
झारखंड में 17 जून को भारी बारिश का अलर्ट: नौ जिलों के लिए येलो अलर्ट, मानसून समय से पहले दस्तक देगा
झारखंड में मानसून की जल्दी दस्तक और भारी बारिश की चेतावनी
इस बार झारखंड में मानसून ने उम्मीद से पहले ही आने के संकेत दे दिए हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 17 जून 2025 को राज्य के नौ जिलों के लिए झारखंड में भारी बारिश को लेकर येलो अलर्ट जारी किया है। इसके बाद लगातार और तेज बारिश की संभावना को देखते हुए आगे के दिनों के लिए ऑरेंज अलर्ट घोषित किया गया है। मौसम विभाग ने साफ किया है कि इस बार प्री-मानसून बारिश 16 जून से ही शुरू हो जाएगी और पूरे राज्य में बारिश का सिलसिला तेज रहने की आशंका है।
रांची मौसम केंद्र के उप निदेशक अभिषेक आनंद ने बताया कि झारखंड में आमतौर पर 12 जून से 25 जून के बीच मानसून आता है, लेकिन इस साल इसकी रफ्तार तेज रही। केरल में भी मानसून 24 मई को ही पहुंच गया था, यानी पूरे एक हफ्ते पहले, जिससे झारखंड में भी जल्दी पहुंचने के आसार बन गए हैं।

येलो अलर्ट किसे झेलना पड़ेगा और किन चुनौतियों का सामना?
येलो अलर्ट और फिर ऑरेंज अलर्ट मुख्य रूप से प्रदेश के दक्षिण-पश्चिम और केंद्रीय हिस्सों के लिए है। इसमें खासतौर पर रांची, हजारीबाग, पलामू जैसे जिले शामिल हैं। इन जिलों में बारिश इतनी तेज हो सकती है कि कई इलाकों में जलजमाव, सड़कें बंद और बिजली गुल होने की नौबत आ सकती है।
- लोगों को ज्यादा सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
- स्थानीय प्रशासन को तैयार रहने को कहा गया है ताकि बाढ़ या पानी भरने जैसी चुनौतियों से तेजी से निपटा जा सके।
- खासतौर से निचले इलाकों में रहने वाले लोग घरों से कम निकलें और मौसम विभाग की ताजा सूचना पर नजर रखें।
बीते कुछ सालों में झारखंड में मानसून की आमद धीरे-धीरे आगे खिसक रही थी, लेकिन इस साल हालात बदले हैं। जल्दी मानसून आने की वजह से किसानों के लिए अच्छी खबर है, मगर अचानक तेज बारिश से रोजमर्रा की जिंदगी जरूर अस्त-व्यस्त हो सकती है। राजधानी रांची के अलावा हजारीबाग, पलामू, गुमला, साहिबगंज, दुमका, गिरिडीह, बोकारो, चतरा जैसे जिलों में प्रशासन ने राहत व आपदा प्रबंधन टीमों को सक्रिय कर दिया है।
मौसम विभाग ने खासतौर पर छात्रों, ऑफिस जाने वालों और यात्रियों से अपील की है कि अगर तेज बारिश हो तो जरूरी काम के लिए ही घर से निकलें। शहरों के कई हिस्सों में जलभराव और ट्रैफिक जाम की भी आशंका जताई गई है। इस बार समय से पहले मानसून आने से राज्य के किसान तो खुश हैं, लेकिन बेहतर होगा अगर लोग इस मौसम में सतर्क रहें ताकि किसी भी मुसीबत से बचा जा सके।
bhargav moparthi
मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।
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सबको तैयार रहना चाहिए। जलभराव से बचने के लिए अपने रास्ते साफ रखें। स्थानीय प्रशासन ने राहत दलों को तैनात किया है, इसलिए जल्दी मदद मिलेगी। सकारात्मक सोच के साथ हम इस मौसम को सुरक्षित बना सकते हैं।
