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भारत और यूके के बीच नया एफ़टीए दोनो देशों की आर्थिक नीति में गहरी बदलाव लाएगा। टैरिफ में कटौती से मुख्य रूप से कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स और औद्योगिक वस्तुएँ सस्ते होंगी। इससे छोटे उद्यमियों को निर्यात के नए अवसर मिलेंगे और रोजगार की संभावनाएँ बढ़ेंगी। विशेष रूप से आईटी और फ़ार्मा सेक्टर को यूके की खुली मार्केट से काफी लाभ होगा। इस सहयोग को सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि सांस्कृतिक आदान‑प्रदान को भी तेज करना चाहिए। छात्रों और पेशेवरों की आवाज़ें अब अधिक सुगम हो जाएँगी, जिससे ज्ञान का प्रवाह तेज होगा। डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन से युवा प्रोफेशनल्स को सोशल सिक्योरिटी का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। यह पहल भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सुधार का मुख्य हिस्सा बन सकती है। यूके में काम करने वाले भारतीय कर्मियों को अब बिंदु‑आधारित इमीग्रेशन की रियायतें मिलेंगी। इससे दोनो पक्षों के बीच कार्यबल का आदान‑प्रदान सहज और अधिक स्थायी हो जाएगा। व्यापार के आंकड़े देखे तो 2023‑24 में दोनो देशों का व्यापार $21.34 अरब था, जो भविष्य में और बढ़ेगा। लक्ष्य है कि अगले कुछ वर्षों में यह आंकड़ा £25.5 अरब सालाना तक पहुँच जाए। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये दोनों सरकारों को बुनियादी ढाँचे में निवेश और विधायी आसानी प्रदान करनी होगी। अंत में, यह समझौता सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक व सामाजिक स्तर पर भी एक माइलस्टोन है। आशा है कि इस सहयोग से लोगों के जीवन स्तर में वास्तविक सुधार देखेंगे और दोनो देशों के रिश्ते और मजबूत होंगे।
FTA का लाभ भारत में स्टार्ट‑अप्स के लिए भी बहुत बड़ा है 😊। अब टेक कंपनियों को यूके के क्लाइंट्स तक पहुँचने में कम लागत आएगी। साथ ही, फ़ार्मा क्षेत्र की एक्सपोर्ट भी तेज होगी 🚀। सरकार को चाहिए कि इन अवसरों को प्रोमोट करने के लिये इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करे।
यह समझौता निश्चित रूप से दोनो पक्षों के लिए आर्थिक लाभ लाएगा, परन्तु इसे ऐसे ही सराहना ठीक नहीं है। हमें यह देखना चाहिए कि किस हद तक स्थानीय उद्योगों पर दबाव पड़ता है। यदि नियमन सही नहीं रहेगा तो छोटे उत्पादकों को नुकसान हो सकता है।
साथीओ इस FTA से देश की प्रगति तेज़ होगी, नई नौकरियों की संभावना बढ़ेगी। हमें इस अवसर को पकड़ना चाहिए!
बिलकुल सही कहा, पर बात सिर्फ नौकरियों की नहीं, बल्कि श्रमिकों के अधिकारों की भी है। अगर नीतियों में सुरक्षा नहीं गई तो कोई भी फायदा नहीं रहेगा।
हमारी निर्यात शक्ति को कोई नहीं रोक सकता, यूके को अब हमारे माल की क़ीमत समझ में आएगी!
मुझे लगता है यह कदम सही दिशा में है