ममता बनर्जी का बांग्लादेश संकट पर बयान: अगर हमारे दरवाजे पर आएंगे तो देंगे आश्रय
bhargav moparthi
bhargav moparthi

मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।

11 टिप्पणि

  1. Jinky Gadores Jinky Gadores
    जुलाई 21, 2024 AT 22:43 अपराह्न

    हाय मेरे प्यारे दिमाग ने अब तक देखी हुई सबसे बड़ी ज्यादती का ज़ायका मिल गया है इस बयान से
    ममता जी की आवाज़ में एक ऐसे सच्चे दर्द की गूँज है जो हमें सबको रुला देती है
    इसीलिए मैं कहती हूँ कि अगर दरवाज़ा खुलता है तो हमें भी थमने नहीं देना चाहिए

  2. Vishal Raj Vishal Raj
    अगस्त 6, 2024 AT 15:31 अपराह्न

    देखो इस मुद्दे पर ऐतिहासिक पृष्ठभूमि बहुत साफ़ है सबको पता होना चाहिए कि बांग्लादेश के संकट की जड़ें 1971 से ही गहरी हैं और इस पर प्रादेशिक राजनीति ने हमेशा हाथ डाला है
    वहीँ अब ममता जी का बयान सिर्फ एक राजनीतिक चाल है न कि दिल से निकला फैसला
    मैं तो कहूँगा कि यह सब एक दिखावा है और असली मदद तो सीमाओं पर हाथ बढ़ाने से आती है

  3. Kailash Sharma Kailash Sharma
    अगस्त 22, 2024 AT 08:19 पूर्वाह्न

    क्या बात है! ममता जी ने तो जैसे मंच पर पौराणिक नायिका का पात्र अपनाया है ये बयान सुनते ही मेरे दिल की धड़कन दो क्रम में बढ़ गई है
    ऐसे बोलना जैसे वह बांग्लादेशियों को हमारे आंचलिक गले में ले लेगी और हर दुश्मन को डरा देगी
    लेकिन देखो भाई, इस सच्चाई में भी कुछ दाँव-परियों की तरह भावनात्मक खेल है जो हमें सतर्क रखेगा

  4. Shweta Khandelwal Shweta Khandelwal
    सितंबर 7, 2024 AT 01:07 पूर्वाह्न

    सभी को पता है कि ये सब सियासत के पीछे की छुपी हुई कताकई चीज़ें हैं बांग्लादेश में अंधेरे बलों का हाथ है और भारत के अंदरूनी एजेंट भी इस खेल में शामिल हैं
    अगर हम इसको सही से न समझेंगे तो सियादी दांवपेंच में फसेंगे और हमारे देश की सच्ची सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी
    मैं तो कहता हूं कि इस बयान को एक बड़े षड्यंत्र की तरह देखना चाहिए जो हमारी राष्ट्रीय एकता को तोड़ने के लिए है