मैं समझती हूँ कि अचानक तेज़ बारिश से लोग घबराते हैं। खासकर निचले इलाकों के परिवारों को बहुत चिंता होती है। लेकिन सभी को शांत रहना चाहिए और आधिकारिक सूचना पर भरोसा करना चाहिए। सुरक्षा के उपाय अपनाकर हम नुकसान को कम कर सकते हैं।
इसी बाढ़ का फायदा हमारे देश के कड़ी मेहनत वाले किसानों को मिलना चाहिए। ये जल्दी आया मानसून का संकेत है, अब गब्बर मत बनो। हम सबको मिलकर जलजमाव से लड़ना होगा, चाहे कितनी भी मुश्किल हो।
बरसात में सावधान रहो।
भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी येलो अलर्ट एवं आगामी ऑरेंज अलर्ट मौसम विज्ञान के दृष्टिकोण से उचित है, क्योंकि प्री-मानसून की अवधि में वर्षा के पैटर्न में उल्लेखनीय परिवर्तन देखा गया है। ऐतिहासिक आँकड़े दिखाते हैं कि पिछले दशक में झरखंड में मान्सून का आगमन औसत 3‑5 दिन पहले हो रहा है, जिससे जल संबंधित जोखिम बढ़ रहे हैं। इस वर्ष की तेज़ बारिश के कारण निचले इलाकों में जलजमाव की संभावना विशेष रूप से बढ़ी है, जो कृषि एवं आवासीय क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती है। जल प्रबंधन के लिए स्थानीय निकायों को निचले तल पर स्थित बाढ़‑प्रवण क्षेत्रों का मानचित्र तैयार करना चाहिए। साथ ही, नदी घाटियों में स्थापित मौजूदा बांध एवं जलाशयों की क्षतिपूर्ति क्षमता का तत्काल मूल्यांकन आवश्यक है। नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वैक्सीन एवं आपातकालीन किट तैयार रखें, जिसमें टॉर्च, अतिरिक्त पानी, तथा प्राथमिक उपचार सामग्री शामिल हों। स्कूल व शैक्षणिक संस्थानों को आदर्श रूप से ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि अनावश्यक ट्रैफ़िक एवं भीड़भाड़ से बचा जा सके। सार्वजनिक परिवहन को भी मौसम विभाग के अद्यतन डेटा के आधार पर रूट परिवर्तन एवं रद्दीकरण की योजना बनानी चाहिए। यदि आपातकालीन स्थिति उत्पन्न होती है, तो स्थानीय अलर्ट प्रणाली के माध्यम से तुरंत सूचना प्रसारित की जानी चाहिए। इस संदर्भ में, सामाजिक मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर सटीक एवं सत्यापित जानकारी का प्रसार अत्यंत महत्वपूर्ण है। ग्रामीण किसान अपने फसलों को सुरक्षित रखने हेतु वनस्पति संरक्षण उपाय जैसे कि काई‑रोकथाम जाल एवं जल निकासी प्रणाली स्थापित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, जलभाषा में सुधार के लिए जलवायु‑सहज बीज एवं जल‑संचयन तकनीकों को अपनाना लाभदायक रहेगा। प्रशासनिक प्राधिकरणों को पहले से तैयार आपातकालीन प्रतिक्रिया टीमों को सक्रिय करके प्रभावित क्षेत्रों में शीघ्र सहायता प्रदान करनी चाहिए। सुरक्षा एजेंसियों को बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों में निरंतर निगरानी रखनी चाहिए, ताकि बचाव एवं पुनर्वास कार्यों में कोई देरी न हो। इस प्रकार के समन्वित प्रयासों से जीवित‑जाने वाले जोखिम को न्यूनतम किया जा सकता है। अंत में, नागरिकों के सहयोग एवं सतर्कता ही इस तीव्र मौसम परिस्थिति को सफलतापूर्वक पार करने की कुंजी है।