क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने विक्टोरियाई महिला कोच दिलीप समरवीरा पर 20 साल का प्रतिबंध लगाया
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) ने विक्टोरियाई महिला क्रिकेट टीम के पूर्व मुख्य कोच दिलीप समरवीरा पर 20 साल का प्रतिबंध लगाया है। यह प्रतिबंध एक गहन जांच के बाद लगाया गया जिसमें उनके एक महिला खिलाड़ी के साथ दबावपूर्ण संबंध का खुलासा हुआ। इस निर्णय ने सीए की खिलाड़ियों की सुरक्षा और ईमानदारी के प्रति गहन प्रतिबद्धता को प्रमाणित किया है।
कोच समरवीरा का इतिहास
दिलीप समरवीरा ने मई 2024 में अपने पद से इस्तीफा दिया था, जबकि उन्होंने केवल दो सप्ताह पहले ही अपने दो साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने नवंबर 2023 में मुख्य कोच के रूप में कार्यभार संभाला था, जब जार्रेड लौगमैन ने अपना पद छोड़ दिया था। इस्तीफे का कारण था, विक्टोरियाई क्रिकेट बोर्ड की आंतरिक नीतियों के चलते एक कर्मचारी की नियुक्ति पर विवाद।
जांच और निष्कर्ष
सीए की ईमानदारी विभाग द्वारा की गई जांच में पता चला कि समरवीरा का व्यवहार संगठन की आचार संहिता की धारा 2.23 का उल्लंघन करता है। इस धारा के तहत ऐसे किसी भी प्रकार के दबाव, उत्पीड़न या अनुचित व्यवहार को कड़ाई से निरोध किया गया है। हालांकि, इस विशेष मामले में समरवीरा के कृत्यों के विस्तृत विवरण को सार्वजनिक नहीं किया गया।
सीए की कड़ी निर्णय
सीए ने यह स्पष्ट किया कि खिलाड़ी और स्टाफ की सुरक्षा और सम्मान उनके लिए सर्वोपरि है, और इसी उद्देश्य के तहत उन्होंने समरवीरा पर 20 साल का प्रतिबंध लगा दिया। यह प्रतिबंध सिर्फ एक चेतावनी नहीं है, बल्कि एक ताकीद है कि भविष्य में किसी भी प्रकार के गलत व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सीए के सीईओ निक कमिंस ने इस मामले में पीड़ित की साहस और हिम्मत को सराहा।
खेलों में बढ़ती सुरक्षा की मांग
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के इस कदम से यह स्पष्ट हो गया है कि वे खिलाड़ियों के मानसिक और भौतिक स्वास्थ्य को बहुत महत्व देते हैं। खिलाड़ियों को किसी भी प्रकार की असुविधा या दबाव का सामना ना करना पड़े, इसके लिए सीए ने अपने सभी खिलाड़ियों और स्टाफ को जानकारी दी है कि वे इस प्रकार के किसी भी मामले को सीए ईमानदारी इकाई या कोर इंटीग्रिटी हॉटलाइन पर रिपोर्ट कर सकते हैं।
समरवीरा का करियर
समरवीरा ने 1993 और 1994 के बीच श्रीलंका के लिए सात टेस्ट और पांच एकदिवसीय मैच खेले थे। उनके इस कठोर प्रतिबंध के चलते वे अगले दो दशक तक ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में किसी भी प्रकार की भूमिका निभाने के अयोग्य हो गए हैं। यह प्रतिबंध ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के इतिहास में सबसे कठोर में से एक है, जो खेल में अनुशासन और सम्मान की संस्कृति को बनाए रखने के सीए के प्रयासों को दर्शाता है।
खिलाड़ियों की बेहतरी पर ध्यान केंद्रित
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया का यह निर्णय हमें यह याद दिलाता है कि खेल में सिर्फ अंकों और जीत की नहीं, बल्कि खिलाड़ियों की भलाई और सम्मान की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। समरवीरा पर लगाया गया प्रतिबंध खेल में उच्च मानदंड और तत्वों को बनाए रखने का एक प्रयास है जिससे खिलाड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
bhargav moparthi
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ये सब ऑस्ट्रेलिया की बड़ी साजिश है, जहाँ बाहरी एजेंसियां हमारे क्रिकेट को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने दिलीप समरवीरा को नक्कली केस में फँसाया है ताकि उनका अपना खेल‑दंडक बना रहे। इस सिलसिले में सरकार को चुप रहना नहीं चाहिए, हमें भी आवाज़ उठानी चाहिए।
