बॉर्डरलैंड्स फिल्म समीक्षा - एक प्रभावशाली गेम से मतालबी रोथ की निशानी
बॉर्डरलैंड्स: एक मशहूर गेम पर आधारित निराशाजनक फिल्म
एलि रोथ की फिल्म 'बॉर्डरलैंड्स' की समीक्षा को लेकर प्रशंसक और समीक्षक दोनों ही निराश हैं। असल में, यह फिल्म 'बॉर्डरलैंड्स' वीडियो गेम सीरीज की संचरना को भुला देने का प्रमाण ही है। फिल्म में वो क्रिएटिव कैओस, रोमांचक खोज और जोशीला हास्य गायब है जिसकी वजह से यह गेम्स लोकप्रिय हुई थी।
कहानी का विश्लेषण
फिल्म की कहानी लिलिथ के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसका किरदार कैट ब्लैंचेट ने निभाया है। लिलिथ एक बाउंटी हंटर है, जिसे एटलस (एडगर रामिरेज़) ने अपनी बेटी टीना (एरियाना ग्रीनब्लैट) को पांडोरा प्लैनेट पर खोजने के लिए रखा है। इस मिशन में लिलिथ को रोलैंड (कैविन हार्ट), क्रिग (फ्लोरियन मुंटेअनु) और क्लैपट्रैप (जैक ब्लैक) का साथ मिलता है।
कहानी का प्रमुख आकर्षण है एरिकियन वॉल्ट को खोलने की कुंजी टीना की खोज। लेकिन कहानी सर्द होकर बिना किसी बड़े खतरों के पार हो जाती है। इस दौरान, क्रिंसन लांस सैनिक और बड़े थ्रेशर्स जैसे विरोधियों का भी खास असर नहीं होता।
फिल्म के दृश्य एवं निर्देशन
फिल्म के दृश्य निराशाजनक हैं। गेम्स की सेल-शेडेड सौंदर्यशास्त्र को बनाए रखने के बजाए, फिल्म का विजुअल साधारण और सहज नजर आता है। एलि रोथ के निर्देशन में, एक्शन सीक्वेंसेस के दौरान की उत्तेजना की भी कमी महसूस होती है।
अभिनय और पात्र
वहीं अभिनेताओं का प्रदर्शन भी खास प्रभावशाली नहीं है। कैट ब्लैंचेट का लिलिथ के रूप में अभिनय हालांकि अच्छा है, लेकिन कहानी ने उन्हें बहुत अधिक कुछ करने का मौका नहीं दिया। केविन हार्ट, फ्लोरियन मुंटेअनु और जैक ब्लैक के किरदार भी उसी भाग्य का शिकार हुए।
विपत्तियां और विफलता
फिल्म के दौरा, पात्रों के साथ कोई खास जुड़ाव नहीं हो पाता। उनके सामने कोई असली खतरा महसूस नहीं होता। कहानी के मुद्रांत समय की भी कमी दिखती है।
आखिरी शब्द
IGN की समीक्षा में यह साफ झलकता है कि फिल्म वाकई एक अधूरा प्रयोग है। इसने गेम्स से परिचित तत्वों को तो जोडने की कोशिश की है, लेकिन उनमें आत्मीयता का अभाव है। कुल मिलाकर, 'बॉर्डरलैंड्स' फिल्म उन प्रशंसकों के लिए एक खोये हुए मौके से अधिक कुछ नहीं जो गेम की दुनिया में खुद को खो चुके थे। यह फिल्म उस कमी का प्रतिनिधित्व करती है जो बेहतर निर्देशन और स्क्रिप्ट के माध्यम से आसानी से पूरी की जा सकती थी।
bhargav moparthi
मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।
11 टिप्पणि
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भाई लोगो, ये बॉर्डरलैंड्स फिल्म बिल्कुल नाकाबिल है। गेम के पैर पर ऐसे अड़ियल कदम रखे हैं कि कोई भी गुस्सा नहीं रोक पाता। असली हवा तो गेम में थी, लेकिन इस पिक्चर में तो स्याह चांदनी ही दिखी।
सही कहा, लेकिन कभी कभी ये चीज़ें आशा भी लाती हैं कि अगली बार कुछ बेहतर हो सकता है। थोड़ा आराम से देखते हैं, शायद अगली कोशिश में सुधरेंगे।
समग्र रूप से विश्लेषण करते हुए यह कहा जा सकता है कि बॉर्डरलैंड्स फिल्म ने मूल सामग्री के कई प्रमुख तत्वों को अनदेखा किया है।