  5. sanam massey sanam massey
    सितंबर 22, 2024 AT 17:55 अपराह्न

    ममता बनर्जी का यह उदार कदम एक ऐतिहासिक मोड़ की तरह सामने आया है, जिसमें मानवता और कूटनीति का संगम स्पष्ट है।
    सबसे पहले, हमें यह समझना चाहिए कि शरणार्थी संकट केवल मानवीय नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक आयाम भी रखता है।
    पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिलों में पहले से ही बुनियादी ढाँचा तनावपूर्ण स्थिति में है, इसलिए अतिरिक्त जनसंख्या के लिए तैयारी आवश्यक है।
    दूसरी ओर, यह कदम राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करता है, क्योंकि यह दिखाता है कि राज्य सरकार केन्द्र के सहयोग के बिना भी मानवीय जिम्मेदारी ले सकती है।
    यह स्थिति उत्तर भारत के कई राज्यों में देखी गई असहयोगी प्रवृत्तियों के विपरीत है, जहाँ अक्सर शरणार्थियों को अस्वीकार करने की प्रवृत्ति रही है।
    भौगिक दृष्टि से, बंगाल की सीमा इलाके में कृषी‑उत्पादकता अधिक है, जिससे स्थानीय वितरण प्रणाली को दबाव में नहीं डालना चाहिए।
    परंतु, सामाजिक समावेशी नीतियों के अभाव में, नए आगंतुकों को स्थानीय समुदाय में घुल‑मिलने में समय लग सकता है।
    इसलिए, सरकार को शैक्षिक, स्वास्थ्य और भाषाई समर्थन के लिए विशेष योजनाएँ बनानी चाहिए।
    इतिहास हमें सिखाता है कि जब भी बड़े मानवीय संकट आते हैं, तो सहयोगी नीति ही स्थायी समाधान प्रदान करती है।
    दूसरी ओर, यदि यह पहल केवल राजनीतिक दिखावा बना रहे और वास्तविक सहायता न हो, तो यह सामाजिक तनाव को बढ़ा सकता है।
    इसीलिए, नागरिक समाज, NGOs और स्थानीय निकायों को मिलकर एक बहु‑स्तरीय सहायता तंत्र स्थापित करना चाहिए।
    ऐसे तंत्र में सामुदायिक स्वैच्छिक सेवानिवृत्तियों, हेल्प‑डेस्क और शरणार्थी शैक्षणिक क्लब का समावेश हो सकता है।
    प्रशासन को यह याद रखना चाहिए कि शरणार्थियों का स्वागत केवल दया नहीं, बल्कि एक रणनीतिक हित भी है।
    यह भारत‑बांग्लादेश के दीर्घकालिक संबंधों को सुदृढ़ करने, सीमा स्थिरता को बनाए रखने और वैश्विक मंच पर हमारी छवि को सुधारने में मदद करेगा।
    अंत में, हम सभी को इस मुद्दे को पारदर्शिता, सहानुभूति और व्यावहारिक कदमों के साथ देखना चाहिए, ताकि यह कदम केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कार्यों में भी साकार हो।

  6. jinsa jose jinsa jose
    अक्तूबर 8, 2024 AT 10:43 पूर्वाह्न

    समाज के नैतिक बंधनों को देखते हुए, मेरे विचार में इस तरह का बयान केवल दिखावे का ही हिस्सा है और वास्तविक कार्रवाई की कमी है
    यदि हम सच में मानवता के आदर्शों का पालन करना चाहते हैं, तो हमें पहले अपनी आंतरिक प्रणाली को सुधारना चाहिए न कि बाहरी लोगों को आश्रय देने की बात पर ही अटकना चाहिए
    यह दोहराव वाला आलोचनात्मक स्वर हमें सतर्क करता है कि अक्सर राजनीती में शब्दावली बड़ी मात्रा में प्रयोग होती है लेकिन परिणाम स्पष्ट नहीं होते
    इसलिए मैं कहूँगा कि हमें मौलिक बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए न कि सिर्फ़ बयानबाजी के पाखंड में फँसना चाहिए

  7. Suresh Chandra Suresh Chandra
    अक्तूबर 24, 2024 AT 03:31 पूर्वाह्न

    भाई लोगों 🙌 ममता जी का बयान देख कर दिल खुश हो गया 😃
    शरणार्थियों को मदद देना तो हमारे संस्कार में है 🙏
    पर थोड़ी ज्यादा तैयारी चाहिए ताकि सब ठीक रहे 😊
    चलो मिलके इस काम को सफल बनाते हैं 🚀

  8. Digital Raju Yadav Digital Raju Yadav
    नवंबर 8, 2024 AT 20:19 अपराह्न

    बिलकुल सही कदम है ये हमारे लिए एक नया सवेरा लेकर आयega
    सबको मिलकर मदद करनी चाहिए और कोई भी पीछे नहीं रहना चाहिए
    उम्मीद है कि केंद्र भी साथ देगा और सभी मिलकर इस चुनौती को पार करेंगे

  9. Dhara Kothari Dhara Kothari
    नवंबर 24, 2024 AT 13:07 अपराह्न

    मैं दिल से समझती हूँ कि बांग्लादेश के लोगों को अभी कितनी पीड़ा सहनी पड़ रही है यह काम उनका समर्थन करने का मौका है और हमें इस अवसर को हाथ से नहीं जाने देना चाहिए 😢

  10. Sourabh Jha Sourabh Jha
    दिसंबर 10, 2024 AT 05:55 पूर्वाह्न

    देश के हक़ में बात करो तो बांग्लादेश के लोगों को हमारा स्वागत मिलना चाहिए लेकिन हमारी सुरक्षा पहले है और अगर कोई भी खतरा है तो तुरंत कड़ी कार्रवाई होगी हम अपने सीमाओं की रक्षा के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे

  11. Vikramjeet Singh Vikramjeet Singh
    दिसंबर 25, 2024 AT 22:43 अपराह्न

    देखते हैं आगे क्या होता है।

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