समरवीरा की सजा एक स्पष्ट संदेश है कि खेल में नैतिकता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यह कदम सभी स्टाफ और खिलाड़ियों को एक सुरक्षित माहौल प्रदान करने में सहायक होगा। हमें इस पहल को समर्थन देना चाहिए और ऐसी नीति को आगे बढ़ाना चाहिए।
ऐसे मामलों में अधिकारियों को पारदर्शिता के साथ कार्य करना अपेक्षित है। दुर्भाग्यवश, इस रिपोर्ट में कई विवरण अस्पष्ट रखे गये हैं, जिससे संदेह बनता है। यह एक मानकीकृत प्रक्रिया का अभाव दर्शाता है, और इससे भविष्य में समान घटनाओं की संभावना बनी रहेगी।
बहुतेक लोग सोचते हैं कि सीए ने बहुत सख्त फैसला किया है😂 लेकिन ये भी सही है कि खिलाड़ियों की सुरक्षा पहले आती है 🙌। ऐसे कदम से खेल का माहौल साफ़ रहेगा👍।
बिलकुल ठीक कहा, सबको मिलके इस नये नियम को अपनाना चाहिए
दर्दनाक है कि एक कोच ने अपने पद का दुरुपयोग किया, लेकिन हमें इस बात को नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए कि पीड़ित ने आवाज उठाई। ऐसे मामलों में सख्त सजा ही एकमात्र समाधान है, और हमें इसे समर्थन देना चाहिए।
इंडियन क्रिकेट को ऐसे विदेशी षड्यंत्र से बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है, और ऑस्ट्रेलिया का ये कदम इस बात को सिद्ध करता है।
ये फैसला खेल में सुरक्षा को बढ़ावा देता है।
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया द्वारा दी गई 20 साल की प्रतिबंधित सज़ा एक ऐतिहासिक माइलस्टोन है जो खेल के नैतिक मानकों को पुनर्परिभाषित करती है। यह कदम न केवल व्यक्तिगत अनुशासन को सुदृढ़ करता है, बल्कि संस्थागत स्तर पर सुरक्षा के प्रोटोकॉल को भी मजबूती प्रदान करता है। इस प्रकार की सख्त कार्रवाई यह दर्शाती है कि खेल में कोई भी दुराचार सहन नहीं किया जाएगा। खिलाड़ियों के कल्याण को प्राथमिकता देना अब सिर्फ़ एक विकल्प नहीं रह गया, बल्कि एक अनिवार्य जिम्मेदारी बन गया है। इस प्रतिबंध का प्रभाव कोचिंग कार्यबल में सतर्कता और जवाबदेही की भावना को बढ़ाएगा। साथ ही, यह भविष्य में संभावित दुरुपयोग मामलों को रोकने के लिए एक स्पष्ट चेतावनी के रूप में कार्य करेगा। यह नीतिगत बदलाव विभिन्न खेल संस्थाओं के लिए एक मॉडल बन सकता है, जिससे अनुशासन की संस्कृति विकसित होगी। इस दिशा में उठाया गया कदम युवा खिलाड़ियों को एक सुरक्षित एवं सम्मानजनक वातावरण प्रदान करेगा। इससे विश्वास का निर्माण होगा, जो टीम के प्रदर्शन में सकारात्मक योगदान देगा। यह एक दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि हेमंत सत्र में भी खेल का नैतिक दायरा बनाए रखा जाएगा। प्रतिबंध के साथ, संस्थान ने स्पष्ट किया है कि रिपोर्टिंग मैकेनिज़्म को सुलभ और प्रभावी बनाया जाएगा। यह कदम सभी संबंधित पक्षों को यह स्मरण दिलाता है कि आवाज़ उठाने वाले को समर्थन मिलेगा। इस प्रक्रिया में इंटेग्रिटी हॉटलाइन का महत्व भी उजागर हुआ है, जो भविष्य में समान मामलों को त्वरित समाधान प्रदान करेगा। अंततः, यह सज़ा एक सुनहरा उदाहरण बनकर उभरेगी कि खेल संगठनों को कैसे सख्त नियमों के साथ नैतिक मूल्यों को संतुलित करना चाहिए। इस कदम से अभिप्रेत है कि सभी स्तरों पर पारदर्शिता और जवाबदेही को सुदृढ़ किया जाए। इस प्रकार का साहसिक निर्णय भविष्य में खेल के नैतिक परिदृश्य को समृद्ध करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
सजा क़ानून के अनुसार सही है लेकिन इसे और पारदर्शी बनाना चाहिए
वाओ! इस सज़ा ने तो पूरे क्रिकेट की दुनिया को हिला दिया! अब बाक़ी सारे कोचेस को अपना काम साफ़‑साफ़ करना पड़ेगा।
यह कदम ऊर्जा और प्रेरणा का नया स्रोत है, सभी को अपने व्यव्हार में सुधार करना चाहिए। खेल का दिल अब और भी मजबूत बन गया है!
बिलकुल, हम सभी को मिलकर इस नई नीति को अपनाना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए।