे अक्सर राहत सामग्री और दवाइयाँ मुफ्त में देते हैं। आपका छोटा योगदान भी बड़े बदलाव का हिस्सा बन सकता है.
बारिश खत्म होने पर पानी हटाने वाले पंप या मोटरबोट की उपलब्धता जांचें. घर में जमा जल को साफ़ करने के लिए बकेट, मोप और डिटर्जेंट रखें. अगर घर में कोई क्षति हो तो तुरंत बीमा कंपनी से संपर्क करें.
साफ‑सफाई के साथ-साथ खाद्य सामग्री भी जाँचें – पानी से गीले हुए पैकेज फेंक दें और सुरक्षित वस्तुएँ ही इस्तेमाल करें। यह स्वास्थ्य समस्याओं को रोकता है.
बचाव अभियान सिर्फ सरकारी योजना नहीं, बल्कि हर व्यक्ति की छोटी‑छोटी तैयारियों का संग्रह है. अलर्ट सुनें, किट बनाएं, सुरक्षित जगहों को जानें और पड़ोसियों के साथ मिलकर काम करें। इन सरल कदमों से आप न केवल खुद सुरक्षित रहेंगे, बल्कि दूसरों की मदद भी कर पाएँगे.
अब देर न करें – आज ही एक बचाव किट तैयार करें और अपने मोबाइल में मौसम अलर्ट सेट करें. आपका छोटा प्रयास बड़ी राहत बन सकता है!
मुंबई में 19 अगस्त 2025 को दो मोनोरेल ट्रेनें भारी बारिश के बीच ठप हो गईं। करीब 800 यात्री तीन घंटे तक फंसे रहे, जिनमें से 10 को घुटन की समस्या हुई। एमएमआरडीए के मुताबिक ओवरलोडिंग से पावर सप्लाई फेल हुई और कर्व पर इमरजेंसी ब्रेक लग गया। फायर ब्रिगेड ने स्नॉर्कल और टर्न टेबल लैडर से सभी को 9:50 बजे तक सुरक्षित उतारा। सरकार ने जांच के आदेश दिए।