करवा चौथ: त्योहारी व्रत की पूरी गाइड

जब आप करवा चौथ, एक प्रमुख हिंदू त्यौहार जहाँ विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु के लिये व्रत रखती हैं, कुहू की बात सुनते हैं, तो कई सवाल दिमाग में आते हैं—उपवास कब शुरू होता है, सूर्य अर्घ्य कैसे दिया जाता है, और कौन‑से पकवान बनाना चाहिए। यह त्यौहार व्रत, धार्मिक अनुशासन जिसमें भोजन, पानी, और कुछ शारीरिक क्रियाएँ बंद रहती हैं की श्रेणी में आता है और शरत ऋतु के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। मुख्य रिवाज है शाम को सूर्य, आकाशीय पिंड जिसका अर्घ्य व्रती महिलाएँ अपने पति को समर्पित करती हैं के अस्त के समय अर्घ्य देना, जिसके बाद फास्ट‑ब्रेक की मिठाइयों का आनंद लिया जाता है। साथ ही, इस दिन की तैयारी में अक्सर भोजन, विशेष व्यंजन जैसे मेवे के लड्डू, चनार की रोटी, और फालूदा बनाना शामिल होता है, जिससे रिवाज़ और स्वाद दोनों जीवंत हो जाते हैं।

इतिहास और क्षेत्रीय विविधताएँ

करवा चौथ की उत्पत्ति प्राचीन पौराणिक कथा से जुड़ी है, जहाँ रानी कौरव राजा शूरसेन के लिये सूर्य के अर्घ्य की मांग करती थीं। समय के साथ यह रिवाज़ दक्षिण‑उत्तरी भारत में अलग‑अलग रूप ले गया। राजस्थान में इसे "करवा चौथा" कहा जाता है, जबकि गुजरात में "कोहरी चौथा" के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक क्षेत्र में स्थानीय मिठाई और सजावट का अपना अंदाज़ होता है, पर मुख्य भावना वही रहती है – पति की दीर्घायु के लिये समर्पित उन्नत व्रत। करवा चौथ अब सिर्फ पारिवारिक समारोह नहीं, बल्कि सामाजिक जुड़ाव का भी माध्यम बन गया है।

तैयारी में सबसे पहला कदम है आधी रात के बाद स्नान करना, साफ‑सुथरे कपड़े पहनना, और घर को फूलों व रंगीन रांगोली से सजाना। फिर सिंधु (संतरे का रस) और कुहू (कच्चा केला) को जल में उबालकर अर्चना में उपयोग किया जाता है। महिलाएँ अक्सर सिमरन (सूर्य के साथ उपवास रखना) के लिये एक छोटी सी पोटली तैयार करती हैं, जिसमें आवश्यक द्रव पदार्थ, मीठा और साफ़ पानी रखा जाता है। इन सभी चीज़ों को व्यवस्थित रख कर एक साफ़ जगह पर रख देना चाहिए, जहाँ अर्घ्य के समय सब कुछ आसानी से मिल सके।

व्रत रखने के दौरान स्वास्थ्य का ख़याल रखना भी जरूरी है। उपवास के शुरुआती चरण में केवल पानी और हल्का फल (जैसे वॉटरमेलन या छोटा केला) लेना स्वीकार्य है। दो‑तीन घंटे में एक बार सूप या हल्का दलिया लीजिए, जिससे ऊर्जा बनी रहे। अगर कोई स्वास्थ्य समस्या है तो डॉक्टर से सलाह लेकर हल्का नट्रिशन सप्लीमेंट ले सकते हैं। व्रत तोड़ने के लिए शाम को विशेष व्यंजन तैयार किए जाते हैं – आम तौर पर मेवे का लड्डू, जलेबी, और चनार की रोटी के साथ दही या मीठे छाछ का सेवन किया जाता है।

अर्घ्य देने की प्रक्रिया में कई प्रमुख चरण होते हैं। पहले, सूर्य के अस्त होने से ठीक पहले, व्रती महिला को जल में डुबकी लगाकर शुद्धी करनी चाहिए। फिर घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाकर सूर्य को अर्घ्य देना शुरू किया जाता है। अर्घ्य के दौरान पूजा थाली में चन्दन, मधु, और शुभ वस्त्र रखना चाहिए। अर्घ्य समाप्त होने के बाद, पति को लौटकर अर्घ्य की द्रव्यमान जल (सिंधु) देकर पिया जाता है, जिससे व्रत का रिटिसक्शन पूर्ण माना जाता है।

फास्ट‑ब्रेक के समय मिठाइयाँ मुख्य आकर्षण होती हैं। मीठे लड्डू, ज्वार के चावल से बने बर्फी, और फालूदा (आंवला के साथ) अक्सर तैयार की जाती हैं। इनके अलावा कई घरों में आलू‑भुजिया, पकोड़े, और खीर की अलग‑अलग वैरायटी तैयार की जाती है। यह समय परिवार के साथ मिलकर स्माइल शेयर करने और छटा‑बिछाने का भी हो जाता है।

आधुनिक समय में करवा चौथ को डिजिटल रूप भी मिले हैं। बहुत से लोगों ने ऑनलाइन पूजा की सुविधा अपनाई है, जहाँ वे वर्चुअल मंदिर में अर्घ्य अर्पित कर सकते हैं। साथ ही, टेलीमार्केटिंग प्लेटफ़ॉर्म पर करवा चौथ का विशेष डिलिवरी मेन्यू उपलब्ध है, जिससे व्यस्त लोगों को भी रिवाज़ निभाने में आसानी होती है। सोशल मीडिया पर हैशटैग #करवाचौथ से जुड़कर लोग एक दूसरे के अनुभव साझा करते हैं, जिससे समुदाय का बंधन और मजबूत होता है।

इन सभी पहलुओं को समझकर अब आप अपने या अपने प्रियजन के लिये इस करवा चौथ को पूरी आत्मा से मनाने की तैयारी कर सकते हैं। आगे की सूची में हम करवा चौथ से जुड़े विविध लेख, रेसिपी और टिप्स को क्यूरेट करके पेश करेंगे, जिससे आपका त्यौहार और भी आसान और खुशहाल बन सके।

करवा चौथ 2025: 10 अक्टूबर, पूजा मुहरत 5:57‑7:11 बजे, चंद्रदयन 8:13 बजे 9 अक्तूबर 2025

करवा चौथ 2025: 10 अक्टूबर, पूजा मुहरत 5:57‑7:11 बजे, चंद्रदयन 8:13 बजे

करवा चौथ 2025 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा; पूजा मुहरत शाम 5:57‑7:11 बजे, उपवास 6:19‑8:13 बजे। प्रमुख कैलेंडर स्रोतों की पुष्टि।

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