सहज सोलर आईपीओ: क्या देखें और कैसे तैयारी करें
सहज सोलर का आईपीओ अगर आप देख रहे हैं तो सबसे पहले यह समझ लें कि हर आईपीओ मुनाफे की गारंटी नहीं देता। सवाल यह है — कंपनी का बिजनेस मॉडल, ऑर्डर बुक और कर्ज कितने है? इन चीजों को जानकर ही आप समझ पाएंगे कि निवेश करना समझदारी है या नहीं।
सबसे सरल तरीके से देखें: कंपनी की हालिया कमाई, बॉक्स-टाइगर (Promoter) हिस्सेदारी, और आरएचपी/प्रॉस्पेक्टस में दी गई वजहें। सरकारी ठेके या कॉर्पोरेट क्लाइंट हों तो यह प्लस पॉइंट है। अगर सब कुछ सिर्फ प्लान और प्रोजेक्टेड नंबरों पर है, तो सावधानी बरतें।
कैसे जांचें कि आईपीओ सही है?
1) आरएचपी पढ़ें: आरएचपी में रेवेन्यू, मार्जिन, कर्ज और रिस्क फैक्टर्स साफ लिखे होते हैं। सरल भाषा में: कंपनी पैसे कैसे बनाती है और उसका खर्च क्या है, यह देख लें।
2) प्रॉमोटर और मैनेजमेंट: क्या प्रॉमोटर का पिछला रिकॉर्ड अच्छा है? पहले किस सेक्टर में काम किया है? अगर टीम में अनुभवी लोग हैं तो भरोसा बढ़ता है।
3) ऑर्डर बुक और ग्राहक: सोलर कंपनी के लिए लंबे कॉन्ट्रैक्ट, सरकारी सब्सिडी या बड़े कॉर्पोरेट क्लाइंट मायने रखते हैं। ऑर्डर बुक मजबूत हो तो भविष्य के रेवेन्यू के संकेत मिलते हैं।
4) वित्तीय स्वास्थ्य: मार्जिन, ईबीआईटीडीए, और कुल कर्ज देखें। बहुत सारा कर्ज होने पर जोखिम बढ़ता है।
आवेदन और सूचीकरण रणनीति
आवेदन से पहले बैंक/ब्रोकरेज की लिस्टिंग फीस और ASBA या ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया समझ लें। आईपीओ आमतौर पर ASBA या UPI के माध्यम से आसान है। आवेदन करते समय लॉट साइज़ जानें और सिर्फ अपनी रिस्क टॉलरेंस के हिसाब से ही आवेदन करें।
लिस्टिंग डे की रणनीति: कई बार नए आईपीओ शुरुआती दिनों में अच्छा लस्ट दिखाते हैं, लेकिन कुछ का सर्कुलर ट्रेड बाद में गिरता है। अगर आपका लक्ष्य छोटा-टीम लॉट और तेज़ प्रॉफिट है तो पहले 15-30 मिनट में भाव देखें। लॉन्ग टर्म के लिए कंपनी के बिजनेस फंडामेंटल्स पर ध्यान दें, न कि केवल पहले दिन की ऊछाल पर।
जोखिम याद रखें: सोलर सेक्टर का असर सरकारी नीतियों, टैरिफ और सब्सिडी से सीधे जुड़ा होता है। मौसम, कच्चे माल की कीमत और ग्लोबल सप्लाई चेन भी प्रभावित कर सकती है।
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