पहले, कहानी संरचना में गहराई की कमी है; लिलिथ की व्यक्तिगत प्रेरणा और उसके आंतरिक संघर्ष का विकास उचित नहीं रहा।
दूसरा, गेम की विशिष्ट सौंदर्यशास्त्र, जैसे सेल-शेडेड ग्राफिक और प्रकाश-छाया संयोजन, को फिल्मों के बड़े बजट में भी पुनः निर्मित नहीं किया गया।
तीसरा, दृश्य प्रभावों की अभिव्यक्ति में वह तीव्रता नहीं है जो खिलाड़ियों को गेमप्ले के दौरान महसूस होती है।
चौथा, पात्रों की इंटरैक्शन में अभाव है, जिससे दर्शक उनके बीच भावनात्मक बंधन स्थापित नहीं कर पाते।
पाँचवा, संवाद लिखावट का स्तर औपचारिकता से हटकर काफी साधारण और कई बार अर्थहीन रहता है।
छठा, निर्देशक एलि रोथ ने एक्शन अनुक्रमों को ऐसे प्रस्तुत किया है कि उनमें तनाव का निर्माण नहीं हो पाता, जिससे दर्शकों की रुचि क्षीण हो जाती है।
सातवां, साउंडट्रैक की उपस्थिति भी उस निराशाजनक माहौल को पूरक नहीं कर पाती, जबकि गेम में संगीत हमेशा माहौल को गहरा बनाता था।
आठवां, फिल्म ने गेम के मूलभूत कलाकारी, जैसे विविध ग्रहों की अन्वेषण और नवाचारी हथियारों की प्रदर्शनी को नजरअंदाज किया।
नवां, लिप्यंतरण में कई बार कथा की निरंतरता टूटती है, जिससे कथा प्रवाह में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं।
दसवां, अभिनेता अपने पात्रों को प्रस्तुत करने में पर्याप्त स्वतंत्रता नहीं पा सके, जिससे उनके प्रदर्शन की सीमा सीमित रह गई।
यह सब मिलकर यह संकेत देता है कि फिल्म ने न केवल खेल के मूल तत्त्वों को त्याग दिया, बल्कि फिल्मी कला के मूलभूत सिद्धांतों का भी उल्लंघन किया।
अंततः, यदि भविष्य में इस फ्रैंचाइज़ी को फिर से पुनःनिर्मित किया जाता है, तो मूल स्रोत की गहराई और भावनात्मक ताने-बाने को संरक्षित रखना आवश्यक होगा।
ऐसी बेतुकी फिल्म को देखकर हमारे दर्शकों की आत्मा को नुकसान पहुंचता है।
ओह माय गॉड! इस फिल्म ने तो मेरे दिल को धड़ाम धड़ाम कर दिया! ऐसा लगा जैसे सिनेमा हॉल में एक बड़ा असफल नाटक चल रहा हो! हर सीन में रोस्टर तो शानदार था, पर कहानी का रास्ता बिल्कुल घोस्ट जैसा गायब हो गया। अब क्या कहूँ, कि मैं हँसी रोक नहीं पाया? वास्तव में, बॉर्डरलैंड्स को देख कर मुझे लगा जैसे मैं अपने पुराने गेम को नज़रंदाज़ कर रहा हूँ।
बिलकुल, यही तो असली बात है! चलो, अगली बार हम सब मिलकर एक असली एपीक एडवेंचर की बात करेंगे, जहाँ रंगीन विज़ुअल और धांसू एक्शन सीन हों! 🎬🚀
देखो ब्रो, फिल्म में कूदने की जगह तो नहीं थी, पर एडीटरन की बहुत दिक्कत लगी। साफ बात है, अगर फिर वारी बनती तो ये शो नहीं होगा।
समझता हूँ आपका मुँह, पर कुछ लोग इसको एंटरटेनमेंट की नजर से देख रहे हैं। मैं बस कहना चाहूँगा कि हर रचनाकार को अपने दर्शकों को ध्यान में रखकर काम करना चाहिए।
हाय रे, दिल तो उदास है.. पर चलो 👍
भले ही भावनात्मक प्रभाव कम हो, फिर भी इस प्रकार की फिल्में माध्यमिक रूप से लोकप्रियता को प्रभावित करती हैं। इस दृष्टिकोण से यह कहना उचित होगा कि बॉर्डरलैंड्स ने अपने दर्शकों को एक वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है, जिससे भविष्य में समान शैली की फिल्में अधिक संतुलित हो सकती हैं।
सभी कामों में कुछ न कुछ सीखने को मिलता है, इस फिल्म से भी हम समझ सकते हैं कि किस दिशा में सुधार की जरूरत है। चलिए, सकारात्मक मनोभाव बनाए रखें।