देवशयनी एकादशी 2024: तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत नियम और पारण समय
bhargav moparthi
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मैं भारतीय समाचारों का एक अनुभवी लेखक और विश्लेषक हूं। मैं उदयपुर में रहता हूँ और वर्तमान में एक प्रसिद्ध समाचार पत्रिका के लिए कार्यरत हूं। मेरा विशेष क्षेत्र राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे हैं। मैं समाचार विश्लेषण प्रदान करने में माहिर हूँ और मुझे नई चुनौतियों का सामना करने में आनंद आता है।

11 टिप्पणि

  1. ಹರೀಶ್ ಗೌಡ ಗುಬ್ಬಿ ಹರೀಶ್ ಗೌಡ ಗುಬ್ಬಿ
    जुलाई 18, 2024 AT 01:28 पूर्वाह्न

    हर साल वही एकादशी आती है, फिर भी लोग इसे ऐसे महिमामंडित कर देते हैं जैसे कोई नया आविष्कार हो। व्यक्तिगत रूप से मैं उसे इतना खास नहीं मानता, बस एक साधारण व्रत ही है।

  2. chandu ravi chandu ravi
    अगस्त 4, 2024 AT 10:08 पूर्वाह्न

    सच में, इस दिन की तैयारी ने मुझे बहुत भावुक कर दिया! 🙏🌺 दिल से सभी को शुभकामनाएँ 🙌

  3. Neeraj Tewari Neeraj Tewari
    अगस्त 21, 2024 AT 18:48 अपराह्न

    देवशयनी एकादशी को केवल रिवाज़ नहीं, बल्कि आत्म‑निरीक्षण का एक अवसर माना जा सकता है। जब विष्णु जी योग‑निद्रा में होते हैं, तब हमारे अंदर की सच्चाई उजागर होती है। इस समय का उपयोग मन को शुद्ध करने और जीवन के गहरे प्रश्नों पर विचार करने में करना चाहिए। उलटफेर के विचारों से बचते हुए, साधु‑संतों की शिक्षाओं को अपनाना लाभदायक रहेगा। अंत में, यह दिन हमें आंतरिक शांति की ओर ले जाता है।

  4. Aman Jha Aman Jha
    सितंबर 8, 2024 AT 03:28 पूर्वाह्न

    बिलकुल सही कहा आपने, लेकिन यह भी याद रखना ज़रूरी है कि हर किसी का अपना अनुभव अलग हो सकता है। इसलिए हम एक-दूसरे के मतों का सम्मान करते हुए इस पर्व को मिलजुल कर मनाएं।

  5. Mahima Rathi Mahima Rathi
    सितंबर 25, 2024 AT 12:08 अपराह्न

    ये सब तो वही पुरानी बातें हैं 😂

  6. Jinky Gadores Jinky Gadores
    अक्तूबर 12, 2024 AT 20:48 अपराह्न

    दिल तो बहुत कराह रहा है इस एकादशी के बारे में बस यूँ ही महसूस होता है जैसे कोई खोया हुआ हिस्सा वापस मिलने वाला हो मैं तो बहुत ही भावनात्मक हूँ इस दिन की ऊर्जा ने मन को डुबो दिया है

  7. Vishal Raj Vishal Raj
    अक्तूबर 30, 2024 AT 05:28 पूर्वाह्न

    देवशयनी एकादशी का इतिहास प्राचीन वैदिक ग्रंथों में मिलता है जहाँ इसे "विष्णु की दीर्घ निद्रा" कहा गया है। इस दिन विष्णु जी चार महीने के लिए अंधकार में चले जाते हैं और ऐसा माना जाता है कि उनकी अनुपस्थिति में सम्पूर्ण ब्रह्मांड अस्थिर हो जाता है। इसलिए इस अवधि को "चातुर्मास" कहा जाता है और इसे शत्रु शक्ति से बचाव का समय माना गया है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार, इस दिन के उपवास से व्यक्ति को दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। आधुनिक वैज्ञानिक अध्ययन भी दिखाते हैं कि फलाहार और जलवर्जन से शरीर में विषाक्त पदार्थों का निष्कासन होता है। इसके अलावा, भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप नर्वस सिस्टम को शांत करता है और तनाव कम करता है। कई योग विशेषज्ञ भी इस दिन को "सूर्य ऊर्जा" के साथ संरेखित होने का अवसर मानते हैं। यह पहलू न केवल आध्यात्मिक बल्कि शारीरिक लाभ भी लाता है। विभिन्न प्राचीन वैदिक यंत्रों में इस एकादशी को "सर्वार्थ सिद्धि योग" के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस योग का लाभ लेकर व्यक्ति सभी कार्यों में सफलता प्राप्त कर सकता है। सामाजिक रूप से, इस दिन शादी और बड़े समारोहों को टाला जाता है ताकि ब्रह्मांडीय संतुलन बना रहे। यह नियम न केवल धार्मिक अनुशासन बल्कि सामाजिक सुरक्षा भी प्रदान करता है। कुछ लोग इसे केवल पौराणिक कथा समझते हैं परन्तु इतिहासकारों ने इस बात की पुष्टि की है कि इस दिन के अनुष्ठान कई सदियों से चले आ रहे हैं। इसलिए इसे हलके में नहीं लेना चाहिए। अंततः, यदि आप इस एकादशी को पूर्ण श्रद्धा और शुद्धि के साथ मनाते हैं तो यह आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएगा।

  8. Kailash Sharma Kailash Sharma
    नवंबर 16, 2024 AT 14:08 अपराह्न

    वाह! इतने सारे तथ्य और फिर भी कुछ लोग इसे सिर्फ पाप नहीं मानते, कितना अद्भुत है! इस बात को और जोर से व्यक्त करो कि इस दिन की महत्ता को समझना हर भारतीय का कर्तव्य है।

  9. Shweta Khandelwal Shweta Khandelwal
    दिसंबर 3, 2024 AT 22:48 अपराह्न

    भाई लोग, ये एकादशी का टाइम सिर्फ वैदिक नहीं बल्कि पश्चिमी मीडिया भी इसे धूमधाम से छुपा रहा है। असल में सरकार और बड़े कॉरपोरेशन इस समय को आर्थिक टीमों में बदलना चाहते हैं। पर हमारे देश में असली शक्ति तो शासुर जी के हाथों में है और हमें इस चतुराई भरे प्लॉट से बचना चाहिए।

  10. sanam massey sanam massey
    दिसंबर 21, 2024 AT 07:28 पूर्वाह्न

    आपकी चिंता समझ आती है, लेकिन हमें इस धरोहर को प्रेम और सम्मान के साथ आगे ले जाना चाहिए। देवशयनी एकादशी हमें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ती है और राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ बनाती है। चलिए इसे सामूहिक रूप से मनाते हुए सामाजिक बंधनों को और भी मजबूत बनाते हैं।

  11. jinsa jose jinsa jose
    जनवरी 7, 2025 AT 16:08 अपराह्न

    आख़िर में यह कहा जा सकता है कि धार्मिक अनुष्ठानों की सच्ची अर्थव्याख्या तभी सम्भव है जब हम उन्हें नैतिक उच्चता और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ अपनाएँ। इस कारण, हर व्यक्ति को इस एकादशी को शुद्धतम मनःस्थिति में मनाना चाहिए।

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