झारखंड हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भूमिअधिग्रहण मामले में दी जमानत
हेमंत सोरेन को मिली जमानत
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बड़ी रहत मिली है। झारखंड हाई कोर्ट ने 28 जून को उन्हें भूमिअधिग्रहण मामले में जमानत दे दी। सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस साल जनवरी में गिरफ्तारी किया था और उन्हें बिरसा मुंडा जेल, होटवार में न्यायिक हिरासत में रखा गया था। ED ने आरोप लगाया था कि सोरेन ने रांची में 8.86 एकड़ जमीन को अवैध तरीके से हासिल किया।
राजनीतिक साजिश का आरोप
सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी को राजनीतिक साजिश बताया और कहा कि उन्हें बीजेपी में शामिल होने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उन्होंने 16 अप्रैल को रांची की एक विशेष अदालत में जमानत याचिका दाखिल की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया था।
ED की जांच और गिरफ्तारियां
प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में कई छापेमारी और जांच की। एजेंसी ने पांच मामलों में जांच की है, जिसमें जमीन घोटाले का एक समान तरीका पाया गया है। झारखंड पुलिस और कोलकाता पुलिस द्वारा कई FIR दर्ज की गई हैं जो इसी प्रकार के घोटालों से संबंधित हैं। ED ने रांची में छापेमारी के दौरान ₹1 करोड़ नकद और 100 जीवित गोलियां जब्त की थीं।
गुप्त दस्तावेज और सरकारी अधिकारियों पर आरोप
जांच से पता चला कि झारखंड में सक्रिय भूमि माफिया जमीन के रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर रहे हैं। यह पाया गया कि रांची और कोलकाता में भूमि के मालिकाना हक के रिकॉर्ड में हेरफेर किया जा रहा है या छिपाया जा रहा है, जिससे अवैध अधिग्रहण, कब्जा और संपत्ति के उपयोग की सुविधा मिल सके। ED ने विभिन्न ठिकानों पर 55 तलाशी और 9 सर्वेक्षण किए और भूमि राजस्व विभाग की जाली मोहरें, जाली भूमि दस्तावेज, अपराध की आय के वितरण के रिकॉर्ड, फोटो, और सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने के सबूत जब्त किए। प्रमुख आरोपी भानु प्रताप प्रसाद, मोहम्मद सद्दाम हुसैन और अफशर अली को भी गिरफ्तार किया गया है।
जमानत का मतलब
सोरेन को मिली जमानत ने इस मामले को नए मोड़ पर ला दिया है। इसके साथ ही सवाल यह भी उठता है कि क्या सोरेन के खिलाफ ये मामले वाकई राजनीतिक दवाब का हिस्सा हैं या नहीं। इसके अलावा, झारखंड में भूमि माफिया और सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत की जांच भी महत्वपूर्ण हो गई है।
Veeran Khatri
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