मुंबई मोनोरेल ठप: भारी बारिश में घंटों फंसे 800 यात्री, तीन घंटे चला रेस्क्यू
bhargav moparthi
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मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।

6 टिप्पणि

  1. chandu ravi chandu ravi
    अगस्त 20, 2025 AT 18:51 अपराह्न

    भारी बारिश में मोनोरेल फँसी, लोग घबराए हुए 😱, कुछ लोग खिड़कियां तोड़ते भी पड़े, लेकिन फायर ब्रिगेड की तेज़ रेस्क्यू ने सबको बचा दिया 🙏🚒। इस तरह की स्थिति में शांति बनाये रखना और स्टाफ की बात मानना सबसे ज़रूरी है 😊।

  2. Neeraj Tewari Neeraj Tewari
    सितंबर 1, 2025 AT 08:38 पूर्वाह्न

    जब बाढ़ की लहरें शहर को घेर लेती हैं, तो हमारे सार्वजनिक परिवहन की कमजोर कड़ी उजागर होती है। मोनोरेल जैसी आधुनिक प्रणाली भी भीड़ और बिन नियोजित लोड से जुझती है, जिससे तकनीकी असफलताएँ सामने आती हैं। यह घटना हमें बताती है कि तकनीक के साथ मानव प्रबंधन भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

  3. Aman Jha Aman Jha
    सितंबर 12, 2025 AT 22:25 अपराह्न

    समझता हूँ कि तकनीकी दिक्कतें बड़ी समस्या हैं, पर साथ ही हमें भीड़ प्रबंधन में भी सुधार करना चाहिए। एंट्री मीटरिंग और रियल‑टाइम लोड डिस्प्ले जैसे कदम तुरंत लागू किए जा सकते हैं। सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम करने से भविष्य में ऐसी घटनाएँ रोकी जा सकती हैं।

  4. Mahima Rathi Mahima Rathi
    सितंबर 24, 2025 AT 12:11 अपराह्न

    वाह, ऐसे 'उन्नत' सिस्टम और फिर भी अड़चनें। 🙄

  5. Jinky Gadores Jinky Gadores
    अक्तूबर 6, 2025 AT 01:58 पूर्वाह्न

    बारिश की स्याह परछाइयाँ मोनोरेल के काँच के सफ़ेद पर्दों पर डमरु बजा रही थीं, भीड़ का भार बढ़ता गया, और अचानक बिजली की नज़र फिसल गई, अंत में सब कुछ ठहर गया

  6. Vishal Raj Vishal Raj
    अक्तूबर 17, 2025 AT 15:45 अपराह्न

    मोनोरेल की ओवरलोडिंग समस्या तकनीकी डिजाइन के साथ संचालन नियमों में छिद्र का संकेत देती है। लोड सेंसर की कैलिब्रेशन में त्रुटि या उपेक्षा ने वास्तविक वजन को सटीक रूप से नहीं मापा। परिणामस्वरूप पावर ट्रिप के साथ इमरजेंसी ब्रेक सक्रिय हुआ। बैकअप बैटरियों की क्षमता कम होने के कारण वेंटिलेशन केवल कुछ मिनटों तक चला। इससे यात्रियों को घुटन का खतरा महसूस हुआ। फायर ब्रिगेड की स्नॉर्कल टीम ने डिट्रेनमेंट प्रक्रिया को समयबद्ध किया। हालांकि तीन घंटे का समय रेस्क्यू में अत्यधिक लंबा माना जा सकता है। रैक सेक्शन में सिंगल पॉइंट फेल्योर की संभावना को हटाने के लिए रिंग फीड डिज़ाइन अपनाया जाना चाहिए। प्रत्येक कर्व पर सेक्शनल सर्किट ब्रेकर स्थापित करने से ओवरकरंट स्थिति में स्वतः कट‑ऑफ संभव होगा। प्लेटफ़ॉर्म पर लोड डिस्प्ले बड़ी स्क्रीन पर वास्तविक संख्या दिखा सकता है। एंट्री मीटरिंग द्वारा प्रवेश को सीमित करके भीड़ दबाव को घटाया जा सकता है। बारिश के मौसम में सबस्टेशनों को वाटरप्रूफ करना भी आवश्यक है। सिग्नल केबलिंग और ट्रैक्शन मोटर हाउस को जलरोधक बनाना चाहिए। नियमित प्री‑मानसून ड्रिल से टीम को आपातकालीन स्थितियों में तेज़ प्रतिक्रिया देने की तैयारी करनी चाहिए। इन सभी उपायों को मिलाकर ही मोनोरेल की विश्वसनीयता को बढ़ाया जा सकता है।

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